शौचालय नहीं तो ससुराल नहीं

हर लड़की की ख्वाहिश होती है कि शादी के बाद ससुराल जाए लेकिन सुमन की ये ख्वाहिश धरी की धरी रह गई जब उसे पता चला कि उसके ससुराल में शौचालय नहीं है. ये जानते ही सुमन ने ससुराल जाने से इनकार कर दिया.

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शौचालय नहीं तो ससुराल नहीं शौचालय नहीं तो ससुराल नहीं

सुजीत झा

  • नई दिल्ली,
  • 25 जनवरी 2017,
  • अपडेटेड 8:59 AM IST

हर लड़की की ख्वाहिश होती है कि शादी के बाद ससुराल जाए लेकिन सुमन की ये ख्वाहिश धरी की धरी रह गई जब उसे पता चला कि उसके ससुराल में शौचालय नहीं है. ये जानते ही सुमन ने ससुराल जाने से इनकार कर दिया.

कोशी की बाढ़ में अपनो को खो चुकी सुमन 2008 से ही अनाथ आश्रम में रह रही है. स्नातक की शिक्षा पा रही दोनों पैर से विकलांग सुमन की शादी इसी रविवार को हुई. सामूहिक शादी के आयोजन में सुमन ने भानू को अपना जीवन साथी माना लेकिन जब उसे पता चला कि भानू के घर में शौचालय नहीं है तो फिर उसने वहां ना जाने का फैसला लिया.

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सुमन का कहना है कि वो तभी ससुराल जाएगी जब वहां शौचालय का निर्माण हो जाएगा. हांलाकि विकलांग होने के कारण सुमन की ये लाचारी भी है लेकिन वो भारत में चल रहे स्वच्छता अभियान की प्रबल समर्थक है. उसका पति भानू भी अनाथ है और मजदूरी करके अपनी रोजी चलता है. आम लोगों के सहयोग से रविवार को आकांक्षा आश्रम में सुमन की शादी सुपौल जिले के बैरो पंचायत अंतर्गत झंझारपुर टोला के निवासी भानू से शादी हुई थी. सुमन ने शौचालय के महत्व को समझा और कहा कि मेरे जैसी जो भी बहू बेटियां है वो तब तक ससुराल न जाए जब तक की ससुराल में शौचालय ना हो. पति का कहना है कि कुछ दिन बाद वो शौचालय बनवा देगा लेकिन सुमन को ये मंजूर नहीं है.

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