5 अगस्त का सभी को इंतज़ार है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसी दिन अयोध्या के राम मंदिर का भूमि पूजन करने के साथ इसके निर्माण का शुभारंभ करेंगे. मोदी इससे पहले 1991 में अयोध्या गए थे, तब विवादित ढांचा मौजूद था. उस वक्त बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी भी मोदी के साथ मौजूद थे. उस वक्त जोशी बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे. 1991 में ही जोशी ने कन्याकुमारी से कश्मीर तक एकता यात्रा का आह्वान किया था, जिसका समापन श्रीनगर के लालचौक पर तिरंगा फहराने के साथ हुआ था.
पिछले तीन दशक में सरयू नदी में बहुत पानी बह चुका है. 1991 में विवादित ढांचे के ठीक नीचे एक स्टूडियो हुआ करता था. इस स्टूडियो का नाम रामलला पर ही था. तब इस स्टूडियो को चलाने वाले महेंद्र त्रिपाठी की आंखों में आज भी उन दिनों की याद करते हुए चमक आ जाती है.
त्रिपाठी बड़े चाव से 1991 की उस तस्वीर को दिखाते हैं जिसमें मोदी और जोशी एक साथ नजर आते हैं. तब बीजेपी के ये दोनों नेता विवादित ढांचे के भीतर रामलला का दर्शन करने आए थे. त्रिपाठी को उस वक्त मोदी से बात करने का मौका मिला था. तब त्रिपाठी ने मोदी से पूछा था कि वो दोबारा अयोध्या कब आएंगे, तब उनका जवाब था कि जब राम मंदिर बनने का संकल्प पूरा होगा, अब तभी वे यहां आएंगे.
उन दिनों त्रिपाठी अयोध्या में होने वाली हर हलचल की फोटो खींचा करते थे. चाहे वो अयोध्या में आने वाले वीवीआईपी हों या फिर आंदोलन से जुड़ी कोई भी घटना. त्रिपाठी न सिर्फ उन ऐतिहासिक लम्हों की फोटो खींचने वाले शख्स हैं बल्कि अयोध्या से जुड़े मुकदमे में अहम गवाह भी रहे.
सिर्फ बीजेपी नेताओं के साथ नहीं बल्कि राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े रहे अन्य बड़े नेताओं की उस दौर की तस्वीरें भी त्रिपाठी के कलेक्शन में मौजूद हैं. चाहे वो विश्व हिंदू परिषद के पूर्व अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल हों या आंदोलन की धुरी रहे महंत परमहंस रामचंद्र दास. विवादित ढांचा गिरने वाले दिन को भी त्रिपाठी ने अपने कैमरे में कैद किया था.
आजतक/इंडिया टुडे से बातचीत में त्रिपाठी का दर्द भी झलका कि उन्हें अभी तक 5 अगस्त के कार्यक्रम का न्योता नहीं मिला है. त्रिपाठी कहते हैं कि वो मुकदमे में न सिर्फ गवाह रहे बल्कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (आर्कियोलॉजी सर्वे ऑफ इंडिया) ने उनकी तस्वीरों का इस्तेमाल किया. मुकदमे के दौरान सीबीआई से लेकर तमाम पक्षकारों ने उनकी तस्वीरों को साक्ष्य के तौर पर इस्तेमाल किया, इसके बावजूद उन्हें अभी तक आधिकारिक न्योते का इंतजार है.
त्रिपाठी ने प्रधानमंत्री मोदी से भावुक अपील करते हुए कहा कि 1991 में जब वो रामलला का दर्शन करने आए तो उस वक्त की एकमात्र ऐतिहासिक तस्वीर उन्हीं के पास ही मौजूद थी, और अब वो जब फिर राम मंदिर का भूमि पूजन करने आ रहे है तो फिर दुनिया उस लम्हे की गवाह बनेगी. त्रिपाठी ने इच्छा जताई कि वो फिर इस मौके की तस्वीर लेने के अलावा खुद प्रधानमंत्री से मिलना भी चाहते हैं.
(नई दिल्ली में राहुल श्रीवास्तव के इनपुट के साथ)
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कुमार अभिषेक