दिल्ली विधानसभा के बुधवार से शुरू होने वाले सत्र से पहले विपक्ष के नेता विजेन्द्र गुप्ता ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया. सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि विपक्ष सदन में दिल्ली के किसानों की पीड़ा को पुरजोर तरीके से उठाएगा. उन्होंने कहा कि किसानों का हितैषी होने का दम भरने वाली आम आदमी पार्टी सरकार ने बिजली के बिलों में बेतहाशा वृद्धि कर किसानों की कमर तोड़ दी है.
संवाददाता सम्मेलन में उपस्थित बड़ी संख्या में दिल्ली के विभिन्न गांवों से आए किसानों ने कहा कि उन्होंने जो खेती के लिए बिजली के कनेक्शन लिए हुए हैं उनके बिलों में बेतहाशा वृद्धि हुई है. उन्होंने कहा कि वे दिल्ली सरकार के किसान विरोधी नीति के चलते शीघ्र ही व्यापक आंदोलन छेड़ेंगे. संवाददाता सम्मेलन में विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा और जगदीश प्रधान ने भी किसानों के साथ हो रही ज्यादती के विरुद्ध आवाज़ उठाई.
विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि 1 अप्रैल को प्रति किलोवाट की फिक्स्ड दरों के बढ़ने से पहले किसानों से 20 रुपये प्रति किलोवाट की फिक्स दर से चार्ज वसूला जाता था. सरकार ने इसे बढ़ाकर 125 रुपये प्रति किलोवाट कर दिया. इसी अनुपात में बिलों पर सरचार्ज भी बढ़ गया. किसानों को साल में अधिक से अधिक पांच महीने खेती के लिए बिजली की आवश्यकता होती है. लेकिन उन्हें बढ़ा हुआ बिल 12 महीने देना पड़ रहा है.
मुख्यमंत्री केजरीवाल से मांग की गई कि यदि सरकार वाकई में किसानों का भला चाहती है तो उसे खेती पर पहले की तरह 20 रुपये प्रति किलोवाट की दर से चार्ज वसूल करना चाहिए. किलोवाट पर बढ़ी फिक्स्ड दरों की मार से किसानों के साथ-साथ सभी दिल्लीवासी त्रस्त हैं. उनके बिजली के बिल घटने की अपेक्षा पहले से कहीं अधिक आ रहे हैं. सरकार को इसके लिए कोई न कोई बड़ा रास्ता निकालना ही होगा.
विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि आगामी विधानसभा सत्र में विपक्ष केजरीवाल सरकार द्वारा आम आदमी के साथ हो रही ज्यादतियों के विरुद्ध आवाज़ बुलंद करेगा. उन्होंने कहा कि सरकार की असफलताओं, भ्रष्ट आचरण और कुशासन के चलते आम आदमी पार्टी का ग्राफ निरंतर गिर रहा है. एक आम आदमी के असंतोष और निराशा का ग्राफ निरंतर ऊपर जा रहा है. उन्होंने बताया कि नियम-33 के अंतर्गत विपक्ष ने सरकार से 50 से भी अधिक ज्वलंत समस्याओं पर 250 से भी अधिक प्रश्नों पर सरकार को रुख स्पष्ट करने को कहा है.
विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि पूरे सत्र में विपक्ष विभिन्न नियमों के अंतर्गत जिन मुद्दों पर केजरीवाल सरकार को घेरकर जनहित में उचित कार्रवाई की मांग करेगा उनमें प्रमुख विषय हैं-
1. दिल्ली में पानी और बिजली जैसे महत्वपूर्ण मोर्चों पर सरकार बुरी तरह विफल रही है. मुख्यमंत्री केजरीवाल ने पानी की कमी के लिए हरियाणा सरकार को दोषी ठहराया है. बिजली संकट के लिए रेलवे द्वारा कोयले की सप्लाई व कमी को सरकार ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में जल संसाधनों को पुर्नजीवित करने का वायदा किया था. लेकिन सवा तीन साल में सरकार सवा तीन लीटर भी जल आपूर्ति बढ़ाने में विफल रही. घरों में सीवर युक्त पानी की सप्लाई दुरुस्त करने के लिए सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया है.
रेलवे मंत्री ने मुख्यमंत्री केजरीवाल के झूठ का पर्दाफाश करते हुए स्पष्ट किया कि रेलवे और कोयला मंत्रालय समन्वित रूप से दिल्ली को नियमित कोयले की आपूर्ति सुनिश्चित कर रहे हैं. सरकार अपने चुनावी वादों को भूल गई. जिसमें सरकार ने कहा था कि दिल्ली का अपना पावर स्टेशन होगा और बिजली पैदा करने की क्षमता 6200 मेगावाट तक पहुंचाई जाएगी.
2. दिल्ली सरकार के कैबिनेट ने 16 मार्च, 2012 को यह प्रस्ताव पारित किया था कि निगमों के बंटवारे से पूर्व ही 2789 करोड़ रुपये की देनदारी चुकता की जाए. लेकिन आज तक देनदारी चुकता नहीं की गई.
3. सरकार ने वर्ष 2017-18 में निगमों को शहरी विकास और यातायात के लिए योजना मद में 1228.42 करोड़ रुपये आवंटित किए थे. जिन्हें इस वर्ष काटकर शून्य कर दिया गया है.
4. सरकार ने दो प्रमुख मेट्रो रूटों रिठाला-नरेला (21.73 किलोमीटर) और तुगलकाबाद-ऐरोसिटी टर्मिनल- 1 (22 किलोमीटर) की स्वीकृति रोक दिल्ली के ग्रामीण क्षेत्रों को मेट्रो से वंचित रखा.
5. स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकार बुरी तरह नाकाम रही. 34 ऑपरेशन थियेटर आज भी बन्द हैं. जनकपुरी और राजीव गांधी सुपरस्पेशलिटी अस्पतालों में आज तक इंडोर सेवाएं उपलब्ध नहीं कराई गई. 40 महीने में सरकार ने आम आदमी क्लीनिक का ढोल पीट कर दिल्ली की जनता को ठगा.
6. टीम केजरीवाल का सत्येंद्र जैन द्वारा गठित क्रिएटिव टीम का बचाव उसकी नैतिक गिरावट की पराकाष्ठा.
7. डूबती आम आदमी पार्टी ने कांग्रेसी रूपी तिनके का सहारा लिया. कांग्रेस, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और शीला दीक्षित को भ्रष्टाचारी बताते हुए आम आदमी पार्टी का कांग्रेस से हाथ मिलाना उसकी राजनीतिक कंगाली की कहानी.
8. नशा मुक्ति केंद्रों में मानसिक रोगों के मानव अधिकारों के साथ खिलवाड़. इन केंद्रों के नियमन के लिए अभी तक नियम-कायदे नहीं.
9. सरकार द्वारा अभी तक केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम 2017 को कानूनी रूप नहीं दिया गया.
10. दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद भी सरकार अभिभावकों से वसूली गई अतिरिक्त स्कूल फीस 9 प्रतिशत ब्याज सहित वापिस दिलाने में विफल.
11. दिल्ली विश्वविद्यालय से जुड़े दिल्ली सरकार के 28 कॉलेजों में गवर्निंग बॉडी के चेयरमैनों की नियुक्ति में जांच की आवश्यकता.
12. सीसीटीवी कैमरों की खरीद में भारी धांधली. कैबिनेट मंजूरी से पहले 571 करोड़ रुपये के टैंडर स्वीकृत. भ्रष्टाचार निरोधक शाखा जांच करें कि योजना का वास्तविक खर्च 130 करोड़ से 571 करोड़ कैसे पहुंचा.
13. पीडब्ल्यूडी घोटाले में केजरीवाल के करीबी रिश्तेदार विनय कुमार बंसल की गिरफ्तारी के चलते सत्येंद्र जैन नैतिक आधार पर इस्तीफा दें.
14. उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा मार्च 2018 में प्रस्तुत दिल्ली सरकार का टाइमलाइन बजट टांय-टांय फिस्स. कोई भी टाइमलाइन अभी तक नहीं हो पाई पूरी.
15. विधानसभा की नवीनतम प्रकाशित नियम पुस्तिका 2018 में उपराज्यपाल के स्पष्ट व सशक्त परामर्श के बावजूद संशोधन समाहित किए गए.
16. मंत्रियों और अधिकारियों के बीच गतिरोध के कारण दिल्ली का विकास प्रभावित.
17. दिल्ली सरकार स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर बिल्कुल गंभीर नहीं. सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के उल्लंघन से स्कूली वाहनों की दुर्घटनाएं बढ़ी.
18. दिल्ली सरकार मनमाने तरीके से पैट्रोल और डीजल पर लगाए गए वैट को वापिस लें.
19. सरकार द्वारा माननीय उच्च न्यायालय के निगमों को चौथे वित्तीय आयोग के अनुरूप राशि जारी करने के आदेश की अवहेलना.
20. सरकार द्वारा माननीय उच्च न्यायालय के सफाई कर्मियों को वेतन के लिए फंड जारी करने के आदेश की अवहेलना.
मोनिका गुप्ता / राम किंकर सिंह