ममता ने मंत्रियों को दी मोदी की टक्कर वाली स्कीम लाने की चुनौती

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने मंत्रियों को मोदी सरकार की योजनाओं और नीतियों से बेहतर बनाने की सलाह मांगी है. इतना ही नहीं केंद्र सरकार से मिलती जुलती राज्य की योजनाओं को सोशल मीडिया और जनसभाओं में प्रचारित करने को भी कहा गया

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ममता बनर्जी ममता बनर्जी

कुबूल अहमद

  • नई दिल्ली,
  • 06 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 11:41 AM IST

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की केंद्र की मोदी सरकार से अदावत जगजाहिर है. सियासी मुद्दों के बाद अब योजनाओं को लेकर भी ममता बनर्जी मोदी सरकार से दो-दो हाथ करने की तैयारी में हैं. इसी कड़ी में ममता बनर्जी ने अपने मंत्रियों से मोदी सरकार की योजनाओं और नीतियों से बेहतर योजनाओं पर सलाह मांगी हैं. इतना ही नहीं केंद्र सरकार से मिलती जुलती राज्य की योजनाओं को सोशल मीडिया और जनसभाओं में प्रचारित करने को भी कहा गया है.

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ममता अपनी योजनाओं को बंगाल के विकास की कहानी के तौर पर दिखाना चाहती हैं, जो कि केंद्र के आंकड़ों और योजनाओं से बेहतर हैं, जिनका लाभ आम जनता को मिल रहा है.

अंग्रेजी अखबार इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल के न्यूनतम समर्थन मूल्य को बढ़ाने के फैसले को ममता बनर्जी और उनकी पार्टी ने खास तवज्जो नहीं दी. पार्टी का दावा था कि बंगाल सरकार पहले ही राज्य के किसानों की आय तीन गुना बढ़ा चुकी है.

ममता बनर्जी ने नबन्ना में गुरुवार को कहा, 'केंद्र सरकार के बंगाल के साथ सौतेले व्यवहार के बावजूद हम किसानों की आय अपने राज्य में पहले ही तीन गुना कर चुके हैं.' उन्होंने बताया कि वह विकास योजनाओं के लिए पैसे बचाने के लिए कदम उठा रही हैं.

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ऐसा पहली बार नहीं है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मोदी सरकार की योजनाओं को महत्व नहीं दिया. मोदी केयर, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ और आयुष्मान भारत जैसी केंद्र की योजनाओं का जवाब ममता बनर्जी के पास होता है. केंद्र सरकार के आंकड़ों से बेहतर राज्य के आंकड़े पेश कर देती हैं.

राज्य के वित्त और उद्योग मंत्री अमित मित्रा की अगुवाई में ममता बनर्जी के वरिष्ठ अर्थशास्त्रियों की एक टीम है, जो उन्हें आंकड़ों और बेहतर योजनाओं पर सलाह देती है.

भारतीय सांख्यिकी संस्थान में इकनॉमिक्स के प्रोफेसर अभिरूप सरकार कहते हैं कि ममता सरकार की प्राथमिकता वंचित लोग और उनकी सुरक्षा है. इसलिए पिछले कुछ साल में राज्य के किसानों की आय तीन गुनी होती देखी गई है.

अभिरूप सरकार कहते हैं कि ममता ने किसान को जमीन की सुरक्षा दी है जिससे किसान ने अपनी जमीन में निवेश करना शुरू किया. केंद्र अगर उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य देता भी है, तो वह काफी देर से राज्य तक पहुंचेगा और राज्य को यह एमएसपी चुकाने के लिए कर्ज लेना पड़ेगा.  

मोदी सरकार के द्वारा एमएसपी में बढ़ोतरी के ऐलान के बाद टीएमसी ने बयान जारी करते हुए कहा कि एमएसपी को लेकर इतनी बातचीत हो रही है और बीजेपी किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करने का वादा करती जा रही है.

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टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि 'बंगाल सरकार ने सात साल में किसानों की आय तीन गुना से ज्यादा बढ़ा दी है- 2010-2011 में  रुपये 91 हजार से बढ़कर 2017-18 में 2 लाख 90 हजार किया. उन्होंने कहा कि बंगाल सरकार को विभिन्न खाद्य अनाजों के रिकॉर्ड उत्पादन के लिए केंद्र सरकार का 'कृषि कर्मण' पुरस्कार लगातार पांच साल मिल चुका है.'

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