दिल्ली की सभी सिविक एजेंसियों ने मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट में राजधानी में डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों को मॉनसून के मौसम में खासतौर से नियंत्रित रखने के लिए अब तक उठाए गए कदमों को लेकर अपनी स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट सौंप दी है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले सालों के मुकाबले इस साल दिल्ली में डेंगू और चिकनगुनिया को नियंत्रित करने में एमसीडी और सिविक एजेंसीज कामयाब रही हैं.
कोर्ट को सौंपी गई स्टेटस रिपोर्ट में पूर्व, दक्षिण और उत्तर दिल्ली नगर निगमों और एनडीएमसी, दिल्ली छावनी और रेलवे जैसी अन्य एजेंसियों के क्षेत्रों में डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया के मामलों के आंकड़ों का भी जिक्र किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में कुल 56 डेंगू, 37 चिकनगुनिया और 109 मलेरिया के मामले दर्ज किए गए थे, लेकिन वहां कोई मौत नहीं हुई है.
एमसीडी की ओर से दायर की गई स्टेटस रिपोर्ट में कहा गया है कि नगर निगम एजेंसियों द्वारा इस साल खासतौर से डेंगू और चिकनगुनिया को लेकर जागरूकता फैलाने को लेकर कईं नुक्कड़ नाटक जैसे कार्यक्रमों को रोचक अंदाज में लोगों के बीच दिखाया गया. इसके अलावा स्कूल, दिल्ली और सामुदायिक कार्यक्रमों के साथ-साथ जनता के बीच स्वास्थ्य संदेशों को लोगों के घरों तक पहुंचाया गया.
एक्टिंग चीफ जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस सी हरिशंकर की बेंच ने इस मामले में एजेंसियों को आगे भी डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों को नियंत्रण में रखने के लिए राजधानी दिल्ली में सफाई बरकरार रखने का निर्देश दिया है. कोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई 18 सितंबर को करेगा.
एमसीडी ने आज हुई सुनवाई में कोर्ट को बताया है कि जिन घरों में मच्छरों की ब्रीडिंग पाई गई उनको नोटिस भी जारी किए गए और साथ ही डिफॉल्टर्स के खिलाफ मुकदमा भी चलाया गया. इसके अलावा घरों से बाहर भी जहां भी मच्छरों की ब्रीडिंग मिली वहां पर तुरंत स्प्रे करके उसे रोका गया.
दिल्ली हाईकोर्ट जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें दिल्ली को साफ रखने और मच्छरों को पनपने से रोकने के लिए एजेंसियों को सख्त आदेश देकर काम कराने की गुहार कोर्ट से लगाई गई है. पिछले कुछ सालों में मच्छरों की तादाद पर नियंत्रण नहीं हो पाने के चलते राजधानी में डेंगू और चिकनगुनिया से दर्जनों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं.
पूनम शर्मा