प्रार्थना सभा में बोले आजाद- मरने के बाद भी सभी दलों को इकट्ठा कर गए वाजपेयी

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को ऐसा नेता करार दिया जो सभी दलों को एक साथ चलने में विश्वास करते थे, और उनके मरने के बाद भी सभी दल एक जगह एकत्र हुए.

Advertisement
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद (ट्विटर) कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद (ट्विटर)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 20 अगस्त 2018,
  • अपडेटेड 8:04 PM IST

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की श्रद्धांजलि सभा में बोलते हुए कांग्रेस के नेता और राज्य सभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि वह ऐसी शख्सियत थे जो एकता और मेलजोल में विश्वास करते थे.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की अनुपस्थिति में उनके प्रतिनिधि के रूप में वाजपेयी की श्रद्धांजलि सभा में कहा कि यह अपने आप में अद्भुत सभा है. आज इस सभा में कश्मीर से कन्याकुमारी तक से लोग आए हैं. लोग यहां बिना बुलाए ही उपस्थित हुए हैं.

Advertisement

आजाद ने कहा, 'अटल जी जब तक जीवित रहे उनका प्रयास रहा कि हर ओर अमन चैन कायम रहे. अपने छात्र जीवन में मैंने देखा था कि हर साल में वह कश्मीर में आते थे और वहां 1-2 सभाएं किया करते थे. वह ऐसे नेता थे जो अपनी पार्टी लाइन से हटकर बोलते थे. वहां भी बड़ी संख्या में लोग उनको सुनने के लिए आया करते थे.'

वर्तमान हालात से तुलना करते हुए जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद आजाद ने कहा कि उनकी मौत ने दूरियां कम कर दी. वाजपेयी जी ऐसी शख्सियत थे वह राजनीति में हमेशा मेल-मिलाप में विश्वास करते थे. यही कारण है कि अपनी मौत के बाद भी उन्होंने आज सभी राजनीतिक दलों को एक जगह पर इकट्ठा कर दिया है.

अटल बिहारी वाजपेयी के साथ काम करने के अनुभव को साझा करते हुए आजाद ने कहा, 'मैंने उनके साथ करीब 5 साल तक साथ काम किया. 1991 से 1995 के बीच वाजपेयी जी विपक्ष के नेता रहे. इस दौरान मैं संसदीय कार्य मंत्री रहा और हमारी सरकार अल्पमत में थी, इसलिए सरकार चलाने के लिए हमें विपक्षी दलों के सहयोग की जरूरत थी. इसी सिलसिले में उनसे लगातार मिलना-जुलना होता था. कभी वह हमारे यहां आते थे तो मैं उनके ऑफिस जाया करता था. हम एक-दूसरे के दफ्तर में जाया करते थे और चाय-पानी भी किया करते थे. आज की तुलना में तब कोई हममें अंतर नहीं हुआ करता था.'

Advertisement

वाजपेयी की कार्यशैली और वाक्पटुता की तारीफ करते हुए गुलाम नबी आजाद ने गालिब का एक शेर पढ़ा...

'कितने शरीं हैं तेरे लब कि रकीब गालियां खा के बे मज़ा न हुआ'

प्रार्थना सभा में उन्होंने कहा कि बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो अपनी मौत के बाद भी दूरियों को कम करते हैं. अटल जी जाते-जाते सबको एक कर गए. अटल जी की जुबान बेहद मीठी थी. वे सदन में चाहें जितनी कड़वी बात कहते, वो मीठी ही लगती थी. लेकिन आज मीठी बात कहने पर भी कड़वी ही लगती है.

अपने भाषण के अंत में उन्होंने एक और मकबूल शेर पढ़ते हुए वाजपेयी को श्रद्धांजलि दी...

'हज़ारों साल नर्गिस अपनी बे-नूरी पे रोती है, बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदा-वर पैदा'

वाजपेयी की इस श्रद्धांजलि कार्यक्रम में नरेंद्र मोदी सरकार के तमाम कैबिनेट मंत्रियों के अलावा लालकृष्ण आडवाणी और विपक्षी दलों के नेता तथा विभिन्न क्षेत्रों की गणमान्य हस्तियों ने शिरकत की. योगगुरु बाबा रामदेव और आध्यात्म की दुनिया से भी जुड़े कई लोग शामिल हुए.

लंबी बीमारी के बाद अटल बिहारी वाजपेयी का पिछले हफ्ते 16 अगस्त को दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया था. इसके बाद केंद्र सरकार ने 7 दिन के राष्ट्रीय शोक का ऐलान किया.

Advertisement

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement