अयोध्या विवाद में मुस्लिम पक्ष की ओर से पेश होने वाले ऐडवोकेट राजीव धवन को जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने इस मामले से हटा दिया है. जमीयत द्वारा सोमवार को दाखिल की गई पुनर्विचार याचिका में राजीव धवन को वकील नहीं बनाया गया है. इस बात से राजीव धवन दुखी हैं और उन्होंने अपने इस दर्द को सोशल मीडिया पर लिखकर बयां किया. ऐसे में सवाल है कि बिना फीस के अयोध्या मामले पर मुस्लिम पक्षकारों की ओर से मुकदमा लड़ने वाले राजीव धवन को आखिर क्यों हटाया गया?
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से जुड़े हुए अहम शख्स ने बताया कि अयोध्या मामले का सारा क्रेडिट लेने की खातिर जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सबसे पहले पुनर्विचार याचिका दायर कर दी. जबकि, मुस्लिम पक्षकारों ने 25 और 30 नवंबर को वकील राजीव धवन से मुलाकात की थी, इस दौरान उन्होंने तीन से चार प्वाइंट पर काम करने के लिए भी कहा था, जिसके बाद 30 नवंबर को दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में सारे पक्षकारों ने बैठक कर पुनर्विचार याचिका दायर करने के लिए सारे प्वाइंट का ड्राफ्ट तय किया था. इस बैठक में जमीयत उलेमा के वकील एजाज मकबूल और टीम के सदस्य भी शामिल थे.
इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में 30 नवंबर को मुस्लिम पक्षकारों के बीच तय हुआ था कि अगली बैठक 3 दिसंबर को होगी, जिसमें तय होगा कि किस तारीख को याचिका दायर करनी है. साथ ही यह भी तय हुआ था कि वकील राजीव धवन को याचिका का ड्राफ्ट दिखाकर एक साथ पांचों मुस्लिम पक्षकार याचिका दायर करेंगे. इसके बाद 1 दिसंबर को जमीयत उलेमा-ए-हिंद टीम के वकील आकृति और कुर्तलेन ने याचिका के ड्राफ्ट के संबंध में राजीव धवन से मुलाकात की थी. इसके बावजूद जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने तीन दिसंबर की बैठक से पहले ही सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में जाकर याचिका दायर कर दी.
राजीव धवन को जमीयत की याचिका दायर करने की खबर उन्हें तब लगी, जब उन्हें एजाज मकबूल ने फोन करके बताया कि उन्हें अयोध्या केस से हटा दिया गया है. दिलचस्प बात यह है कि राजीव धवन तीन दिसंबर को डॉ. के यहां अपना इलाज कराने गए थे. राजीव धवन के 'जमीयत उलेमा-ए-हिंद का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील एजाज मकबूल (ऑन रिकॉर्ड) को लिखे पत्र से साफ होता है कि उन्हें भी यह खबर फोन पर मिली. राजीव धवन ने कहा कि एजाज मकबूल ने कहा कि आपको बाबरी केस से हटा दिया गया है. मैंने बिना कोई आपत्ति जताए इसे स्वीकार कर लिया.
जमीयत के वकील एजाज मकबूल ने कहा, 'मुद्दा यह है कि मेरे क्लाइंट यानी कि जमीयत सोमवार को रिव्यू पिटिशन दाखिल करना चाहते थे. यह काम राजीव धवन को करना था. वह उपलब्ध नहीं थे इसलिए मैं पिटिशन में उनका नाम नहीं दे पाया.' वहीं, जमीयत ने सफाई दी है कि राजीव धवन को खराब स्वास्थ्य के कारण हटाया गया है. जबकि, राजीव धवन ने कहा है कि यह पूरी तरह से बकवास है. मुझे डॉ. के यहां पता चला कि मुझे इस केस से हमें हटा दिया गया है.
दरअसल जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने इसीलिए सोमवार को पुनर्विचार याचिका दायर करने का फैसला किया ताकि सारे मामले में उनका ही नाम आए. इस केस से जुड़ी जो याचिकाएं अब दायर होंगी, वो रहेंगी लेकिन नाम सिर्फ जमीयत उलेमा-ए-हिंद का आएगा. इसीलिए जमीयत ने आनन-फानन में तीन दिसंबर के बजाय दो दिसंबर को ही याचिका दायर कर दी. हालांकि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड राजीव धवन को अपना वकील बनाने के बयान पर कायम है.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट से अयोध्या पर फैसला आने के बाद मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के नेतृत्व में मुस्लिम पक्षकारों की लखनऊ में बैठक हुई. इसमें पुनर्विचार याचिका दायर करने और मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन लेने के मुद्दे पर मंथन हुआ. इस बैठक में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलना अरशद मदनी और महमूद मदनी सहित मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अहम सदस्य और अयोध्या से जुड़े कई मुस्लिम पक्षकार भी शामिल हुए थे.
सूत्रों ने बताया है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ की बैठक के शुरुआती दौर में मौलाना अरशद मदनी अयोध्या फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने को लेकर कशमकश में थे और अपनी राय नहीं बना पा रहे थे. जबकि, महमूद मदनी पुनर्विचार याचिका दायर करने के खिलाफ थे. हालांकि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में बहुमत के साथ तय हुआ कि हमें पुनर्विचार याचिका दायर करनी चाहिए.
इसके बाद बैठक अभी पूरी तरह से खत्म भी नहीं हुई थी कि मौलाना अरशद मदनी बाहर निकले और उन्होंने कहा कि अयोध्या मामले पर जमीयत उलेमा पुनर्विचार याचिका दायर करेगी. इसके बाद मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके याचिका दायर करने की बात कही थी. साथ ही जबरयाब जिलानी ने कहा था कि मुस्लिम के सात पक्षकारों में से पांच याचिका दायर करने के समर्थन में हैं. जबकि सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड और इकबाल अंसारी ने पहले स्पष्ट कर दिया था कि वह फैसले के खिलाफ अब याचिका दायर नहीं करेंगे. वे अब भी इस बात पर कायम हैं.
कुबूल अहमद