सबसे सेफ-लकी सीट पर घिरे रूपाणी? 1985 से रहा है BJP का दबदबा

गुजरात के राजकोट इलाका संघ का मजबूत गढ़ माना जाता है. यही वजह है कि 1985 से बीजेपी के सिवा कोई दूसरा नहीं जीत सका है. बीजेपी ने अपनी सेफ सीट से विजय रुपाणी को उतारा है. पिछले 2012 के चुनाव में राजकोट पश्चिम सीट बीजेपी को 56 फीसद और कांग्रेस के 40 फीसदी वोट मिले थे.

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इंद्रनील राजगुरु और विजय रुपाणी इंद्रनील राजगुरु और विजय रुपाणी

कुबूल अहमद / गोपी घांघर

  • राजकोट\नई दिल्ली,
  • 07 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 1:02 PM IST

गुजरात बीजेपी का मजबूत दुर्ग माना जाता है. बीजेपी पिछले दो दशक से राज्य की सत्ता पर विराजमान है और लगातार पांच विधानसभा चुनाव जीत चुकी है. गुजरात में अगर किसी एक सीट की बात करें जो बीजेपी के लिए सबसे मजबूत मानी जाती है, तो वो राजकोट पश्चिम विधानसभा सीट है. यहां से बीजेपी ने राज्य के अपने सबसे बड़े चेहरे मुख्यमंत्री विजय रूपाणी को मैदान में उतारा है. कांग्रेस ने रूपाणी के मात देने के लिए धनकुबेर इंद्रनील राजगुरु पर दांव खेला है.

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गुजरात का राजकोट इलाका संघ का मजबूत गढ़ माना जाता है. यही वजह है कि 1985 से बीजेपी के सिवा कोई दूसरा यहां से नहीं जीत सका है. बीजेपी ने अपनी इस सबसे सेफ सीट से विजय रूपाणी को उतारा है. पिछले 2012 के चुनाव में राजकोट पश्चिम सीट से बीजेपी को 56 फीसद और कांग्रेस के 40 फीसदी वोट मिले थे.

बता दें कि राजकोट पश्चिम विधानसभा सीट से विजय रूपाणी पहली बार 2014 में उपचुनाव में जीत हासिल कर विधायक बने. इसके बाद आनंदीबेन सरकार में वो मंत्री बने और बाद में उन्हें 2016 में मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी दी गई. विजय रूपाणी बतौर मुख्यमंत्री एक बार फिर से इस सीट से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. लेकिन इस बार के सियासी हालात कुछ बदले हुए हैं. पटेल समुदाय बीजेपी से नाराज माना जा रहा है. ऐसे में रूपाणी को अपनी सीट बचाने की बड़ी चुनौती है

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रोजकोट पश्चिम का सियासी समीकरण

राजकोट पश्चिम विधानसभा सीट का फैसला पाटीदार, वैश्य (व्यापारी) और ब्राह्मण समुदाय करते हैं. इस सीट पर करीब 60 हजार पाटीदार, 28 हजार व्यापारी(वैश्य), 26 हजार ब्राह्मण, 14 हजार राजपूत और 25 हजार ओबीसी मतदाता हैं. इसके अलावा लगभग 11 हजार दलित और 12 हजार मुस्लिम वोटर और 4 जैन मतदाता हैं.

रूपाणी की जीत का दारोमदार पाटीदारों पर

राजकोट पश्चिम विधानसभा सीट से विजय रूपाणी की जीत का सारा दारोमदार पटेल मतदाताओं पर है. पाटीदार समुदाय इस सीट पर सबसे ज्यादा है. जबकि विजय रूपाणी जैन समुदाय से आते हैं, जो यहां सबसे कम है. विजय रूपाणी के लिए सबसे ज्यादा सिरदर्द पाटीदारों की नाराजगी बनी हुई है. यही वजह है कि उन्होंने अपना नामांकन पत्र भरने से पहले पाटीदारों के सबसे दिग्गज नेता केशुभाई पटेल से आशीर्वाद लिया था. पाटीदारों की बीजेपी से नाराजगी वोट में तब्दील हुई तो रूपाणी की राह मुश्किल भरी हो सकती है.

तीन वजहों से हो रही दिक्कत

विजय रूपाणी के जीत की राह में कई दिक्कतें आ रही हैं. रूपाणी मुख्यमंत्री होने के नाते अपने राजकोट पश्चिमी विधानसभा क्षेत्र में समय नहीं दे पा रहे हैं. जबकि कांग्रेस उम्मीदवार लगातार वहां डेरा जमाए हुए हैं. पिछले दिनों बीजेपी सांसद परेशरावल ने पद्मावती फिल्म को लेकर बयान दिया था जिससे राजपूत समाज नाराज माना जा रहा है. इसके अलावा पिछले दिनों कांग्रेस उम्मीदवार इंद्रनील राजगुरू पर हमला किया गया है, जिसका आरोप रूपाणी के करीबी माने जाने राजीव डांगर पर लगा है. इससे रूपाणी की दिक्कतें बढ़ गई हैं.

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कांग्रेस को इस गणित से जीत की उम्मीद

कांग्रेस ने ब्राह्मण समुदाय से आने वाले इंद्रनील राजगुरु को उतारा है. इंद्रनील पिछले काफी समय से राजकोट पश्चिम सीट पर अपने पैर जमाने की कोशिश कर रहे हैं. इंद्रनील मौजूदा समय में राजकोट पूर्व से कांग्रेस के विधायक हैं. उन्होंने पहले ही ऐलान कर दिया था कि जिस विधानसभा सीट से मुख्यमंत्री विजय रूपाणी चुनाव लड़ेंगे वहीं से वो भी मैदान में उतरेंगे.

इंद्रनील राजगुरु पिछले एक साल से राजकोट पश्चिम सीट पर सक्रिय हैं. इस सीट पर करीब 26 हजार ब्राह्मण मतदाता हैं. पटेल समुदाय में बीजेपी के प्रति नाराजगी भी कांग्रेस के लिए उम्मीद की किरण की तरह नजर आ रही है. कांग्रेस पाटीदार, मुस्लिम, ब्राह्मण और दलित मतों के सहारे जीत की उम्मीद लगाए है.

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