विपक्ष के महाभियोग को हथियार बना एक तीर से दो निशाने साधने की तैयारी में BJP

साथ ही बीजेपी इस प्रस्ताव बहाने एक तीर से दो निशाने लगाने की फिराक में है. बीजेपी सदन में महाभियोग को गिराने के अलावा इसके जरिए कांग्रेस को राम मंदिर विरोधी भी बतलाना चाहती है.

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गुलाम नबी आजाद और अरुण जेटली गुलाम नबी आजाद और अरुण जेटली

अनिंद्य बनर्जी

  • नई दिल्ली,
  • 21 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 7:35 AM IST

कांग्रेस समेत 7 विपक्षी दलों के सांसद सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लेकर आए हैं. बीजेपी ने इसे विपक्षी दलों का राजनीतिक हथकंडा करार भले ही दिया है, लेकिन फिलहाल इस प्रस्ताव की मुखालफत के लिए पार्टी ने कोई ठोस रणनीति नहीं बनाई है.

बीजेपी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक राज्यसभा में उसके पास पर्याप्त संख्याबल है और पार्टी को भरोसा है कि सदन में यह प्रस्ताव टिक नहीं पाएगा. इसी वजह से पार्टी पहले से कोई रणनीति न बनाकर सदन में इस प्रस्ताव को गिराना चाहती है, ताकि कांग्रेस और विपक्षी दलों के लिए यह किरकिरी का मुद्दा बने.

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साथ ही बीजेपी इस प्रस्ताव बहाने एक तीर से दो निशाने लगाने की फिराक में है. बीजेपी सदन में महाभियोग को गिराने के अलावा इसके जरिए कांग्रेस को राम मंदिर विरोधी भी बतलाना चाहती है.

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा,  'कांग्रेस अयोध्या मामले की सुनवाई टालना चाहती थी और मौजूदा मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा इसे खारिज कर चुके हैं. अब उनके खिलाफ आने वाले महाभियोग से यह साबित हो जाएगा कि कांग्रेस अयोध्या में राम मंदिर के खिलाफ है.'

जेटली ने बताया रिवेंज पिटीशन

वित्तमंत्री अरुण जेटली ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को रिवेंज पिटीशन करार दिया है. उन्होंने अपने ब्लॉग में लिखा कि कांग्रेस और उसके सहयोगी महाभियोग का राजनीतिक इस्तेमाल कर रहे हैं.

वित्तमंत्री ने कहा कि जज लोया केस में कांग्रेस पार्टी के झूठे प्रोपेगेंडा की पोल खुल गई है और उसी का बदला लेने के लिए यह महाभियोग प्रस्ताव लाया गया है. एक जज के खिलाफ इसे लाकर अन्य जजों को डराने की कोशिश की जा रही है कि अगर तुम हमसे सहमत नहीं हो तो बदला लेने के लिए 50 सांसद काफी हैं.

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SC ने जताई चिंता

सुप्रीम कोर्ट ने महाभियोग प्रक्रिया पर मीडिया में रिपोर्टिंग पर चिंता जताई है. कोर्ट ने कहा है कि हम सभी मीडिया में ऐसी खबरें देखकर परेशान है और ये दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा कि ये चिंता की बात है कि राजनेता किस तरह न्यायपालिका के खिलाफ मीडिया में बयानबाजी कर रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में AG के. के. वेणुगोपाल का सहयोग मांगा है. इस मामले पर अब 7 मई को सुनवाई होगी. हालांकि, कोर्ट ने इस तरह के मसले की रिपोर्टिंग पर रोक लगाने से इनकार किया है.

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