रैपर बादशाह का एक और गाना चार्ट बीट पर धूम मचा रहा है. गेंदा फूल नाम से आए नए गाने ने यूट्यूब पर कई रिकॉर्ड बनाए. ट्रेंडिंग में रहा और इसे अभी तक 90 मिलियन (खबर लिखे जाने तक) लोगों ने देख लिया है, लेकिन इसी के साथ असली गीत और उसके राइटर को लेकर विवाद भी खड़ा हो गया है. रिपोर्ट्स हैं कि इस गाने को लिखा था पश्चिम बंगाल के एक लोक गीतकार रतन कहार ने.
कौन हैं रतन कहार?
रतन कहार पश्चिम बंगाल के एक लोक गीतकार हैं. वीरभूम जिले के नागुरी गांव के रहने वाले. कुछ वक्त पहले सरकारी आदेश के चलते उनका घर गिरा दिया गया था. गरीबी के हालात में उनका परिवार अभी टूटे घर में जिंदगी बिताने को मजबूर है. खबरें हैं कि रतन कहार के पास इतने पैसे कभी नहीं हुए कि वे अपनी बेटी को नया हारमोनियम ला कर दे सकें. इसी के चलते उनकी बेटी कभी संगीत स्कूल नहीं जा पाई.
बादशाह के गाने पर विवाद क्यों?
सोनी म्यूजिक की ओर से आए इस गाने को रैपर बादशाह ने गाया है. गेंदा फूल गाने की बांग्ला लाइन- बड़ोलोकेर बोटी लो, लंबा-लंबा चूल...इस लाइन को पायल देव ने गाया है. इस गाने में बादशाह ने अपनी लाइंस जोड़ी हैं लेकिन असल गीतकार को कहीं भी क्रेडिट नहीं दिया गया है. बता दें कि बादशाह के गाने में इस लोक गीत को जिस तरह से प्रजेंट किया गया उस पर भी विवाद हो रहा है.
लॉकडाउन की वजह से 'ये रिश्ता क्या कहलाता है' फेम एक्ट्रेस ने खुद धोई अपनी गाड़ी, Video
अस्पताल में डॉक्टर्स ने कनिका से ऐसा क्या कहा था, जो सुनकर भड़क गई थीं सिंगर
कब लिखा गया था ये गाना?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रतन कहार ने ये बांग्ला लोकगीत 1972 में लिखा था. रतन कभी कलकत्ता आकाशवाणी में गाते थे. वहीं ये गाना उनसे लिया गया था जिसे बाद में 1976 में स्वपना चक्रवर्ती की आवाज में रिलीज किया गया था. जानकारी के मुताबिक, उस दौरान भी रतन को नाम नहीं मिला था और गीत में सिर्फ बांग्ला लोकगीत लिखा हुआ था.
रतन कहार का कहना है कि ये सब बातें बुरी नहीं लगती, मुझे विचलित नहीं कर पाती ये चीजें. मुझे सम्मानित किया जाता है लेकिन घरवालों के लिए कुछ कर नहीं पाया.
बादशाह ने दी सफाई, कहा- मैं मदद करूंगा
इस बीच विवाद होने के बाद गेंदा फूल गाने के सिंगर-राइटर यानी बादशाह ने सफाई भी दी है. बादशाह का कहना है कि मुझे बाद में पता चला कि इस गाने में जो बंगाली लाइंस हैं वो ओरिजनली रतन कहार ने लिखी है. लेकिन इस बांग्ला गाने के ओरिजनल वर्जन में उनका कहीं नाम नहीं था. इसे बंगाल का लोक गीत ही बताया गया. फिर भी मैं रतन कहार तक पहुंचने की कोशिश कर रहा हूं, स्थिति को न्यायपूर्ण तरीके से देखा जाएगा. लॉकडाउन के चलते रतन कहार के गांव तक पहुंचना नहीं हो पा रहा है. मानवीय आधार पर जो भी मुझसे संभव होगा मैं करूंगा.
aajtak.in