चीन की धमकी, 'क्या होगा अगर हम कालापानी और कश्मीर में घुस जाएं'

चीन के विदेश मंत्रालय में सीमा और सागर मामलों की उप महा निदेशक वांग वेनली ने कहा कि एक दिन के लिए भी अगर सिर्फ एक भारतीय सैनिक भी विवादित क्षेत्र में रहता है तो भी यह हमारी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन है.

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चीन की गीदड़भभकी चीन की गीदड़भभकी

मोहित ग्रोवर

  • बीजिंग,
  • 09 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 9:29 AM IST

चीन ने एक बार फिर भारत को धमकी दी है. चीन ने कहा है कि क्या होगा अगर हम उत्तराखंड के कालापानी और कश्मीर में घुस जाएंगे. डोकलाम मुद्दे पर चीन की ओर से इस प्रकार के लगातार बयान आ रहे हैं, इससे पहले मंगलवार को भी कहा गया था कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 1962 वाली गलती दोहरा रहे हैं.

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चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, चीन के विदेश मंत्रालय में सीमा और सागर मामलों की उप महा निदेशक वांग वेनली ने कहा कि एक दिन के लिए भी अगर सिर्फ एक भारतीय सैनिक भी विवादित क्षेत्र में रहता है तो भी यह हमारी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन है.

उन्होंने कहा कि अगर भारत गलत रास्ते पर जाने का फैसला करता है या इस घटना के बारे में कोई भ्रम रखता है तो हमारे पास कोई भी कार्रवाई करने का अधिकार है. वांग एक भारतीय मीडिया प्रतिनिधिमंडल को संबोधित कर रही थीं. उन्होंने भारत को छेड़ते हुए कश्मीर का मुद्दा उठाया और भारत और नेपाल के बीच के कालापानी विवाद का जिक्र किया.

उन्होंने कहा कि इस समय भारत के साथ बातचीत करना नामुमकिन है, अगर ऐसा होता है तो लोग बोलेंगे कि हमारी सरकार अक्षम है. जब तक भारत अपने सैनिकों को वापस नहीं बुलाता है तो बातचीत नहीं हो सकती है.

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आपको बता दें कि इससे पहले ग्लोबल टाइम्स पर जारी करीब डेढ़ मिनट के इस वीडियो में अखबार के संपादक ने कहा है कि नई दिल्ली आज भी 1962 के जवाहर लाल नेहरू की तरह अनुभवहीन है. वीडियो में कहा गया है कि भारत खुद को विपरीत हालात से निपटने के लिए तैयार नहीं कर रहा बल्कि देश की जनता को सब कुछ ठीक होने का दिलासा दे रहा है.

वीडियो में एक भारतीय अखबार का हवाला भी दिया गया है जिसमें कहा गया है कि चीन कभी भारत पर हमला नहीं कर सकता. यहां तक कि हल्की सैन्य कार्रवाई का रिस्क भी नहीं लेगा. इसके जवाब में ग्लोबल टाइम्स में कहा गया है कि चीन भी युद्ध नहीं बल्कि शांति की बहाली चाहता है और साथ मिलकर आगे बढ़ना चाहता है. लेकिन अगर भारतीय सेना लगातार चीन की धरती मंडराएगी तो स्थितियां अलग हो सकती हैं.

 

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