नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ ओवैसी ने SC में दाखिल की याचिका

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन जारी है. ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. 

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AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी (फाइल फोटो-PTI) AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी (फाइल फोटो-PTI)

अनीषा माथुर / संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 14 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 3:24 PM IST

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन जारी है. ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. ओवैसी ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके नागरिकता संशोधन कानून को चुनौती दी है.

बता दें कि इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग की ओर से शुक्रवार को नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल हो चुकी है. नागरिकता कानून के खिलाफ याचिकाकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में 18 दिसंबर को सुनवाई हो सकती है.

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जयराम रमेश भी पहुंचे सुप्रीम कोर्ट

इससे पहले, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी शुक्रवार को नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. उन्होंने इस अधिनियम की वैधता को चुनौती दी है और आरोप लगाया है कि यह संविधान के अंतर्गत निहित मूलभूत अधिकारों पर हमला है. याचिका में कहा गया है कि यह अधिनियम अवैध अप्रवासियों के जांच के स्थान पर इसे बढ़ावा देता है और यह राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर के विचित्र अवधारणा से जुड़ा हुआ है.

याचिका की दलील

याचिका के अनुसार, "इस अधिनियम में लाखों लोगों को बाहर करने के मुद्दे को मानवीय और तार्किक आधार पर सुलझाने का प्रयास भी नहीं किया गया और इस बारे में भी पता नहीं है कि उन्हें घर कहां देना है, उन्हें प्रत्यर्पित कहां करना है और उनके मामले को कैसे संभालना है."

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जयराम रमेश का दावा है कि अधिनियम संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का स्पष्ट रूप से उल्लंघन करता है और यह सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित कानून के विपरीत है और इतना ही नहीं यह असम समझौते और अंतर्राष्ट्रीय संविदाओं का भी उल्लंघन करता है.

याचिका के तहत नागरिकता(संशोधन) अधिनियम, 2019 को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की गई है. याचिका में जोर देकर कहा गया है कि यह अधिनियम अंतर्राष्ट्रीय कानून और बाध्यताओं का उल्लंघन करता है, जोकि अंतर्राष्ट्रीय संविदाओं के तहत भारत द्वारा सहमत और स्वीकृत है.

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