कोरोना का प्रकोप लंबा खिंचा तो इकोनॉमी के लिए बढ़ेगी मुश्किल, हर कदम उठाने को तैयार RBI

कोरोना संकट की वजह की भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक मार्च महीने में समय से पहले हो गई थी. सोमवार को जारी इसके ब्योरे से तमाम बातें सामने आई हैं. रिजर्व बैंक ने कहा कि इकोनामी पर कोविड—19 के प्रकोप का असर इस बात पर निर्भर करेगा कि यह संकट कितना गहरा है, कितने समय तक रहता है और इस पर किस हद तक काबू पाया जाता है.

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रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास अगुवाई में हुई थी इसके एमपीसी की बैठक (फाइल फोटो: PTI) रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास अगुवाई में हुई थी इसके एमपीसी की बैठक (फाइल फोटो: PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 13 अप्रैल 2020,
  • अपडेटेड 5:46 PM IST

  • कोरोना की वजह से इस बार समय से पहले हो गई थी रिजर्व बैंक के एमपीसी की बैठक
  • 24 से 27 मार्च की इस बैठक में रेपो रेट में 0.75 फीसदी की कटौती हुई थी
  • सोमवार 13 अप्रैल को रिजर्व बैंक ने इस बैठक का ब्योरा जारी किया
  • इस ब्योरे के मुताबिक रिजर्व बैंक हर तरक का कदम उठाने के लिए तैयार है

भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा कि इकोनामी पर कोविड—19 के प्रकोप का असर इस बात पर निर्भर करेगा कि यह संकट कितना गहरा है, कितने समय तक रहता है और इस पर किस हद तक काबू पाया जाता है. रिजर्व बैंक इससे निपटने के लिए हर कदम उठाने को तैयार है.

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​ कोरोना संकट की वजह की भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक मार्च महीने में समय से पहले 24-27 मार्च तक हो गई थी. सोमवार को जारी इसके ब्योरे से तमाम बातें सामने आई हैं.

गौरतलब है कि मार्च में हुई इस बैठक में भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 0.75 फीसदी की भारी कटौती की थी. इसके अलावा रिजर्व बैंक ने सिस्टम में नकदी प्रवाह बढ़ाने के उपायों की घोषणा की थी ताकि कोरोना के प्रकोप से इकोनॉमी के सामने जो संकट आया है उससे निपटा जा सके.

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क्या कहा गवर्नर ने

इस ब्योरे के अनुसार रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास कहते हैं, 'यह ऐसा अदृश्य संकट है जिस पर तत्काल काबू पाना होगा. इसके पहले कि यह काफी फैल जाए और हमारी अर्थव्यवस्था और जनजीवन के लिए कहर बन जाए.'

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एक साल तक रहेगा इकोनॉमी पर असर

रिजर्व बैंक के कार्यकारी निदेशक और मौद्रिक नीति समिति के सदस्य जनकराज इसमें कहते हैं, 'इस बारे में काफी अनिश्चितता है कि कोविड-19 का वास्तव में नजदीकी अवधि की ग्रोथ पर क्या असर होगा. लेकिन यह बात तो साफ है कि निकट भविष्य में समग्र मांग कमजोर रहेगी और यह पूरे एक साल तक देश की जीडीपी ग्रोथ की संभावना पर असर डालेगा. इस समय मौद्रिक नीति के सामने मुख्य चुनौती यह है कि घरेलू मांग पर कोरोना वायरस का असर ज्यादा ना होने पाए.'

मीटिंग में कहा गया कि कोविड—19 के विपरीत असर को कम करने के लिए हरसंभव प्रयास करने की जरूरत है और अर्थव्यवस्था में फिर से तेजी लाने तथा वित्तीय स्थिरता को कायम रखने के लिए रिजर्व बैंक हर जरूरी साधन अपनाएगा.

महंगाई पर राहत की बात

ज्यादातर सदस्य मानते थे कि महंगाई के हालात में काफी बदलाव आया है और इसी वजह से ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश बनी है. ज्यादातर सदस्य इस बात पर भी सहमत हैं कि कच्चे तेल की कीमतों में नरमी से भारत को राहत मिलेगी ​जिसकी वजह से दो—तिहाई सदस्यों ने महंगाई को 2 से 6 फीसदी रखने का लक्ष्य रखा है.

गौरतलब है कि कोरोना की वजह से बहुत से विश्लेषकों ने 2020—21 के लिए भारत के जीडीपी ग्रोथ अनुमान को 1.50 से 2.00 फीसदी कर दिया है, जो पिछले कई दशकों में सबसे कम है. हालांकि रिजर्व बैंक जीडीपी अनुमान जाहिर करने से बचता रहा है क्योंकि हालात काफी तेजी से बदल रहे हैं.

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न्यूज एजेंसी रॉयटर्स द्वारा अर्थशास्त्रियों के बीच कराए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में पिछले 8 साल में सबसे कम ग्रोथ देख सकती है.

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