पालघर लिंचिंग: मारे गए ड्राइवर के परिवार की मांग- ‘हत्यारों को हो फांसी’

नीलेश के घर वालों का रो-रोकर बुरा हाल है. नीलेश की पत्नी पूजा ने बताया कि मेरे पति दो साधुओं को रामगिरी महाराज के अंतिम संस्कार में सूरत ले जा रहे थे. वो रामगिरी महाराज का बड़ा सम्मान करते थे, क्योंकि उन्होंने बचपन से ही गांव में उन्हें देखा था.

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मारे गए ड्राइवर का परिवार मांग रहा इंसाफ मारे गए ड्राइवर का परिवार मांग रहा इंसाफ

सौरभ वक्तानिया

  • मुंबई,
  • 21 अप्रैल 2020,
  • अपडेटेड 4:35 PM IST

  • पालघर में हिंसक भीड़ ने दो साधु समेत ड्राइवर को मारा
  • बड़ी संख्या में लोग हिरासत में लिए गए, राजनीति भी गर्म

लॉकडाउन के दौरान 16 अप्रैल को महाराष्ट्र के पालघर में दो साधुओं और एक ड्राइवर की निर्मम हत्या को लेकर हर तरफ आक्रोश है. महाराष्ट्र सरकार इस घटना की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दे चुकी है. बड़ी संख्या में लोगों को हिरासत में भी लिया गया.

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नीलेश तेलगडे उस ड्राइवर का नाम है, जो दो साधुओं को सूरत अंतिम संस्कार में ले जा रहा था. पहले किसी और ड्राइवर और कार को जाना था लेकिन उसके घर में मेडिकल इमरजेंसी होने की वजह से उसका जाना टल गया. इसके बाद नीलेश को ये जिम्मेदारी सौंपी गई. मुंबई के कांदिवली में पीम्पलेश्वर मंदिर के पास नीलेश रहता था. उसके परिवार में पत्नी पूजा, मां निर्मला और दो छोटी बच्चियां शालिनी (7 साल) और सानिका (5 साल) हैं.

नीलेश के घर वालों का रो-रोकर बुरा हाल है. नीलेश की पत्नी पूजा ने बताया, “मेरे पति दो साधुओं को रामगिरी महाराज के अंतिम संस्कार में सूरत ले जा रहे थे. वो रामगिरी महाराज का बड़ा सम्मान करते थे क्योंकि उन्होंने बचपन से ही गांव में उन्हें देखा था. जब रामगिरी महाराज के देहांत का उन्हें पता चला तो उन्होंने सोचा कि दो साधुओं को ले जाने के साथ वो खुद भी महाराज के अंतिम दर्शन कर आएंगे.”

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पूजा ने कहा, “हमने उन्हें आखिरी बार 16 अप्रैल दोपहर को देखा जब वो घर से निकले. शुक्रवार सुबह उनकी पार्थिव देह घर आई. हम उनका चेहरा नहीं देख सके. परिवार ने उनका चेहरा आखिरी बार गुरुवार को ही देखा था. मैं चाहती हूं कि दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए. उन्होंने दो साधुओं और मेरे पति को बहुत निर्ममता के साथ मारा. उन्हें फांसी के फंदे पर लटकाया जाए. इस अपराध के लिए फांसी के अलावा और कोई सजा नहीं हो सकती.”

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नीलेश घर में अकेला कमाने वाला था. नीलेश की मां निर्मला के लिए तो उसके लाल के जाने के साथ ही जैसे दुनिया ही उजड़ गई. उन्होंने बताया, “16 अप्रैल को जब वो दो साधुओं के साथ सूरत जा रहा था तो रास्ते में पालघर के पास उन पर हमला हुआ. हमें अगले दिन 17 अप्रैल को इसकी जानकारी मिली जब पुलिस ने हमारे घर आकर हमें बताया. वो मेरा बड़ा बेटा था और परिवार का मजबूत खम्भा था. वो ही हमारे परिवार का कमाऊ सदस्य था."

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उन्होंने कहा कि जब से ये हुआ है पूरा परिवार सकते में हैं. हमें समझ नहीं आ रहा कि हमारा अब क्या होगा? घर कैसे चलेगा और अब हम किसके सहारे जिएंगे. उसके बिना हम क्या करेंगे? मैं सरकार से अपील करूंगी कि वो और कुछ नहीं तो इनसाफ ज़रूर दिलाए.

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