घर में सुख और शांति हो तो मनुष्य का जीवन भी सुखमय बीतता है. कुशल अर्थशास्त्री आचार्य चाणक्य ने अपने नीति ग्रंथ में जीवन के रहस्यों को सुलझाने के लिए कई प्रकार के नीतियों का उल्लेख किया है. उनकी बताई गई नीतियां व्यावहारिक जीवन में काफी लाभदायक मानी गई हैं. वर्तमान में भी ये नीतिया बेहद उपयोगी हैं. उन्होंने एक श्लोक के माध्यम से एक खुशहाल घर की जरूरतों के बारे में बताया है.
माता च कमला देवी पिता देवो जनार्दनः।
बान्धवा विष्णुभक्ताश्च स्वदेशो भुवनत्रयम्॥
> इस श्लोक के माध्यम से आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मां अगर लक्ष्मी के समान हो, तो घर स्वर्ग के समान हो जाता है. ऐसी मां अपने संतान को अच्छी शिक्षा और संस्कार देती है. साथ ही जीवन में सही रास्ते पर आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है. ऐसे घरों में लक्ष्मी का वास होता है और कभी परेशानी नहीं आती.
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> चाणक्य कहते हैं कि सारी परेशानियों को खुद में समाहित कर परिवार को सुखी रखने वाला पिता हमेशा सफल होता है. ऐसे पिता भगवान विष्णु के समान होते हैं और उनका आवास बैकुंठ की तरह. ऐसे लोगों की लालसा ज्यादा पाने की नहीं होती बल्कि जितना उपलब्ध रहता है उसी में खुश रहते हैं और ज्यादा के चक्कर में कर्ज लेने से बचते हैं.
चाणक्य के इस एक मंत्र को अपनाकर हो सकते हैं कामयाब
> जिस घर में संतान संस्कारी और समझदार हो, वो अपने माता-पिता का कहना मानता हो और भाई-बहन से प्यार करता हो, वो घर भी स्वर्ग से कम नहीं होता. ऐसे घरों में विकट से विकट स्थिति में भी परिवार के सदस्य मिलकर खुद ही परेशानी को खत्म कर देते हैं. ऐसे में घर संपन्न रहता है और कभी किसी प्रकार की समस्या नहीं आती.
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