कोरोना संकट के कारण पिछले करीब दो महीने से देश में लॉकडाउन लागू है. इस दौरान सरकारी या गैर सरकारी स्कूल पूरी तरह से बंद हैं. लॉकडाउन के दौरान दिल्ली के 12 लाख बच्चों को मिड-डे मील की सुविधा नहीं मिल पाई, जिसको लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है. अब इस पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर दिया है.
दिल्ली हाई कोर्ट में दायर की गई याचिका में कहा गया है कि सरकार की ओर से मिड डे मील को बच्चों के घरों तक पहुंचाना चाहिए, नहीं तो उसके पैसे बैंक खाते में ट्रांसफर करने चाहिए. इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है.
गौरतलब है कि लॉकडाउन के बाद से दिल्ली में सभी स्कूल बंद हैं और ज्यादातर स्कूलों को हंगर रिलीफ सेंटर में तब्दील कर दिया गया है. हालांकि केंद्र सरकार की तरफ से 20 मार्च को ही एडवाइजरी जारी कर दी गई थी. जिसमें बताया गया था कि बच्चों को या तो मिड डे मील हर रोज उनके घर तक पहुंचाया जाए या फिर सीधे एकाउंट में पैसा.
यह याचिका दो एनजीओ महिला एकता मंच और सोसायटी फॉर एनवायरमेंट एंड रेगुलेशन की तरफ से दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल की गई है.
याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए वकील कमलेश कुमार ने आजतक से बातचीत करते हुए बताया कि दिल्ली के अलग-अलग इलाकों के बच्चों और उनके अभिभावकों ने हमें संपर्क करके बताया कि उन्हें मिड-डे-मील मिलना बंद हो गया है. जिसके बाद हमने हाइकोर्ट का रुख किया और जनहित याचिका दाखिल की.
बता दें कि मिड डे मील में हर रोज हर बच्चे को डेढ़ सौ ग्राम अनाज दिया जाता है. इसके अलावा खाने को तैयार करने में 5 से ₹7 का खर्चा अलग आता है. कोविड 19 के मद्देनजर मानव संसाधन विकास मंत्रालय में 29 अप्रैल को भी एक गाइडलाइन जारी करके छुट्टियों के वक्त जून में भी मिड डे मील बच्चों तक पहुंचाने के निर्देश दिए हैं. मिड डे मील पर आने वाले खर्चे में 60 फीसदी केंद्र सरकार जबकि 40 फीसदी दिल्ली सरकार खर्च करती है.
केंद्र सरकार की तरफ से अब तक साढ़े 13 मीट्रिक टन अनाज सभी राज्यों के लिए मिड डे मील के तौर पर अब तक केंद्र सरकार द्वारा रिलीज किया जा चुका है. केंद्र की तरफ से यह दो क्वार्टर के लिए भेजा गया अनाज है. दिल्ली में मिड डे मील बच्चों तक पहुंचाने के लिए नोडल एजेंसी दिल्ली सरकार ही है. राज्य सरकार का शिक्षा निदेशालय का काम स्कूल में मिड डे मील के संचालन को बनाए रखना होता है.
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गौरतलब है कि सरकारी स्कूलों में सरकार की ओर से बच्चों को खाने की सुविधा दी जाती है, मिड डे मील के तहत एक निश्चित मात्रा में भोजन फिक्स होता है. लेकिन क्योंकि लॉकडाउन था और स्कूल बंद थे, ऐसे में ये सुविधा भी बंद हो गई थी.
कोरोना वायरस संकट के कारण देश में 24 मार्च के बाद से ही स्कूल बंद हैं और अभी भी ये बंदिश जारी है. अनलॉक 1 यानी लॉकडाउन 5.0 में काफी छूट दी गई हैं, लेकिन अभी स्कूल खुलने की छूट नहीं दी गई है. उम्मीद है कि इस पर जुलाई में कोई फैसला हो सकता है.
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हालांकि, इस लॉकडाउन के दौरान केंद्र और दिल्ली सरकार की ओर से दावा किया गया है कि अलग-अलग जगहों पर लाखों लोगों को खाना खिलाया गया है. फिर चाहे वो प्रवासी मजदूर हों या फिर रोज कमाकर खाने वाले लोग ही क्यों ना हो. दिल्ली सरकार की ओर से कई फूड सेंटर बनाए गए थे, जहां कोई भी मुफ्त में खाना खा सकता है.
पूनम शर्मा