एक हफ्ता बाकी, लेकिन 500 करोड़ की काली कमाई भी नहीं आई सामने

मोदी सरकार जहां एक ओर कालाधन रखने वालों को नए कानून के तहत कार्रवाई की चेतावनी दे रही है, वहीं इस ओर अनुपालन खिड़की का उपयोग कर अपनी काली कमाई का खुलासा करने वालों की संख्या बेहद कम है. इस ओर सरकार की डेडलाइन 30 सितंबर को समाप्त हो रही है, जबकि अभी तक ऐसी 500 करोड़ की संपत्ति‍ का ब्योरा भी सरकार को नहीं मिला है.

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कालाधन के खुलासे के लिए केंद्र सरकार ने बनाई है अनुपालन खि‍ड़की कालाधन के खुलासे के लिए केंद्र सरकार ने बनाई है अनुपालन खि‍ड़की

aajtak.in

  • aajtak.in [Edited By: स्वपनल सोनल],
  • 24 सितंबर 2015,
  • अपडेटेड 2:26 PM IST

मोदी सरकार जहां एक ओर कालाधन रखने वालों को नए कानून के तहत कार्रवाई की चेतावनी दे रही है, वहीं इस ओर अनुपालन खिड़की का उपयोग कर अपनी काली कमाई का खुलासा करने वालों की संख्या बेहद कम है. इस ओर सरकार की डेडलाइन 30 सितंबर को समाप्त हो रही है, जबकि अभी तक ऐसी 500 करोड़ की संपत्ति‍ का ब्योरा भी सरकार को नहीं मिला है.

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सरकारी अधिकारी सरकार की इस योजना को अभी सफल या असफल नहीं बताना चाहते, क्योंकि उनका मानना है कि ऐसे मामलों में आखिरी समय में ही भीड़ बढ़ती है. एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, कालाधन मामले में जेल जाने से बचने के लिए अभी तक हजारों आवदेना आए हैं, लेकिन इस ओर कोई बड़ी रकम का खुलासा अभी तक नहीं हुआ है.

गौरतलब है कि कालाधान और कराधान कानून 2015 को पूरी तरह लागू करने से पहले केंद्र ने एक अनुपालन खि‍ड़की खोली है. इसके तहत विदेशों में कालाधन धारकों को एक मौका दिया गया है कि वो अपनी काली कमाई की घोषणा कर जुर्माने और टैक्स का भुगतान करने के बाद जेल जाने से बच सकते हैं. इस योजना की सीमा 30 सितंबर को खत्म हो रही है. कालाधन कानून के तहत दोषी पाए जाने पर 10 साल तक कैद की सजा हो सकती है.

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क्या है योजना, कितना है जुर्माना
योजना के तहत आवेदन और इससे जुड़े काम में व्यस्त वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने अखबार को बताया कि घोषणा करने वालों में कई ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड में विदेशी कंपनियों के मालिक हैं या जेनेवा के एचएसबीसी बैंक में खाताधारक हैं. सीबीडीटी मामले में ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड और स्वीट्जरलैंड से प्राधि‍करणों से संपर्क में है.

योजना के तहत कालाधन का खुलासा करने वालों को कुल रकम का 30 फीसदी टैक्स के तौर पर और 30 फीसदी जुर्माने के तौर पर चुकाना होता है. इस ओर खुलासे के लिए सरकार ने ऑनलाइन सुविधा भी दी है. आवेदक खुद या अपने चार्टर्ड अकाउंटेंट के जरिए घोषणा कर सकता है.

मामले में सीबीडीटी वित्त मंत्रालय के एफटीटीआर विभाग से भी संपर्क में है. ऐसा इसलिए किया जा रहा है कि कहीं जिस संपत्ति का खुलासा किया जा रहा है, उसके बारे में एफटीटीआर विभाग को पूर्व से जानकारी तो नहीं है. इस तरह की कार्यवाही दोहरे कर से बचने के लिए की जा रही है.

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