PM केअर्स फंड पर दिल्ली HC का सुनवाई से इनकार, RTI के दायरे में लाने की थी याचिका

पीएम केअर्स फंड को सूचना के अधिकार के तहत लाने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल याचिका पर कोर्ट ने तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में कर्नाटक में पहले ही एक याचिका लंबित है.

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कर्नाटक हाई कोर्ट में भी दायर है याचिका (फाइल फोटो) कर्नाटक हाई कोर्ट में भी दायर है याचिका (फाइल फोटो)

पूनम शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 10 जून 2020,
  • अपडेटेड 2:23 PM IST

  • पीएम केअर्स पर तत्काल सुनवाई से कोर्ट का इनकार
  • वेबसाइट पर ब्यौरा उपलब्ध कराने की मांग
पीएम केअर्स फंड को सूचना के अधिकार(आरटीआई) के दायरे में लाने की मांग वाली याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया है. हाई कोर्ट ने कहा है कि पहले ही इस मामले में एक याचिका कर्नाटक में लंबित है, लिहाजा हमें इस पर सुनवाई की जरूरत नहीं है.

याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट से मांग की है कि पीएम केअर्स फंड को ये निर्देश दिए जाएं कि उसे कितना पैसा मिला, कितना खर्च हुआ और शेष राशि का इस्तेमाल किस तरह से किया जाएगा, इन सब का ब्यौरा वेबसाइट पर अपलोड करे.

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कोर्ट ने कहा कि याचिका को दोबारा दाखिल कीजिए. फिर देखेंगे. हाई कोर्ट ने कहा कि वेबसाइट पर ब्यौरा डालने की बात याचिका में आपने नहीं लिखी है. याचिकाकर्ता ने फिलहाल याचिका को वापस ले लिया है.

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वकील सुरेंद्र सिंह हुड्डा की ओर से दायर की गई इस याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई. याचिका में जनता की ओर से पीएम केअर्स फंड में जमा कराई गई राशि पूछी गई है.

याचिका में पूछा गया है कि जनता की ओर से इस फंड में कितनी राशि जमा कराई गई और अब तक उसमें से कितनी राशि खर्च की गई है. बड़ी संख्या में इस वायरस से संक्रमित मरीजों को आर्थिक मदद की जरूरत है, लेकिन मरीजों के पास यह मौलिक अधिकार भी नहीं है कि वो ये जान सकें कि पीएम केअर्स फंड में कोरोना के दौरान आम लोगों की तरफ से दिए गए कितने पैसे अब तक जमा किए गए हैं.

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याचिका में कहा गया है कि कई लोगों की तरफ से पीएम केअर्स फंड में जमा हुई राशि से जुड़ी जानकारी हासिल करने के लिए आवेदन किया गया, लेकिन इस संबंध में कोई भी जानकारी देने से मना कर दिया गया. पीएम केअर्स फंड की तरफ से कहा गया कि वो पब्लिक अथॉरिटी नहीं हैं और आरटीआई एक्ट 2005 के सेक्शन 2(एच) के तहत नहीं आते.

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