दिल्ली हाईकोर्ट ने उस जनहित याचिका पर आम आदमी पार्टी सरकार का रुख पूछा, जिसमें सिनेमाघरों के अंदर खाने-पीने के सामान लेकर जाने में रोक के संबंध में दिशानिर्देश तय करने का अनुरोध किया गया है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने दिल्ली सरकार, पुलिस और सिनेमा ऑनर्स एंड एक्जिबिटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया को नोटिस जारी कर उनसे इस याचिका पर जवाब मांगा है.
दरअसल, जब हम फिल्म देखने के लिए दिल्ली-एनसीआर में किसी मल्टीप्लेक्स थिएटर में पहुंचते हैं, तो चेकिंग के दौरान अगर हमारे बैग में कोई पानी की बोतल या स्नैक्स होते हैं, तो उसे बाहर रखवा दिया जाता है. यदि आपको थिएटर के अंदर भूख लगती है, तो मजबूरन ज्यादा कीमत पर मल्टीप्लेक्स में ही मौजूद खाने के अलग-अलग आउटलेट से फास्ट फूड खरीदना पड़ता है.
दिल्ली हाईकोर्ट में सिनेमाघर मालिकों के इस निर्देश को चुनौती दी गई है. एडवोकेट एकता सिंह ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका लगाई है, जिसमें कहा गया कि हाल ही में वो जंगपुरा के एक थिएटर में मूवी देखने पहुंचीं, तो उन्हें पानी और सनैक्स साथ ले जाने से रोक दिया गया. एकता ने जब कहा कि ऐसा कोई कानून नहीं है, जो थिएटर के भीतर दर्शकों को अपना खाना या पानी ले जाने से रोक सके, लेकिन वहां मौजूद गार्ड और सिनेमाघर प्रशासन ने उनकी एक नहीं सुनी.
एकता ने अपनी याचिका में राइट टू हेल्दी फूड और राइट टू फूड ऑफ माय च्वाइस पर खासतौर से जोर दिया. उनका कहना है कि सिनेमाघर मालिक उन डायबिटीज के शिकार व्यक्ति या प्रेग्नेंट महिला या फिर छोटे बच्चे के साथ आ रही महिला को मल्टीप्लेक्स से फास्ट फूड खरीदने के लिए बाध्य करते हैं, जो इनको नहीं खा सकते हैं या बच्चों को नहीं खिला सकते हैं. सिनेमा घर के अंदर दर्शकों को अपनी मर्जी का कुछ भी खाने का सामान नहीं ले जाने दिया जाता है, जिसके चलते उनके पास वहां बिक रहे फास्ट फूड को खरीदकर खाने के सिवाय कोई विकल्प नहीं होता है.
इस जनहित याचिका में कहा गया कि सिनेमाघर मालिकों द्वारा खाने का ये सामान बाजार की कीमत से कई गुना ज्यादा मूल्य पर भी बेचा जाता है. दिल्ली हाईकोर्ट ने एकता सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए सिनेमा ऑनर्स एंड एक्जिबिटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. इसके अलावा अदालत ने दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस को भी नोटिस जारी करके मामले में अपना-अपना पक्ष रखने को कहा है.
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में इस तरह की यह शायद पहली जनहित याचिका है, लेकिन जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट और मुंबई हाईकोर्ट में इस तरह की याचिकाएं पहले ही लगाई जा चुकी है, जिसमें कोर्ट ने अपना आदेश दर्शकों के पक्ष में सुनाया है.
राम कृष्ण / पूनम शर्मा