दिल्ली से सटे गाजियाबाद से लापता हुई 12 वर्षीय लड़की आर्ची को सकुशल बरामद कर लिया गया है. इस मामले में पुलिस ने कई अहम खुलासे किए हैं. पुलिस के मुताबिक वह अपनी मर्जी से घर छोड़कर चली गई थी. आर्ची यादव ने कई बार अपने बयान बदले हैं.
दरअसल, 14 फरवरी को गाजियाबाद के इंदिरापुरम से गायब होने एक दिन बाद आर्ची को हिमाचल प्रदेश की कांगड़ा पुलिस ने रोड़वेज बस स्टैंड से बरामद कर लिया था. वहां से उसे चाइल्ड केयर सेंटर ले जाया गया था. हैरानी की बात है कि आर्ची वहां हर बार अपना बयान बदलती रही.
बाद में पता चला कि आर्ची अपनी टीचर और स्टडी के दबाव में थी. पुलिस के मुताबिक आर्ची ने कांगड़ा पुलिस को सबसे पहले अपना नाम टीना बताया था. और साथ ही बताया था कि वह हरिद्वार के अनाथ आश्रम से आई है. अनाथ आश्रम वाले उसके साथ मारपीट करते हैं.
जब पुलिस ने उसके बयान की तस्दीक की तो सारे तथ्य गलत साबित हुए. आर्ची ने वहां पुलिस को बताया कि वो हरिद्वार में पढ़ती थी. मगर उसकी यह बात भी झूठ निकली. बाद में उसने अपना स्कूल वनस्थली गाज़ियाबाद बताया. और काउंसलिंग के बाद उसने पुलिस को अपना सही पता और नंबर दिया.
तब कांगडा पुलिस ने उसके परिवार से संपर्क किया. पूछताछ में उसने पुलिस को बताया कि एक महिला ने उसे हिप्नोटाइज़ किया था. उसके बाद क्या हुआ उसे नहीं पता. बाद में वो सीधे कांगड़ा पहुंची. लेकिन आर्ची की यह बात भी झूठी निकली. क्योंकि मौके पर मिले सीसीटीवी फुटेज में कोई महिला नहीं दिखाई दी.
आर्ची ने बाद में बताया कि दो कुरियर वाले लड़के आए थे. लेकिन सीसीटीवी में ऐसा भी नहीं दिखाई दिया. बाद में उसने बताया कि वह जिस स्कूल में पढ़ती है, वहां के फ़िज़िक्स और केमेस्ट्री के असाइनमेंट उसने पूरे नहीं किए थे. लिहाजा उसने यह कदम उठाया. उसकी इस बात को स्कूल ने सही बताया.
घर छोड़कर जाने से पहले उसने घर के नीचे इंतज़ार किया था. नीचे वाले घर में रहने वालों ने इस बात की पुष्टि की है. उनका कहना है कि उस वक्त वह परेशान लग रही थी. पुलिस ने उसके घर के नंबर की सीडीआर भी निकाली है. जिसमें किसी बाहरी कॉल की पुष्टि नहीं हुई है.
हालांकि पुलिस की इस कहानी को आर्ची के परिवार वालों ने अब तक नहीं माना है. मामले की जांच की जा रही है. पुलिस के मुताबिक 2 बजकर 51 मिनट पर उसकी मां ने फोन पर आर्ची से कहा था कि वो खाना खा ले. ठीक 3 मिनट के बाद आर्ची अकेले सीसीटीवी में जाती हुई दिख रही है. इस दौरान कोई भी दूसरा फोन नहीं आया था.
इसी वजह से फेक काल के जरिए बाहर बुला कर अपहरण करने की बात साबित नहीं हो रही थी. लेकिन आर्ची कांगड़ा कैसे पहुंची अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है. पुलिस मामले की छानबीन में लगी है.
परवेज़ सागर / हिमांशु मिश्रा