बिहार बोर्ड ने इंटरमीडिएट परीक्षा में टॉप करने वाले छात्रों की परीक्षाफल की जांच के आदेश दे दिए गए हैं. सोमवार को 'आज तक' ने इंटमीडिएट में टॉप करने वाले छात्रों की असलियत दिखाई थी कि किस तरह उन्हें अपने विषय की बेसिक जानकारी भी नहीं है. इस खबर के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है कि आखिर इतनी निगरानी के बावजूद ऐसे बच्चे कैसे टॉप कर गए. वहीं वैशाली के विशुनदेव राय कॉलेज के पूर्व प्रोफेसर ने कई अहम खुलासे किए हैं.
छात्रों की मौजूदगी में फिर से कॉपी की होगी जांच
बिहार इंटरमीडिएट के टॉप करने वाली रूबी कुमारी को अपने विषय तक की जानकारी न होना 'पॉलिटिकल' साइनंस को 'प्रोडिकल' साइंस कहना या फिर पॉलिटिकल साइंस में खाना बनाने के बारे में पढ़ाए जाने जैसी जानकारी रखने वाली छात्रा पर संकट के बादल छाने लगे हैं. बोर्ड उस छात्रा की कॉपी दोबारा उसके सामने जांचने की प्रक्रिया में जुट गया है. इस दौरान उसके हैंडराइटिंग की जांच भी की जाएगी. यही प्रक्रिया साइंस में टॉप करने वाले छात्र सौरभ श्रेष्ठ पर भी अपनाई जाएगी. कॉपी जांच की प्रक्रिया इसलिए छात्रों के सामने हो रही है क्योंकि आशंका है कि इनकी कॉपी किसी और ने लिखा है.
पटना में हुई थी पहले कॉपी की जांच
विशुनदेव राय महाविद्यालय में प्रोफेसर के पद पर काम कर चुके अमरेन्द्र
कुमार सिंह बताते हैं कि इस कॉलेज की कॉपी, मूल्यांकन केन्द्र से दोबारा
यहां लाई गई थी. यह काम बोर्ड की मिलीभगत के बिना नहीं हो सकता है. प्रोफेसर के मुताबिक वैशाली जिले के सभी इंटरमीडिएट स्कूल और कॉलेज की कॉपी कैमूर जिले के मूल्याकंन केन्द्रों पर भेजी गई थी, केवल विशुनदेव राय कॉलेज की कॉपी पटना के राजेन्द्र नगर स्थित स्कूल में भेजी गई थी. हालांकि बोर्ड की दलील है कि इस कॉलेज के पहले के इतिहास को देखते हुए इस पर विशेष नजर रखने के लिए इसको पटना में ही रखा गया. लेकिन अमरेन्द्र कुमार सिंह का कहना है कि पटना में इस कॉलेज से जुड़े लोगों ने सब कुछ पर्दे के पीछे से अपने हक में करवा लिया.
कॉलेज के पूर्व प्रोफेसर ने खोले कई राज
विशुनदेव राय कॉलेज की स्थापना से 2011 तक उसी कॉलेज में प्रोफेसर रहने वाले अमरेन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि कॉलेज में पढ़ाई लिखाई की कोई सुविधा नहीं है, बल्कि पैसे के हिसाब से ग्रेडिंग होती है जितना पैसा दो उतना नंबर पाओ. इसके लिए कॉलेज में ए, बी, सी, ग्रेड बने हुए हैं. इस कॉलेज में अधिकतर बाहर के छात्र पढ़ते हैं. कई छात्र कोटा या अन्य जगहों पर कोचिंग करते हैं और परीक्षा यहां से देते हैं. वहीं नंबर के आधार पर नियोजित शिक्षक के तौर पर नौकरी भी मिल जाती है इसलिए यहां छात्र अधिक से अधिक पैसा देने के लिए तैयार होते हैं. साथ में इस कॉलेज का बोर्ड में अच्छी पैठ होना भी छात्रों को आकर्षित करता है. पिछले साल इस कॉलेज के 215 छात्रों की कॉपी एक ही हैंडराइटिंग से लिखी गई थी. इस मामले की जांच बिहार बोर्ड ने की थी. जांच में मामला सही पाया गया था. इस कॉलेज को ब्लैक लिस्ट करने का प्रस्ताव भी था, लेकिन कॉलेज ने न सिर्फ मामले को मैनेज किया बल्कि फिर से अपने कॉलेज को टॉप भी कराया.
सीसीटीवी की निगरानी में हुई थी परीक्षा
हालांकि इस बार की परीक्षा में इस कॉलेज पर प्रशासन की विशेष नजर थी. नकल पर नकेल कसने के लिए परीक्षा केन्द्र पर जबरदस्त निगरानी रखी गई थी, सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे. पटना के मूल्यांकन केन्द्र पर भी सीसीटीवी कैमरा था. मूल्यांकन केन्द्र से सीलबंद अंक तालिका बोर्ड के सीनियर अधिकारियों की मौजूदगी में खोली गई. फिर गड़बड़ी कहां हुई ये जांच का विषय है. कॉलेज के प्रिसिंपल बच्चा राय इस मामले को लेकर निश्चित हैं. उनका कहना है कि बच्चों की प्रतिभा पर बेकार शक किया जा रहा है.
बीजेपी ने की कार्रवाई की मांग
इस बीच विपक्ष इस मामले को लेकर काफी गंभीर है. बीजेपी के सीनियर नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा कि पहले भी इस कॉलेज पर आरोप लगे, उसकी जांच हुई लेकिन कार्रवाई कुछ नहीं हुई, इस बार इस मामले को गंभीरता से लेकर जांच के साथ-साथ कार्रवाई भी होनी चाहिए.
अमित कुमार दुबे / सुजीत झा