माया के जिन पार्कों की खिल्ली उड़ाते थे अखिलेश, वही बने प्रचार का जरिया

लखनऊ के पार्कों के दीवार अखिलेश यादव की योजनाओं के पोस्टरों से पट गए हैं. यूं तो पूरे प्रदेश में अखिलेश यादव का हाईटेक प्रचार अपने पूरे परवान पर है लेकिन मायावती के बनाए पार्कों का इस्तेमाल प्रचार के लिए तरीके से हो रहा है.

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अखिलेश यादव अखिलेश यादव

प्रियंका झा / कुमार अभिषेक

  • लखनऊ,
  • 08 जुलाई 2016,
  • अपडेटेड 2:16 PM IST

उत्तर प्रदेश में लोग अखिलेश यादव के उन बयानों को नहीं भूले होंगे जिसमें चुनावों के पहले अखिलेश यादव जमकर मायावती के बनाए पार्कों की खिल्ली उड़ाते थे. लेकिन इस चुनाव में वही पार्क अखिलेश के प्रचार का बिलबोर्ड बन गए हैं. मायावती के कार्यकाल में बने लखनऊ के अंबेडकर पार्क और प्रतीक स्थल अब लखनऊ की सुंदरता के प्रतीक बन गए हैं. अखिलेश भी यहां आने वाले लोगों तक अपनी बात पहुंचाने के लिए इन पार्कों के दीवारों का सहारा ले रहे हैं.

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लखनऊ के पार्कों के दीवार अखिलेश यादव की योजनाओं के पोस्टरों से पट गए हैं. यूं तो पूरे प्रदेश में अखिलेश यादव का हाईटेक प्रचार अपने पूरे परवान पर है लेकिन मायावती के बनाए पार्कों का इस्तेमाल प्रचार के लिए तरीके से हो रहा है. अखिलेश यादव ने जितनी योजनाएं लागू की है उसके छोटे-छोटे पोस्टर बनाकर अंबेडकर पार्क के दीवारों पर टांग दिए गए हैं. ये पोस्टर समाजवादी पार्टी की युवा शाखा की तरफ से लगाए गए हैं.

इन पोस्टरों में अखिलेश यादव की उन तमाम योजनाओं को दर्शाया गया है जिसका आजकल मुख्यमंत्री जोर-शोर से प्रचार कर रहे हैं. अलग-अलग पोस्टरों में अलग-अलग योजनाओं का जिक्र है और उसे बहुत सुंदर तरीके से पार्क के लोहे की दीवार पर टांग दिया गया है. पोस्टरों में कहीं पेंशन योजना का जिक्र है तो कहीं स्वरोजगार योजना का जिक्र है तो कहीं लखनऊ एक्सप्रेस हाई-वे योजना का प्रचार है तो कहीं महिला सशक्तीकरण के पोस्टर लगे हैं.

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लोगों को नहीं भा रहे पोस्टर
यहां घूमने आए लोगों के लिए पार्क की दीवारों पर लगे ये पोस्टर खटक रहे हैं, पार्क घूमने आई मालिनी गुप्ता कहती हैं कि जब पूरे प्रदेश में प्रचार की बाढ़ है तो कम से कम ऐसे पार्कों को छोड़ देना चाहिए था क्योंकि इससे इस पार्क की सुंदरता पर असर पड़ता है.

पार्क के नाम बदले गए
मायावती के कार्यकाल में इस पार्क की सुरक्षा गजब की थी. यहां तक की इस पार्क की सुरक्षा के लिए अलग से अधिकारी और गार्ड तैनात किए गए थे लेकिन अखिलेश यादव के वक्त इसे इसके हाल पर छोड़ दिया गया, कई पार्कों के नाम तक बदल दिए गए. जो पार्क कांशीराम के नाम से थे, उसे जनेश्वर मिश्र के नाम से कर दिया गया. लेकिन अब चुनाव के वक्त मायावती के बनाए यही पार्क अखिलेश यादव के प्रचार के काम आ रहे हैं.

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