चाणक्य नीति: पैसों का लालच करने वालों के पास नहीं आतीं ये 4 चीजें

Chanakya Niti in Hindi, Chanakya Niti for Greedy People: आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिस इंसान का मन घर में लग गया या वो घर की उलझनों और विषयों में ध्यान देने लगता है उसका पढ़ाई से मन हट जाता है.

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 08 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 5:47 PM IST

आचार्य चाणक्य ने अपने नीतिशास्त्र में बताया है कि इंसानों को किस तरह जीवन निर्वाह करना चाहिए. माना जाता है कि चाणक्य की नीतियां आज उतनी ही प्रभावी हैं जितनी पहले हुआ करती थीं. चाणक्य की नीतियों के कारण ही चंद्रगुप्त मौर्य के युग की स्थापना हुई थी. आइए चाणक्य नीति से जानते हैं कि किन लोगों के पास नहीं रहती ये चीजें.

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गृहासक्तस्य नो विद्या न दया मांसभोजिनः।

द्रव्य लुब्धस्य नो सत्यं न स्त्रैणस्य पवित्रता॥

1. इस श्लोक में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिस इंसान का मन घर में लग गया या वो घर की उलझनों और विषयों में ध्यान देने लगता है उसका पढ़ाई से मन हट जाता है. वे कहते हैं कि पढ़ाई करने वाले छात्रों/युवकों को घर के विषयों से दूर ही रहना चाहिए. उन्हें पारिवारिक मोह में नहीं उलझना चाहिए. चाणक्य कहते हैं कि यही वजह है कि प्राचीन काल में बच्चे गुरुकुल में जाकर शिक्षा प्राप्त करते थे.

2. श्लोक में चाणक्य आगे कहते हैं कि जो इंसान मांस खाता है यानी मांसाहारी है उससे दया की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए. क्योंकि वो जानवर पर दया नहीं कर सकता है, तो इंसान पर कभी नहीं कर सकता है, क्योंकि मांस तामसिक भोजन है. इससे तमोगुण बढ़ता है.

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3. चाणक्य कहते हैं कि जिस इंसान में धन का लोभ होता है उस पर कभी भरोसा नहीं किया जा सकता है, क्योंकि ऐसे इंसान सदैव इसी फिराक में रहते हैं कि किस तरह और धन को जमा कर सकते हैं. कई बार इसके लिए वो मर्यादा से आगे बढ़ जाते हैं. चाणक्य बताते हैं कि ऐसे इंसान पर भरोसा नहीं कर सकते हैं, क्योंकि ये सत्य नहीं बोलते हैं.

4. चाणक्य ने इस श्लोक में आगे कहा है जिस इंसान का आचरण सही नहीं होता है, वह शरीर से ही नहीं बल्कि मन से भी अपवित्र होता है. चाणक्य कहते हैं कि जो इंसान सदा काम भावना के बारे में सोचता हो वह कभी पवित्र नहीं होता है. चाणक्य ने इसे अपने शब्दों में व्यभिचारी कभी शुद्ध नहीं होता कहा है.

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