अगर आपको यह लगता है कि सफलता रातों-रात मिलती है तो आपकी यह सोच गलत है. क्योंकि इसमें एक दो दिन नहीं, बल्कि वर्षों की मेहनत लगी होती है. और एक सफल व्यक्ति के पीछे सिर्फ उसकी मेहनत नहीं होती, बल्कि कई लोगों की होती है. इसमें एक पिता का भूमिका सबसे अहम है.
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ऐसे ही बनारस के रहने वाले एक पिता हैं, जिन्होंने अपने बेटे को पढ़ाने और बनाने के लिए अपना जीवन कुर्बान कर दिया. बनारस के रहने वाले नारायण जायसवाल एक रिक्शा चालक हैं और रिक्शा चलाते-चलाते और अपने परिवार का भरण-पोषण मुश्किलों से करते हुए उन्होंने अपने बेटे गोविंद को IAS बना दिया.
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नारायण जायसवाल की परिस्थितियां ऐसी नहीं थीं कि वो अपने बेटे को बिजनेस करा सकें और ना ही कोई महंगी पढ़ाई का बोझ ही उठा सकते थे. अधिकांश सरकारी नौकरियों के फिक्स होने के कारण सरकारी नौकरी की तैयारी भी बेमानी था. इसलिए गोविंद के पास UPSC की तैयारी के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं था.
हालांकि UPSC CIVIL परीक्षा की तैयारी के लिए किताबों की खरीदारी का खर्च गोविंद ट्यूशन पढ़ाकर पूरा करता था.
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लेकिन ये जानकर कि एक रिक्शे वाले का बेटा यूपीएससी की तैयारी कर रहा है लोग बड़ी हंसी उड़ाते थे. पिता नारायण को यह बहुत बुरा लगता, पर वो कुछ कहते नहीं. वो सिर्फ सही समय का इंतजार कर रहे थे और अब वो समय आ गया. नारायण जायसवाल और उनके बेटे गोविंद की मेहनत रंग लाई. गोविंद आज आईएएस के पद पर हैं.
वंदना भारती