छत्तीसगढ़ चुनावः इन सीटों पर पार्टियों की नहीं, रजवाड़ों की चलती है

छत्तीसगढ़ की सियासत में राजा-रजवाड़ों का दबदबा अभी कायम है. बस्तर से लेकर बीकापुर सीट तक राजाओं की कब्जा है. टीएस सिंह देव से लेकर बीजेपी के युद्धवीर सिंह जुदेव की तूती बोलती है. 

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कांग्रेस टीएस सिंहदेव (फोटो-Twitter) कांग्रेस टीएस सिंहदेव (फोटो-Twitter)

कुबूल अहमद

  • नई दिल्ली,
  • 01 नवंबर 2018,
  • अपडेटेड 3:31 PM IST

छत्तीसगढ़ में राजा-रजवाड़ों के महल भले ही जर्जर हो गया हो, लेकिन यहां की सियासत में अभी भी उनका असर कायम है. प्रदेश की करीब ढ़ेड़ दर्जन विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जिन पर राजघरानों की तूती बोलती है. इन सीटों पर राजघराने का ही कोई व्यक्ति चुनाव लड़ता था या फिर वो अपने किसी आदमी चुनाव लड़ाते हैं.

प्रदेश के बस्तर, डोंगरगांव, खरागढ़, कवर्धा, सक्ती, बसना और अंबिकापुर ऐसी विधानसभा सीटें हैं, जिन पर राजघराने के लोग राजनीति में सक्रिय हैं. कांग्रेस-बीजेपी दोनों पार्टियों की ओर राजघरानों का झुकाव है.

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छत्तीसगढ़ विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष त्रिभुवनेश्वर शरण सिंह देव सरगुजा रियासत के राजा हैं, लोकप्रियता इतनी की सूबे के लोग उन्हें राजा साहब या हुकुम की बजाए प्यार से टीएस बाबा बुलाते हैं. वे प्रदेश में कांग्रेस के सबसे बड़े चेहरे के तौर जाने जाते हैं और मुख्यमंत्री पद के दावेदार भी माने जा रहे हैं. अंबिकापुर विधानसभा से विधायक हैं और इसी सीट से फिर एक बार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.

बता दें कि टीएस सिंह देव छत्तीसगढ़ के सबसे अमीर विधायक हैं. इतना ही नहीं 2013 में मध्य प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली और मिजोरम में चुने के गए सभी विधायकों में भी सबसे ज्यादा संपत्ति टीएस के पास ही थी. अंबिकापुर क्षेत्र में जहां तक नजर जाती है, वहां तक अधिकांश इन्हीं की संपत्ति नजर आती है.

सक्ती विधानसभा क्षेत्र यहां की रियासत की कर्मभूमि रही है. यहां के राज परिवार ने आजादी के बाद से 50 साल तक राज किया है सक्ती राजघराने के सुरेंद्र बहादुर सिंह पहले विधायक और मंत्री रहे चुके हैं, हालांकि इस बार पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया. सिंह गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से ताल ठोक रहे हैं.

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सराईपाली राजपरिवार के देवेंद्र बहादुर बसना से विधानसभा में जाते रहे. वे जोगी सरकार में राज्यमंत्री भी रह चुके हैं. इस बार भी बसना से कांग्रेस की टिकट के दावेदार हैं.

छत्तीसगढ़ अस्तित्व में आया था तब खरागढ़ सीट से वहां के राजघराने के सदस्य देवव्रत सिंह, इसी राजघराने की गीता देवी सिंह डोंगरगांव से, बसना से देवेन्द्र बहादुर सिंह सदस्य चुनाव लड़ते रहे हैं. इस बार भी कांग्रेस इन्हीं पर दांव लगा रही है.

छत्तीसगढ़ की सियासत के बेताज बादशाह रहे बीजेपी नेता दिलीप सिंह जूदेव की राजनीतिक विरासत उनके बेटे युद्धवीर सिंह जूदेव संभाल रहे हैं. वे चंद्रपुर विधानसभा से दूसरी बार विधायक हैं और इस बार हैट्रिक लगाने के मूड में हैं. युद्धवीर सिंह जूदेव का ताल्लुक जशपुर राजघराने से हैं.

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