आचार्य चाणक्य ने जीवन से जुड़ी कई विषयों पर बारीकियों से अध्ययन किया था, जिसकी व्याख्या उन्होंने अपने चाणक्य नीतिशास्त्र में किया है और इसे चाणक्य नीति भी कहा जाता है. इसी तरह आचार्य चाणक्य ने अपने नीतिशास्त्र के 13वें अध्यान के 19वें श्लोक में महिलाएं यानी स्त्री, भोजन और धन को लेकर कहा है कि इन विषयों में की गई गलती बड़ी परेशानी का सब बन जाती है.
वे कहते हैं कि इससे पारिवारिक और व्यक्तिगत जीवन ही नहीं बिगड़ता, बल्कि इन मामलों में की गई गलतियों से सेहत भी बिगड़ जाती है. चाणक्य कहते हैं इन मामले में गलती के कारण इंसान आराम से जीवन नहीं जी सकता है.
अपने नीतिशास्त्र में उन्होंने बताया है कि एक आम इंसान को महिलाओं के मामले में कैसा रहना चाहिए. साथ ही कहा है कि जहां तक भोजन की बात है तो इंसान को संतुष्ट रहना चाहिए, वहीं पैसे के मामले में संभलकर चलना चाहिए.
सन्तोषस्त्रिषु कर्तव्य: स्वदारे भोजने धने ।
त्रिषु चैव न कर्तव्योऽध्ययने तपदानयो : ।।
इस श्लोक के माध्यम से आचार्य चाणक्य ने तीन उन विषयों को बताया है जनमें एक इंसान को संतुष्ट हो जाना चाहिए. साथ ही उन्होंने तीन ऐसे काम भी बताएं हैं जिनमें संतोष नहीं करना चाहिए.
ये भी पढ़ें- चाणक्य नीति: आपके अंदर हैं ये 4 चीजें तो बन सकते हैं अच्छे लीडर
आचार्य चाणक्य के मुताबिक, महिला, भोजन और धन को लेकर इंसान को संतोष कर लेना चाहिए. स्त्रियों को लेकर चाणक्य कहते हैं कि इनसे मिलने वाले सुख, व्यवहार और अन्य चीजों को लेकर संतुष्ट हो जाना चाहिए.
भोजन को लेकर वे कहते हैं कि संयम से करना चाहिए और मन भी मार लेना चाहिए. पैसे को लेकर आचार्य चाणक्य कहते हैं कि संतोष रखना चाहिए, नहीं तो परेशानी बड़ी हो जाती है. वहीं, विद्या अध्ययन, तप और दान को लेकर वे कहते हैं कि इनमें संतोष नहीं करना चाहिए.
ये भी पढ़ें- चाणक्य नीति: इन 5 पर भूल कर भी न करें कभी भरोसा, जा सकती है जान
aajtak.in