लॉकडाउन के बाद से दिल्ली के 12 लाख बच्चों को मिड डे मील मिलना बंद हो गया है. यह वह बच्चे हैं जिनके मां बाप आर्थिक रूप से बेहद पिछड़े तबके से हैं. ऐसे में करोना के चलते इन परिवारों की स्थिति और खराब हो गई है. मिड डे मील ना मिलने को लेकर लगाई गई याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट सुनवाई कर रहा है.
वकील कमलेश कुमार की तरफ से एनजीओ महिला एकता मंच की हाईकोर्ट में लगाई गई जनहित याचिका में कहा गया है कि या तो बच्चों को घरों तक मिड डे मील पहुंचाया जाए या फिर उनके अकाउंट में फूड सब्सिडी अलाउंस के तौर पर पैसा ट्रांसफर किया जाए.
दिल्ली: लॉकडाउन में 12 लाख बच्चों को नहीं मिला मिड-डे मील, HC का केंद्र-राज्य को नोटिस
याचिका में कहा गया है कोविड-19 के चलते बच्चों की इम्युनिटी को और मजबूत करने के लिए मिड डे मील का पहुंचना बहुत जरूरी है. अगर सरकारें बच्चों के घरों तक मिड डे मील नहीं पहुंचा पा रही हैं तो फिर तुरंत बच्चों के माता-पिता के अकाउंट में सीधे राशि ट्रांसफर की जाए.
सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि सरकारी स्कूल में दिया जा रहा मिड डे मील का फंड, अभी उन्हें केंद्र सरकार से नहीं मिला है. इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि फंड को लेकर सरकारों के बीच प्लस-माइनस चलता रहता है. इसका प्रभाव बच्चों पर तो नहीं पड़ना चाहिए.
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जबकि केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया कि अब तक साढे तेरह मीट्रिक टन अनाज सभी राज्यों के लिए मिड डे मील के तौर पर केंद्र सरकार द्वारा रिलीज किया जा चुका है. दिल्ली सरकार ने मामले पर जवाब दायर करने से लिये कोर्ट से कुछ और समय मांगा है. कोर्ट अब मामले की अगली सुनवाई 21 जुलाई को करेगा.
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मिड डे मील में हर रोज हर बच्चे को डेढ़ सौ ग्राम अनाज दिया जाता है. इसके अलावा खाने को तैयार करने में 5 से 7 रुपये का खर्च अलग आता है. कोविड 19 के मद्देनजर मानव संसाधन विकास मंत्रालय में 29 अप्रैल को एक गाइडलाइन जारी करके छुट्टियों के वक्त जून में भी मिड डे मील बच्चों तक पहुंचाने के निर्देश दिए हैं. मिड डे मील पर आने वाले खर्चे में 60 फीसदी केंद्र सरकार और 40 फीसदी दिल्ली सरकार की तरफ से खर्च किया जाता है.
पूनम शर्मा