नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आज बुधवार को केंद्र सरकार से चार हफ्ते में जवाब मांगा है. इसके बाद यानी पांचवें हफ्ते में मामले की सुनवाई होगी. इस दौरान तय किया जाएगा कि मामला संविधान पीठ के पास भेजा जाए या नहीं.
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने आज आदेश पारित करते हुए कहा कि सीएए से जुड़े मामले में अब किसी भी हाई कोर्ट में सुनवाई नहीं होगी. इसकी मांग अटार्नी जनरल तुषार मेहता ने की थी.
4 हफ्ते का समय
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के क्रियान्वयन के खिलाफ किसी भी तरह के आदेश को पारित करने से फिलहाल इंकार कर दिया. देश की शीर्ष अदालत ने जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए केंद्र सरकार को चार सप्ताह का समय दिया है.
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध और समर्थन में सुप्रीम कोर्ट में 140 से ज्यादा याचिकाएं दायर की गई हैं. चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस अब्दुल नजीर और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने इन याचिकाओं पर आज सुनवाई की. चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली बेंच ने अगली सुनवाई पर इस मुद्दे के लिए संविधान पीठ का गठन करने के भी संकेत दिए.
सीएए को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए 144 याचिकाएं सूचित की गई हैं. इनमें से 141 याचिकाएं इस कानून के खिलाफ दायर हुई हैं. जबकि एक याचिका समर्थन में और एक केंद्र सरकार की याचिका है. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर देश के अलग-अलग हाई कोर्ट में लंबित सीएए के खिलाफ दाखिल याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग की थी.
IUML की मांग क्यों ठुकराई
सीएए के खिलाफ इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से सीएए प्रक्रिया पर कुछ महीनों के लिए रोक लगाने की मांग की थी. हालांकि इस पर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने हालांकि इसका विरोध करते हुए तर्क दिया कि यह स्थगन के समान है.
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वेणुगोपाल ने कहा कि यह कानून के क्रियान्वयन पर स्थगन देने समान ही है. इस पर चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि हम आज ऐसा कोई आदेश जारी नहीं करेंगे. (इनपुट-आईएएनएस)
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