कोरोना संकट की वजह से दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका की इकोनॉमी लड़खड़ाई हुई नजर आ रही है. हालात ये हो गए हैं कि अमेरिका में बेरोजगारी 90 साल के उच्च्तम स्तर पर है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक बेरोजगारी की दर 1930 की महामंदी के बाद सबसे अधिक हो गई है.
कैसी थी 1930 की महामंदी?
साल 1929-30 में इस मंदी की शुरुआत अमेरिका से हुई थी और उसने सारी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया था. इस दौरान अमेरिकी शेयर बाजार लगातार गिर रहे थे और निवेशकों को अरबों डॉलर की चपत लग गई थी. अमेरिका की सबसे अधिक मुनाफा कमाने वाली कंपनियां भी घाटे में जाने लगीं. कई बड़ी कंपनियों ने अपना शटडाउन कर दिया. इस हालात की वजह से 1 करोड़ से अधिक लोग बेरोजगार हो गए थे. बता दें कि 1930 की महामंदी के कई कारण थे. इनमें बैंको का विफल होना और शेयर बाजार की भारी गिरावट को प्रमुख कारण माना जाता है. इस मंदी की चपेट में दुनियाभर के देश आए थे.
अभी क्या हैं हालात?
आंकड़े बताते हैं कि कोरोना वायरस महामारी के चलते प्रत्येक छह में एक अमेरिकी श्रमिक को नौकरी से निकाल दिया गया है. सरकार ने बताया कि पिछले सप्ताह 44 लाख से अधिक लोगों ने बेरोजगारी लाभ के लिए आवेदन किया. इसके साथ ही पिछले पांच सप्ताह में करीब 2.6 करोड़ लोग बेरोजगारी लाभ के लिए आवेदन कर चुके हैं.
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गहराते आर्थिक संकट का मुकाबला करने के लिए अमेरिकी संसद ने लगभग 500 अरब अमेरिकी डॉलर के पैकेज को मंजूरी दी है. वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी छोटे कारोबारियों और लाखों श्रमिकों को सहायता का भरोसा दिया है.
इमिग्रेशन को रोक चुकी है सरकार
इकोनॉमी की हालत को देखते हुए हाल ही में अमेरिका ने इमिग्रेशन को रोकने का फैसला लिया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मुताबिक अगले आदेश तक किसी भी बाहरी व्यक्ति को बसने की इजाजत नहीं दी जाएगी. मतलब ये कि अब अगले आदेश तक कोई भी विदेशी नागरिक अमेरिका का नागरिक नहीं बन पाएगा और ना ही इसके लिए अप्लाई कर पाएगा. दुनियाभर से लोग अमेरिका में नौकरी और बिजनेस के लिए जाते हैं, जो कि कुछ वक्त के बाद वहां पर ही सिटीजनशिप के लिए अप्लाई करते हैं.
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