फसलें तबाहः सड़कों पर उतरीं महिला किसान, प्रशासन भांज रहा लाठियां, हवाई फायरिंग

ओलों की जद में आए तकरीबन बुंदेलखंड के हर गांव में किसान के गमजदा होने के साथ रुंधे गले से एक ही आवाज थी.... हे भगवान, जौ का करे तुमनें..?

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महिला किसानों किया विरोध प्रदर्शन महिला किसानों किया विरोध प्रदर्शन

संध्या द्विवेदी / मंजीत ठाकुर

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  • 14 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 9:50 PM IST

दो दिन की ओलावृष्टि ने एक बार फिर किसानों को रोने पर मजबूर कर दिया है. कल तक जो फसलें खेतों में हरी होकर पकने के लिए तैयार हो रहीं थीं वह पलक झपकते ही खेत में बिछ चुकी थीं. देखते ही देखते दूर - दूर तक बर्फ की सफेद पर्त ने सारी उम्मीदों को जमींदोज कर दिया.

गेहूं, चना, मटर, सरसों और मसूर को भारी छति हुई. ओलों की जद में आए तकरीबन बुंदेलखंड के हर गांव में किसान के गमजदा होने के साथ रुंधे गले से एक ही आवाज थी.... हे भगवान, जौ का करे तुमनें..? कल तक जिस फसल की रखवाली के लिए किसान खेत में ही बिस्तर लगाकर पलक नहीं झपका रहा था आज उसकी आखें नम हो गईं हैं.

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सब कुछ लुटने के बाद अब किसान को सरकार से मदद की दरकार है। हर तरफ किसान बर्बाद फसल लेकर सडक़ पर उतर गया है.किसान औरतें भी सड़कों पर अपने बच्चों को गोद में लेकर विरोध प्रदर्शन में हिस्सा ले रही हैं.

कई जगह हंगामें की खबरें हैं. किसान महिलाएं अपने बच्चों को लेकर सडक़ पर ही धरने पर बैठ गईं हैं. प्रशासन लाठीचार्ज और हवाई फायरिंग कर उग्र किसानों पर काबू पाने की कोशिश करता दिख रहा है. हालात बेकाबू हो रहे हैं. सरकार ने नुक्सान पर सर्वे शुरू करा दिया है.

11 फरवरी को मध्य प्रदेश से शुरू हुई ओलावृष्टि 12 फरवरी को उत्तर प्रदेश के बुन्देलखण्ड इलाके के किसानों पर भी कहर बनकर बरसी. भारी ओलावृष्टि से मध्य प्रदेश के कई गांवों के किसानों को नुक्सान हुआ.

दो राज्यों में बंटे बुंदेलखण्ड के दोनों हिस्सों के 13 जिलों में व्यापक नुक्सान पहुंचा है. प्राकृतिक आपदा ने किसानों के सपनों को जमीन में मिला दिया है. बुन्देलखण्ड के किसानों को हर बार सूखे से जूझना पड़ता है.

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लगातार चार साल से सूखा ने किसान को तबाह कर दिया है. यहां किसान आत्महत्या की बढ़ती दर का कारण भी खेती को होने वाला नुकसान ही है. इस बार भी बुन्देलखण्ड के किसान सूखे की मार से प्रभावित रहे हैं.

सूखा पडऩे के चलते 50 फीसदी से अधिक किसानों ने फसल ही नहीं बोई है. जिन किसानों ने सिंचाई के निजी और खेत के पास से गुजरी नहर के साधनों से बुआई की थी उन पर प्रकृति ने कहर बरपा दिया। झांसी जिले की मऊरानीपुर तहसील में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है.

यहां करीब 70 फीसदी नुकसान का अनुमान है. बंगरा ब्लाक के अधिकांश गांवों की पूरी फसलें की चौपट हो गईं. यहां ओलावृष्टि से रतौसा, चिरकना, गुढ़ा, निमौली बगरौनी समेत दो दर्जन गांव में फसल पूरी तरह से तबाह हो गई है. बगरौनी की एक महिला किसान संगीता देवी कहती है, तीन वीघा जमीन से ही वह अपनी तीन बेटियों और एक बेटे का पेट भरती हैं.

पति के पास खेती के सिवा कोई काम नहीं है. कम पानी होने के बाद भी इस बार गेहूं और सरसों की बुआई की थी, लेकिन ओलावृष्टि ने सबकुछ तबाह कर दिया. अब यदि सरकार ने मदद नहीं की तो मरने के सिवा और कोई रास्ता नहीं है.

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तबाह फसलें लेकर कई जगह जारी है किसानों का उग्र प्रदर्शन बुंदेलखंड के महोबा में कई गांव के किसानों ने इकठ्ठा होकर सडक़ जाम कर दी. जोरदार नारेबाजी के साथ यहां किसानों ने कहा कि वह तबाह हो गए हैं और सरकार इसकी भरपाई करे. यहां करीब पांच घंटे तक किसान बीच सडक़ पर धरने पर बैठे रहे.

महोबा के डीएम सहदेव ने किसानों को सडक़ से हटने को कहा. नहीं मानने पर किसानों पर लाठीचार्ज करा दिया गया. जवाब में किसानों की ओर से पत्थरबाजी शुरू कर दी गई तो पुलिस ने हवाई फायरिंग कर किसानों को खदेड़ दिया.

इसके बाद भी किसानों का गुस्सा शांत नहीं है. वे लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों के ऊपर हवाई फायरिंग और लाठीचार्ज की किसानों ने निंदा की है. इस पर विपक्ष ने प्रशासन के साथ सरकार की मंशा को भी कठघरे में कर दिया है.

वहीं हवाई फायरिंग व लाठीचार्ज की बात पर महोबा के एसपी एन कोलांचि ने कहा है कि पुलिस की गाडिय़ों पर किसानों ने पथराव किया.

फोर्स पर भी पत्थर बरसाए गए. हालात काबू करने का यही तरीका था, लेकिन किसानों को चोट न लगे इसका ध्यान रखा गया.

बुधवार को झांसी के मऊरानीपुर लहचूरा रोड पर किसान नेता शिवनारायण सिंह परिहार के नेतृत्व में किसानों ने जमा लगा दिया. यहां बड़ी संख्या में किसान महिलाएं अपने बच्चों को लेकर सडक़ पर बैठ गईं. महिलाओं का कहना था.

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उनकी फसल बर्बाद हो गई है. उनके घर खाने को नहीं है. आखिरी उम्मीद भी खत्म हो गई. उनकी मदद नहीं हुई तो परिवार के सामने मौत के सिवा और कोई रास्ता नहीं है.

किसान नेता शिवनारायण सिंह परिहार कहते हैं, बुन्देलखण्ड में लगातार चार साल के सूखे ने किसान परिवारों को भुखमरी की कगार पर ला खड़ा किया है.

सरकार ने इस क्षेत्र को सूखा घोषित नहीं किया, जबकि अधिकांश किसानों ने पानी के अभाव में बुआई नहीं की.

जिन किसानों ने फसल बोई थी उन पर अब प्राकृति ने कहर बरपा दिया है. किसान कहां जाए. सरकार यदि आपदा की स्थिति में किसानों के लिए कोई ठोस इंतजाम नहीं करती है तो वह टूट जाएंगे. इन जिलों को हुआ भारी नुक्सान बुन्देलखण्ड के अधिकांश जिले ओलावृष्टि के दायरे में आए हैं.

यहां के करीब पांच लाख किसान ओलों की मार से प्रभावित बताए गए हैं. जिन जिलों में बर्फीले पत्थरों ने फसलों को तबाह कर दिया उनमें ललिपुर जिले के 38 गांवों को प्रारम्भिक रिपोर्ट में शामिल किया गया है.

वहीं इस जिले की पाली तहसील को नुकसान होने के बाद प्रशासन के सर्वे में नुक्सान नहीं होने की रिपोर्ट पर किसानों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है. झांसी जिले के करीब 80 गांव में भारी नुकसान पहुंचा है. इसी के साथ बांदा, जालौन, चित्रकूट व मध्य प्रदेश के बुन्देलखण्ड के टीकमगढ़, सागर, छतरपुर, अशोकनगर व दमोह में ओलावृष्टि से भारी तबाही पहुंची है.

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प्रभावित जिलों में शुरू हुआ नुक्सान का सर्वे उत्तर प्रदेश सरकार ने ओलावृष्टि के बाद नुक्सान का सर्वे कर रिपोर्ट तलब की है.

इसके बाद प्रशासन ने सर्वे का काम शुरू कर दिया है. झांसी के डीएम ने बताया नुक्सान का सही आंकलन करने के लिए प्लाट टू प्लाट सर्वे कराना होगा. इसके बाद ही सही आंकलन किया जा सकेगा.

वहीं गरौठा विधायक और किसान नेता जवाहर राजपूत ने लखनऊ पहुंचकर मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव एसपी गोयल को प्राकृतिक त्रासदी से किसानों को हुए नुक्सान की जानकारी दी है. इस पर झांसी से शासन ने फौरन रिपोर्ट मांग ली है.

विधायक जवाहर राजपूत ने कहा कि यदि फौरन किसानों को राहत नहीं दी गई तो वह भुखमरी की स्थिति में आत्मघाती कदम भी उठा सकते हैं.

सभी फोटो ज्योति पाठक की हैं.

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