आरुषि हत्याकांडः नूपुर तलवार को हाईकोर्ट ने दी तीन हफ्ते की पेरोल

गाजियाबाद की डासना जेल में आरुषि तलवार हत्याकांड में बंद नूपुर तलवार को इलाहाबाद उच्च न्यायलय ने तीन हफ्ते के लिए पेरोल पर रिहा करने का फरमान जारी कर दिया है. नूपुर को अपनी बीमार मां के पास जाने के लिए पेरोल दी गई है.

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नूपुर ने जुलाई माह के दौरान पेरोल के लिए अर्जी लगाई थी नूपुर ने जुलाई माह के दौरान पेरोल के लिए अर्जी लगाई थी

परवेज़ सागर

  • गाजियाबाद,
  • 06 सितंबर 2016,
  • अपडेटेड 2:19 PM IST

गाजियाबाद की डासना जेल में आरुषि तलवार हत्याकांड में बंद नूपुर तलवार को इलाहाबाद उच्च न्यायलय ने तीन हफ्ते के लिए पेरोल पर रिहा करने का फरमान जारी कर दिया है. नूपुर को अपनी बीमार मां के पास जाने के लिए पेरोल दी गई है.

आज रिहा होंगी नूपुर
डासना कारागार के जेलर आरबी यादव ने बताया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर नूपुर तलवार को मंगलवार की शाम 7 बजकर 20 मिनट पर तीन हफ्ते के लिए रिहा कर दिया जाएगा. दरअसल नूपुर ने अपनी बीमार मां का हवाला देकर जुलाई माह में पेरोल के लिए हाई कोर्ट को आवेदन भेजा था.

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मां की बीमारी का दिया हवाला
नूपुर तलवार ने अपनी अर्जी में हाई कोर्ट को बताया था कि उनकी मां गंभीर रूप से बीमार हैं. उनके सभी भाई बहन विदेशों में रहते हैं. इसलिए उनके आने तक उन्हें पेरोल पर रिहा कर दिया जाए ताकि वे अपनी बीमार मां की देखभाल कर सकें.

हाई कोर्ट ने नूपुर की अर्जी पर संज्ञान लेते हुए इस मामले पर सुनवाई की और 29 अगस्त को उन्हें तीन हफ्ते की पेरोल पर रिहा करने के फरमान पर मुहर लगा दी. पिछले कुछ दिनों से उनके पेरोल के लिए कागजात तैयार किए जाने का काम चल रहा था.

इसके बाद पेरोल से संबंधित सभी दस्तावेज अदालत ने डासना जेल के अधिकारियों को भेज दिए हैं. जिसके बाद मंगलवार की शाम को उन्हें रिहा किया जा रहा है.

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घर में मिली थी बेटी और नौकर की लाश
बताते चलें कि 15 मई 2008 को नोएडा के जलवायु विहार स्थित डॉक्टर राजेश और नूपुर तलवार के मकान संख्या एल-32 में उनकी 14 वर्षीय बेटी आरुषि तलवार और उनके 45 वर्षीय घरेलू नौकर हेमराज की लाश पाई गई थी. दोनों को बेरहमी के साथ कत्ल किया गया था.

सीबीआई को सौंपी गई थी जांच
यह सनसनीखेज दोहरा हत्याकांड खूब चर्चाओं में रहा. पहले इस हत्याकांड की जांच नोएडा पुलिस ही कर रही थी, लेकिन वारदात के दो हफ्ते बाद यह मामला सीबीआई के हवाले कर दिया गया था. सीबीआई ने मामले की जांच पड़ताल शुरू की तो शक की सुई आरुषि के माता-पिता की तरफ ही घूमती रही.

मामला सीबीआई की विशेष अदालत में चल रहा था. तलवार दंपति के खिलाफ 25 मई 2012 को सीबीआई की तरफ से केस दर्ज किया गया था. सीबीआई ने पाया कि हत्या के सारे सबूत भी मिटा दिए गए थे. ऐसे में सीबीआई की नजर में तलवार दंपति ही पहली नजर में गुनाहगार साबित हो रहे थे.

तलवार दंपित को कोर्ट ने माना था दोषी
इसी के आधार पर आखिरकार अदालत ने वर्ष 2013 में डॉक्टर राजेश तलवार और उनकी पत्नी नूपुर तलवार को ही आरुषि और हेमराज की हत्या का दोषी करार दिया. और उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई गई. तभी से दोनों जेल में सजा काट रहे हैं.

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हालांकि तलवार दंपति ने सुप्रीम कोर्ट में खुद को निर्दोष बताते हुए जमानत के लिए अर्जी लगा रखी है लेकिन अभी तक उस पर कोई सुनवाई नहीं हुई है.

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