मोदी सरकार ने इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) में नए बदलावों के लिए अध्यादेश लाने को मंजूरी दे दी है. इन बदलावों के बाद जिन घर खरीददारों के फ्लैट अटके हुए प्रोजेक्ट्स में हैं, उन्हें भी क्रेडिटर के तौर पर शामिल किया जाएगा. इससे घर खरीदारों के लिए अपना पैसा वापस हासिल करना काफी आसान हो सकता है.
नए नियमों के मुताबिक अब अगर कोई कंपनी दिवालिया घोषित होती है तो उसकी प्रॉपर्टी पर उसके कर्जदारों का हक होगा. यानी अगर बिल्डर ने बैंक से लोन लिया है तो दिवालिया होने पर उसकी प्रॉपर्टी पर बैंक का पहला हक होगा. बैंकों के अलावा अगर किसी दूसरे निवेशक ने कंपनी की प्रॉपर्टी में निवेश किया है तो प्रॉपर्टी पर दूसरा हक उनका होगा.
केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने यह जानकारी कैबिनेट की मीटिंग के बाद दी. यह दूसरी बार है जब इस कानून में बदलाव किए गए हैं. इस कानून के लागू होने के बाद सरकार ने एक 14 सदस्यों की हाई लेवल कमेटी बनाई थी, जिसकी जिम्मेदारी इस कानून में बदलाव को लेकर सुझाव देने की थी.
अभी तक ये है व्यवस्था:
आईबीसी के मौजूदा स्वरूप में होम बायर्स को 'अनसिक्योर्ड क्रेडिटर' के तौर पर शामिल किया गया है. इसकी वजह से होता यह है कि जब कोई रियल एस्टेट कंपनी मकान देने के अपने वादे को पूरा नहीं करती और इनसॉल्वेंसी का सामना करती है तो मकान खरीदारों की इस प्रक्रिया में कोई भूमिका नहीं होती. इसमें शामिल होने का अधिकार सिर्फ बैंक और वित्तीय कर्जदाताओं को होता है.
विकास जोशी