कोविड-19 बीमारी के बढ़ते खतरे को देखते हुए दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने बड़ा कदम उठाने का फैसला किया है. एम्स ने ट्रॉमा सेंटर की पूरी बिल्डिंग को कोविड-19 अस्पताल में तब्दील करने का निर्णय लिया है. हालांकि एम्स का काम पहले की भांति चलता रहेगा क्योंकि आइसोलेशन बिल्डिंग तैयार करने में अभी वक्त लगेगा. साथ ही मरीजों को भी उचित वार्ड में शिफ्ट किया जाएगा जिसका काम चल रहा है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, इसकी तैयारियां भी तेजी पकड़ चुकी है. बता दें, एम्स के ट्रॉमा सेंटर का पूरे देश में नाम है जहां एक से एक गंभीर मामलों का इलाज किया जाता है. ट्रॉमा सेंटर खासकर दुर्घटना के मामले निपटाता है. अब यह सेंटर पूरी तरह से कोविड-19 के मरीजों के लिए समर्पित होने जा रहा है. पीटीआई को आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि ट्रॉमा सेंटर में शुरू में 250 बेड बनाए जाएंगे, ताकि कोरोना वायरस के मरीजों को उचित इलाज दिया जा सके. एम्स प्रशासन बहुत जल्द इसकी आधिकारिक घोषणा करने वाला है.
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पीटीआई को सूत्र ने बताया, ट्रॉमा सेंटर की कैजुअल्टी और पूरी इमरजेंसी को एम्स की मेन इमरजेंसी में शिफ्ट किया जा रहा है. ट्रॉमा सेंटर के मरीजों को एम्स हॉस्पिटल के अलग-अलग वार्ड में भेजा जा रहा है. ट्रॉमा सेंटर में फिलहाल 242 बेड हैं जिनमें 18 बेड और जोड़ने की तैयारी है. इन कुल बेड्स में 50 आईसीयू के लिए हैं जबकि 30-40 बेड हाई-डिपेंडेंसी यूनिट के लिए है. इस सेंटर में अभी 70 वेंटिलेटर्स हैं. सूत्र ने बताया कि जरूरत के मुताबिक इस क्षमता में और भी बढ़ोतरी की जाएगी.
एम्स ने कोविड-19 के मैनेजमेंट प्रोटोकॉल के लिए एक टास्क फोर्स का गठन किया है. आने वाले दिनों में कोरोना वायरस से कैसे खतरे पैदा हो सकते हैं, इसे देखते हुए कई कमेटियां बनाई गई हैं. भीड़-भाड़ और कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए अस्पताल ने पहले ही ओपीडी बंद कर दी है. अभी नए मरीजों के दाखिले भी नहीं चल रहे. 24 मार्च से इस पर रोक लगाई गई है. अगले आदेश तक इसे बंद रखने का ऐलान हुआ है.
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