नीति शास्त्र के महान ज्ञाता रहे आचार्य चाणक्य ने जीवन के मूल्यों को लेकर अपने नीति ग्रंथ (चाणक्य नीति) में कई प्रकार की नीतियों का उल्लेख किया है. इसमें उन्होंने लोगों की पहचान को लेकर भी कई बातें कहीं हैं. उन्होंने एक श्लोक के माध्यम से यह बताया है कि किस प्रकार के व्यक्ति कभी धोखा नहीं देते. आइए जानते हैं ऐसे लोगों के बारे में...
नि:स्पृहो नाधिकारी स्यान्नाकामो मण्डनप्रिय:।
नाऽविदग्ध: प्रियं ब्रूयात् स्पष्टवक्ता न वञ्चक:।।
> चाणक्य के मुताबिक बिना फल की चाहत के मदद करने वाला व्यक्ति कभी धोखा नहीं दे सकता है. इस श्लोक में वो कहते हैं कि जिसे कुछ पाने की लालसा नहीं होती वो निस्वार्थ भावना के साथ काम करता है. ऐसा व्यक्ति कभी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता.
> जो व्यक्ति चौकाचौंध से प्रभावित न हो और आभूषण जैसे शरीर की शोभा को बढ़ाने वाली वस्तुओं का त्याग करता है, उस पर आप आंख बंद करके विश्वास कर सकते हैं. वो कभी धोखा नहीं दे सकता.
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> मूर्ख व्यक्ति धोखा नहीं दे सकते. क्योंकि उनके द्वारा किया जाने वाला काम किसी भी स्वार्थ से परे होता है. वो मूर्ख है इसलिए खुद के भले के बारे में भी नहीं सोच पाता. ऐसे में वो किसी और को धोखा नहीं दे सकता.
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> स्पष्ट बात करने वाला व्यक्ति कभी धोखा नहीं देता. उसे सभी बातों को साफ-साफ कहने की आदत होती है. वो अपनी बात रखने से पहले ये नहीं सोचता कि दूसरे लोग उस पर क्या कहेंगे. ऐसे व्यक्ति पर भी पूर्ण रूप से भरोसा किया जा सकता है, क्योंकि ऐसे लोगों के मन में किसी प्रकार का छल नहीं होता.
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