गुनहगार नेताओं के खिलाफ SC के फैसले से मजबूत होगा लोकतंत्रः अन्ना हजारे

अन्ना हजारे ने कहा कि आखिर आरोपी नेताओं के खिलाफ आरोप साबित नहीं होने का कारण क्या है....सर्वोच्च न्यायालय इस बात को जानने की कोशिश कर रहा है. यह समाज और देश के प्रति बहुत महत्वपूर्ण बात है.

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अन्ना हजारे अन्ना हजारे

अशोक सिंघल

  • नई दिल्ली,
  • 03 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 11:10 PM IST

समाजसेवी अन्ना हजारे का कहना है कि सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से दोषी साबित हुए नेताओं की जानकारी मांगी है. यह लोकतंत्र की तरफ बढ रहा अच्छा कदम है. उन्होंने कहा कि किसी मामले में दोषी ठहराए गए गुनहगार विधायक और सांसद के आजीवन चुनाव लड़ने पर पाबंती हो. इसके लिए हमारी पूरी सहमति है.

अन्ना हजारे ने कहा कि आखिर आरोपी नेताओं के खिलाफ आरोप साबित नहीं होने का कारण क्या है....सर्वोच्च न्यायालय इस बात को जानने की कोशिश कर रहा है. यह समाज और देश के प्रति बहुत महत्वपूर्ण बात है. ऐसे नेताओं के खिलाफ मामलों की सुनवाई एक साल के भीतर पूरी होगी या नहीं? इसकी भी जानकारी लेने की कोशिश होने जा रही है.

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अन्ना हजारे ने कहा कि लोकसभा और विधानसभा लोकतंत्र के पवित्र मंदिर हैं. इनमें देश और जनता का उज्वल भविष्य गढ़ा जाता है. इससे ही देश का लोकतंत्र मजबूत होता है. उन्होंने कहा कि जिन जनप्रतिनिधियों पर लोकतंत्र को मजबूत बनाने की जिम्मेदारी है, अगर वो ही गुनहगार होंगे, तो देश के लोकतंत्र के लिए खतरा पैदा होने की संभावना है.

अन्ना हजारे का कहना है कि किसी आपराधिक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद नेताओं के चुनाव लड़ने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया जाना बेहद जरूरी है. ऐसे नेताओं को कानून के तहत सजा भी मिलनी चाहिए. इसके लिए कठोर कानून बनाए जाने चाहिए, ताकि नेताओं के आपराध में लिप्त होने की घटनाओं पर रोक लग सके.

समाजसेवी हजार ने कहा कि कलंकित प्रतिनिधियों के खिलाफ केस की सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट की तर्ज पर विशेष न्यायालय गठित करने का फैसला बेहद सराहनीय है. न्यायपालिया की स्वतंत्र आज की पुकार है. उन्होंने राजनीति के आपराधिकरण को देश के लिए बड़ा खतरा बताया. अन्ना हजारे ने कहा कि अगर केंद्र सरकार भ्रष्टाचार मुक्त भारत निर्माण का सपना देख रही  है, तो इसके लिए गुनहगार विधायक और सांसदों के चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध लगाने की जरूरत है.

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उन्होंने कहा कि राज्यों और केंद्र को नेताओं के खिलाफ मामलों की सुनवाई के लिए विशेष न्यायालय गठित करने में कोई हर्ज नहीं होना चाहिए. अगर ऐसा होता है, तो एक साल के अंदर ही सकारात्मक परिणाम देखने को मिल जाएंगे.

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