सोशल मीडिया पर एक चौंकाने वाली तस्वीर खूब वायरल हो रही है, जिसमें अस्पताल के बिस्तरों पर कुत्ते बैठे नजर आ रहे हैं. तस्वीर के साथ दावा किया जा रहा है कि ये हाल उत्तर प्रदेश के अस्पतालों का है.
वायरल तस्वीर के साथ दिए गए कैप्शन में लिखा है, 'योगी जी दिल्ली में ज्ञान पेलने और बोली और गोली की बात करने से पहले अपने अस्पतालों को देख लो".
इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि तस्वीर के साथ किया जा रहा दावा गलत है. वायरल तस्वीर उत्तर प्रदेश की नहीं बल्कि बिहार के एक सरकारी अस्पताल की है.
Aam Admi Zindabad (आम आदमी जिंदाबाद) नाम के फेसबुक पेज ने इस भ्रामक पोस्ट को शेयर किया है. इस पोस्ट को लगभग 1000 से भी ज्यादा बार साझा किया जा चुका है. पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.
वायरल तस्वीर में दीवार पर टंगे बोर्ड पर ‘सदर अस्पताल, मुजफ्फरपुर’ लिखा दिख रहा है. इससे ये बात यहीं पर साफ हो जाती है कि ये तस्वीर बिहार के शहर मुजफ्फरपुर की है.
तस्वीर को रिवर्स सर्च करने पर हमें दैनिक भास्कर की एक खबर मिली, जो दिसंबर 2017 में छपी है. इस खबर में इस तस्वीर के बारे में जानकारी दी गई थी.
उस समय रिपोर्ट किया गया था कि बिहार के मुजफ्फरपुर स्थित सदर अस्पताल के सर्जिकल वार्ड में रात को मरीजों के बेड पर आवारा कुत्तों का आतंक मच जाता था. वार्ड में मरीज भी एडमिट होते थे, इसलिए कुत्तों के काटने के डर से परिजनों को रात में जाग कर मरीजों की सुरक्षा करनी पड़ती थी. ठंड लगने पर कई बार कुत्ते बेड पर सोए मरीजों के बिस्तर में घुस जाते थे.
इस खबर को वन इंडिया ने भी कवर किया था.
ये तस्वीर भले ही उत्तर प्रदेश की ना हो, लेकिन राज्य के अस्पताल के हाल भी कुछ बेहतर नहीं है. 2017 में गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत का मामला काफी चर्चित हुआ था.
पिछले साल जारी हुई नीति आयोग की एक रिपोर्ट में यूपी की स्वास्थ्य व्यवस्था को खस्ताहाल बताया गया था. इस रिपोर्ट में यूपी को भारत में 21वें स्थान पर रखा गया था. इस रिपोर्ट के मुताबिक, स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में उत्तर प्रदेश, भारत के बड़े राज्यों में सबसे खराब हालत में है.
पिछले साल प्रकाशित हुई NDTV की एक रिपोर्ट के मुताबिक यूपी में 19,962 मरीजों पर सिर्फ एक सरकारी डॉक्टर है. इस आंकड़े में यूपी बिहार के बाद दूसरे नंबर पर आता है.
अर्जुन डियोडिया