दिल्ली के बाद अब गोवा के आर्कबिशप फादर फिलिप नेरी फेर्राओ ने कहा है कि संविधान खतरे में है और कई लोग असुरक्षा के माहौल में रह रहे हैं. ईसाई समुदाय को लिखे गए एक पत्र में उन्होंने कहा कि संविधान को ठीक से समझा जाना चाहिए, क्योंकि आम चुनाव करीब आ रहे हैं.
आर्कबिशप ने यह भी कहा कि मानवाधिकारों पर हमले हो रहे हैं और लोकतंत्र खतरे में नजर आ रहा है. एक जून से पादरी वर्ष (पैस्टोरल ईयर) की शुरुआत के मौके पर जारी पत्र में गोवा एवं दमन क्षेत्र के ईसाई समुदाय को संबोधित किया गया है. पादरी वर्ष एक जून से 31 मई तक होता है.
इस मामले पर विवाद बढ़ने के बाद आर्कबिशप ने कहा कि उनके बयान को गलत तरीके से लिया गया. उन्होंने अपनी सफाई में कहा, 'मैं पिछले 14 सालों से पादरी वर्ष (पैस्टोरल ईयर) की शुरुआत पर ईसाई समुदाय के लोगों को खत लिखता आया हूं.' आर्कबिशप की मानें तो उनकी वेबसाइट 2014 से लिख गए सभी खत मौजूद हैं. इस बार का भी खत मौजूद है जिसमें कोई गलत बात नहीं है.
गोवा के आर्कबिशप के खत को लेकर सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि यह चुनावी साल है और इस तरह के खत स्वभाविक हैं. लेकिन इस तरह के खत से सरकार की उपलब्धियों नहीं छुपेगी. इस वक्त देश में माहौल बिल्कुल ठीक है और देश तरक्की की राह पर अग्रसर है. नकवी की मानें तो लोकतांत्रिक देश में सभी को अपनी बात कहने की आजादी है.
गौरतलब है कि पिछले महीने दिल्ली के ऑर्कबिशप अनिल जोसेफ थॉमस काउटो ने दिल्ली के सभी चर्च और पादरियों को खत लिखकर कहा, 'हम एक अजीब से राजनीतिक माहौल में रह रहे हैं जिस कारण हमारे संविधान के लोकतांत्रिक मूल्यों और देश की धर्मनिरपेक्ष छवि पर संकट मंडराने लगा है.' उन्होंने लिखा था, 'मैं अनुरोध करता हूं कि हम लोग हर शुक्रवार के दिन व्रत रखें.' हालांकि इस अपील पर बीजेपी की ओर से गहरी नाराजगी भी जताई गई थी.
अमित कुमार दुबे