मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर बंटी कांग्रेस, टाइमिंग पर है मतभेद

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अविश्वास प्रस्ताव की टाइमिंग के पक्ष मे कांग्रेस के एक धड़े का मानना है कि यदि यह मोदी सरकार का अंतिम संसदीय सत्र हुआ तो विपक्ष इस मौके से चूक जाएगा कि सरकार बिना अविश्वास प्रस्ताव के कार्यकाल पूरी नहीं कर पाई.

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कांगेस, फाइल फोटो कांगेस, फाइल फोटो

विवेक पाठक / कुमार विक्रांत

  • नई दिल्ली,
  • 18 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 8:30 AM IST

विपक्ष द्वारा केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ लोकसभा में लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने मंजूरी दे दी है. अविश्वास प्रस्ताव पर शुक्रवार को चर्चा के बाद वोटिंग होगी. लेकिन इस प्रस्ताव की टाइमिंग को लेकर कांग्रेस बंटती हुई नजर आ रही है.

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अविश्वास प्रस्ताव की टाइमिंग के पक्ष में कांग्रेस के एक धड़े का मानना है कि यदि यह मोदी सरकार का अंतिम संसदीय सत्र हुआ तो विपक्ष इस मौके से चूक जाएगा कि सरकार बिना अविश्वास प्रस्ताव के कार्यकाल पूरी नहीं कर पाई. इसका मानना है कि यह रिकॉर्ड में रहना चाहिए कि मौजूदा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आया था.

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इस तर्क के पीछे मंशा है कि बहस की मीडिया कवरेज से मोदी सरकार के खिलाफ मुद्धों को जनता के बीच ले जाने का मौका मिलेगा. वहीं विपक्ष एक साथ इकट्ठा होगा. दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी अपने सहयोगियों और बाकी दलों को मनाने के लिए जद्दोजहद करना पड़ेगा.

जबकि अविश्वास प्रस्ताव की टाइमिंग के विरोध में कांग्रेस के एक धड़े का मानना है कि विपक्ष मोदी सरकार के ट्रैप में आ गया. नाम न छापने की शर्त पर एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने आज तक से कहा है कि शुक्रवार शाम को प्रस्ताव पर वोटिंग से पहले प्रधानमंत्री मोदी अपना भाषण लोकसभा में देंगे. शनिवार-रविवार को सप्ताहांत के चलते मीडिया में छाये रहेंगे और बीजेपी इसके जरिए नैरेटिव खड़ा करने मे कामयाब हो सकती है.

इसे पढ़ें: मोदी सरकार की पहली अग्निपरीक्षा, अविश्वास प्रस्ताव पर शुक्रवार को होगी चर्चा

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कांग्रेस के इस धड़े मानना है कि संसद सत्र के पहले हफ्ते ही प्रधानमंत्री मोदी को मंच देकर गलती की गई. क्योंकि अविश्वास प्रस्ताव पर सहमति के चलते सदन में पहले ही दिन सरकार अपने कई बिल पास कराने मे कामयाब हो गई. अगर इस प्रस्ताव पर सहमति जतानी भी थी तो सत्र के अंतिम दिनों में जतानी थी. शायद विपक्ष को उम्मीद ही नहीं थी कि सरकार पहले दिन ही अविश्वास प्रस्ताव पर मान जाएगी.

गौरतलब है कि भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ विपक्ष द्वारा लाए गए महाभियोग पर भी न सिर्फ कांग्रस बल्कि विपक्षी दलों मे भी मतभेद सामने आए थे. जब कई वरिष्ठ विपक्षी सांसदों ने इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर नहीं किए थे. विपक्ष द्वारा लाए गए महाभियोग को अपराष्ट्रपति और राज्य सभा के सभापति वेंकैया नायडू ने अस्विकार कर दिया था. वहीं बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विपक्ष पर बदले की कार्रवाई और देश की न्याय प्रभावित करने और डराने का इल्जाम लगाने का मौका भी मिल गया था.

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