आम आदमी के बीच अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए बीजेपी अब सामाजिक क्षेत्रों पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करेगी. गुजरात चुनाव से सबक लेते हुए बीजेपी महाराष्ट्र में आमजन से जुड़ी नीतियां बनाकर उसका दिल जीतना चाहती है. बीजेपी के शीर्ष नेताओं का मानना है कि गुजरात में पार्टी का प्रदर्शन बहुत बेहतर नहीं रहा है, ऐसे में आम आदमी के लिए नीतियां फिर शुरू करनी चाहिए. बीजेपी इसके लिए महाराष्ट्र को प्रयोगशाला बनाएगी.
बीजेपी सूत्रों के मुताबिक राज्य सरकार 2019 के लोकसभा और आगामी महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव के लिए सामाजिक क्षेत्रों में सुधारों को आगे बढ़ाएगी. इसके जरिए सरकार आम आदमी को ध्यान में रखकर नीतियां बनाएगी. सूत्रों की मानें तो महाराष्ट्र सरकार के 2018 के बजट में सामाजिक क्षेत्र के लिए करीब 20 फीसदी धन आवंटन किया जाएगा. राज्य सरकार सामाजिक क्षेत्रों के माध्यम से जमीन पर अपनी पकड़ को मजबूत करने के लिए कदम उठा रही है.
राज्य सरकार की नीतियों को पूरा करने के लिए संगठनात्मक सहायता को अधिक प्राथमिकता देने की योजना है. सार्वजनिक और निजी क्षेत्र में दोनों साझेदारी के माध्यम से गरीबी और बेरोजगारी को निपटाने की नीतियां बनाई गई है.
महाराष्ट्र सरकार में नीति सुधारों पर काम कर रहे कोर टीम के सदस्य ने बताया कि शहरी और ग्रामीण महाराष्ट्र में सेवा क्षेत्र के माध्यम से बेरोजगारों को समायोजित करने की योजना है. सरकार के पास पूरे देश में 5.96 लाख करोड़ रुपये की बुनियादी ढांचा परियोजनाएं हैं. ऐसी मेगा परियोजनाओं में सभी क्षेत्रों में नौकरियां उपलब्ध कराने की क्षमता है, लेकिन अक्सर संगठन के भीतर इन्हें अनदेखा कर दिया जाता है. लोग इस तरह की परियोजनाओं को समृद्ध समझते हैं और इससे दूरी बना लेते हैं. कोर टीम के सदस्य ने कहा कि हम जनता के सामने सही तस्वीर पेश करने के लिए सुधारात्मक कदम उठाएंगे. परियोजनाओं के साथ ही हमें रोजगार की जरूरतों को भी बताने की जरूरत है.
एक अधिकारी ने बताया कि महाराष्ट्र में चल रही 46 हजार करोड़ रुपये की समृद्धि महामार्ग परियोजना में रोजगार उपलब्ध कराने की बहुत संभावनाएं हैं. बीजेपी के एक सूत्र ने कहा कि गुजरात चुनावों के बाद, पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने राज्यों को बताया कि नई नीतियां राज्यों में बीजेपी की सरकारों को सुधारात्मक कदम उठाने और पार्टी की एक सकारात्मक छवि बनाने के मद्देनजर तैयार की गई हैं.
कुबूल अहमद