कंधार हाईजैकिंग कांड में आतंकियों के सामने झुकने के लिए अटल बिहारी बाजपेयी सरकार की आज भी आलोचना होती है या यूं कहे कंधार हाईजैकिंग आज भी वाजपेयी सरकार की सबसे दुखती रग है लेकिन शायद कम ही लोगों को ये पता हो कि कंधार कांड से करीब एक दशक पहले अटल बिहारी वाजपेयी खुद भी कभी 48 लोगों की जिंदगी बचाने के लिए एक हवाई जहाज में घुसे थे, जिसमें एक हाइजैकर ने प्लेन में कई जिंदगियां घंटों बंधक बना कर रखा था.
सुनने में थोड़ा आश्चर्य लगेगा लेकिन ये घटना ऐसी है जो कभी सुर्खियां नहीं बनी. बात 22 जनवरी 1992 की है, जब एक शख्स ने लखनऊ से दिल्ली की उड़ान भर रही इंडियन एयरलाइन्स की विमान को हाईजैक कर लिया. लखनऊ से करीब 15 मिनट की उड़ान के बाद विमान के भीतर एक युवक ने कपड़े से लिपटे अपने हाथ में केमिकल बम होने का दावा किया और विमान को वापस लखनऊ ले चलने को कहा. फ्लाइट में सबको सन्नाटा मार गया, पायलट ने विमान हाइजैंकिग की सूचना लखनऊ एटीसी को दी और कुछ देर तक प्लेन को हवा में रखने के बाद इस हाईजैकर की बात को मानते हुए अगले 45 मिनटों में 48 यात्रियों से भरे इस विमान को वापस लखनऊ एयरपोर्ट उतार दिया गया.
एयरपोर्ट पर हाईजैकिंग की खबर से हड़कंप मच चुका था, प्लेन के लैंड करते ही लखनऊ एयरपोर्ट के एक कोने में इस प्लेन को पार्क किया गया जहां से इस हाईजैकर से संपर्क साधा गया. लखनऊ एयरपोर्ट उतरने तक किसी को नहीं मालूम था कि आखिर विमान का अपहर्ता चाहता क्या है, सभी यात्री चुपचाप अपनी सीट पर बैठे रहे.
उस वक्त उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन था और विपक्ष के सबसे कद्दावर नेता अटल बिहारी वाजपेयी इसदिन लखनऊ में थे, वाजपेयी कार्यकर्ताओं से मिलने के बाद सर्किट हाउस में खाना शुरू ही किया था कि तभी लखनऊ के तत्कालीन ड़ीएम अशोक प्रियदर्शी, हांफते हुए कमरे मे पहुंचे, बदहवास पहुंचे डीएम ने बिना अनुमति कमरे के घुसने के लिए खेद जताया लेकिन जब वजह बताई तो सबके हाथ-पांव फूल गए. डीएम अशोक प्रियदर्शी ने बिना किसी लागलपेट के कहा कि अटलजी इस वक्त आपका एयरपोर्ट चलना जरूरी है क्योंकि 48 जिंदगियों का सवाल है. कमरे में अटल जी के साथ लालजी टंडन मौजूद थे उन्होंने खाना खा लेने का आग्रह किया लेकिन तबतक अटल बिहारी वाजपेयी खाना छोड़कर उठ चुके थे.
डीएम ने बताया कि एक शख्स लखनऊ-दिल्ली प्लेन को हाइजैक कर चुका है, वो अपने हाथ मे कैमिकल बम होने की बात कर रहा है और लगातार वो अटल बिहारी वाजपेयी को बुलाने की बात कर रहा है, उसने धमकी दी है कि अगर अटल बिहारी वाजपेयी नहीं आते तो वो इस हवाईजहाज को बम से उड़ा देगा.
लखनऊ एयरपोर्ट पर पहले अटल जी को उस एयर ट्रैफिर कंटोलर के टावर पर ले जाया गया जहां से विमान का अपहरणकर्ता संपर्क में था, अटलजी एटीसी से उस अपहर्ता के साथ संपर्क में आए, जहां उन्होंने अपहर्ता से बात की और लोगों को छोड़ने की अपील की, पर उस अपहर्ता ने अटल बिहारी वाजपेयी की आवाज पहचानने से इंकार कर दिया और फिर से विमान उड़ाने की धमकियां देने लगा. इस वक्त तक पुलिसवालों ने एयरपोर्ट को अपने नियंत्रण में ले लिया था लेकिन उस शख्स की एक ही मांग थी कि उसे अटल बिहारी वाजपेयी से मिलना है.
जब एटीसी से बात करने पर भी बात नहीं बनी तो कार्रवाई पर विचार होने लगा लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी खुद विमान में जाने को तैयार थे ताकि वो उससे मिल सकें, और प्लेन में फंसी जिदगियां बच सके. प्रशासन ने तब वाजपेयी को जाने से मना किया और एयरक्राफ्ट में जाने के बजाए सीधी कार्यवाई लगभग तय हो गई, लेकिन ऐसे में यात्रियों की सुरक्षा का सवाल सामने खड़ा था, तब अटल जी ने खुद ही विमान के पास जाने का फैसला लिया, प्रशासन की अनुमति की आनाकानी पर अटल जी का दबाव काम आया और सुरक्षा के साथ उन्हें अपहृत विमान तक जाने की अनुमति मिली. अब जब एटीसी से बात नहीं बनी तो डीएम और लालजी टंडन के साथ अटल बिहारी वाजपेयी एक जीप में बैठकर उस एयरक्राफ्ट के पास पहुंचे जहां कोने में इसे पार्क करके रखा गया था, नीचे पहुंचने पर अटल बिहारी वाजपेयी की बात एकबार फिर एयरक्राफ्ट में मौजूद अपहर्ता से कराई गई लेकिन उसमें फिर आवाज पहचानने से इंकार कर दिया. धीरे-धीरे ये साफ होता जा रहा था कि ये वैचारिक अतिवादी है जो हर हाल में अटल बिहारी वाजपेयी को बुलाना चाहता है हालांकि तबतक प्रशासन ने इससे निपटने की पूरी तैयारी कर ली थी.
जब एयरक्राफ्ट के नीचे तक आने के बाद भी अपहरणकर्ता ने बात नहीं मानी तो फिर अटल जी ने प्लेन के भीतर जाने का फैसला किया, सबसे पहले डीएम अशोक प्रियदर्शी, फिर लालजी टंडन एयरक्राफ्ट में घुसे, उन दोनों ने वहां फिर उसे समझाकर उतारने की कोशिश की लेकिन उसने किसी को अपने पास फटकने से मना कर दिया. आखिरकार अटल बिहारी वाजपेयी जो वक्त विपक्ष के सबसे बड़े नेता थे उन्होंने प्लेन के भीतर जाने का फैसला किया, अटल जी के घुसते ही प्लेन के भीतर बैठे लोगों में भी जोश आ गया. अब सामने वो अपहरणकर्ता था उसके ठीक सामने अटल बिहारी बाजपेयी खड़े थे. इस वक्त तक अटल बिहारी के साथ उसके सुरक्षाकर्मी भी घुस चुके थे. अब लालजी टंडन ने उस अपहरणकर्ता से कहा जिससे तुम मिलना चाहते थे वो वाजपेयी तुम्हारे सामने खड़ा है जो तुम्हारे लिए चलकर एयरक्राफ्ट में आए हैं तुम अपनी मांग रखने के पहले उनका पैर छू लो, ये अपहरणकर्ता जैसे ही वाजपेयी के पांव छूने झुका सुरक्षाकर्मियों नें चारो ओर से उसे जकड़ लिया.
इस अपहरणकर्ता के हाथ में केमिकल बम की बात गलत निकली उसने एक गोलनुमा सामान को बम में तब्दील कर प्लेन हाईजैकिग कर ली थी और अटल बिहारी वाजपेयी को विमान तक लाने में सफल रहा था. पकड़े जाने के बाद उसे पुलिस गिरफ्तार कर ले गई लेकिन तबतक प्लेन के भीतर अटल बिहारी बाजपेयी के जयकारे गूंजने लगे. जैसे ही हाइजैंकिग का ऐपिसोड खत्म हुआ लालजी टंडन की नजर कई ऐसे लोगों पर पड़ी जो बड़े राजनीतिक चेहरे थे इसमें से बसे बड़ा नाम सीताराम केसरी का था जो कांग्रेस के कोषाध्यक्ष थे और चुपचाप पूरे हाईजैकिंग के दौरान बैठे रहे.
तमाम यात्री जो इस पूरे घटनाक्रम से डरे थे उन्हें उतारा गया उस रात सभी यात्री लखनऊ में ठहराए गए और अगले दिन उसी फ्लाइट से खुद अटल बिहारी वाजपेयी और लालजी टंडन उसी फ्लाइट से उन्हीं यात्रियों के साथ दिल्ली भी आए.लोगों की जिंदगियां बचाने के लिए अटल बिहारी वाजपेयी का विमान हाईजैकर की मांग पूरा करने के लिए एयरक्राफ्ट में अकेले घुसने का ये दुनिया में इकलौता मामला है जिससे अभीतक दुनिया शायद अनजान ही थी.
लव रघुवंशी