PM Modi ने तीरंदाज Praveen Jadhav से की बात, कहा- आपके माता-पिता मेरे लिए चैम्पियन

प्रवीण ने सतारा जिले के फलटन तालुका के एक छोटे से गांव सरडे गांव में मोल मजदूरी करने वाले परिवार में जन्म लिया. प्रवीण बचपन से ही तीरंदाजी के लिए गांव में मशहूर थे. बचपन में 12 से 13 साल की उम्र में सबसे पहली बार चौथी कक्षा में उन्होंने तीरंदाजी का अपना हुनर गांव में बताया.

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पीएम मोदी ने प्रवीण जाधव से की बात पीएम मोदी ने प्रवीण जाधव से की बात

aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 13 जुलाई 2021,
  • अपडेटेड 3:59 PM IST
  • प्रवीण जाधव टोक्यो ओलंपिक में ले रहे हैं हिस्सा
  • पूरे सातारा जिले का नाम किया रोशन

महाराष्ट्र के सातारा जिले के प्रवीण जाधव टोक्यो ओलंपिक में हिस्सा ले रहे हैं. प्रवीण जाधव ने मजदूरी करने वाले अपने माता-पिता का गर्व से सर तो ऊंचा किया ही है. इसके साथ ही पूरे सातारा जिले का नाम भी रोशन कर दिया. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सातारा के प्रवीण जाधव का नाम लेते हुए उन्हें शाबाशी दी है. 

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ओलंपिक के लिए तीरंदाजी में चुने गए प्रवीण ने हर प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करते हुए जिंदगी की चुनौतियों को स्वीकार किया है. सातारा का नाम रोशन करने वाले प्रवीण के पास बचपन से ही तीरंदाजी के लिए कोई साधन सामग्री नहीं थी. लेकिन अपने बलबूते पर प्रवीण ने हर मुश्किल काम आसान कर दिखाया.

प्रवीण ने सातारा जिले के फलटन तालुका के एक छोटे से गांव सरडे गांव में मोल मजदूरी करने वाले परिवार में जन्म लिया. प्रवीण बचपन से ही तीरंदाजी के लिए गांव में मशहूर थे. बचपन में 12 से 13 साल की उम्र में सबसे पहली बार चौथी कक्षा में उन्होंने तीरंदाजी का अपना हुनर गांव में बताया. उन्होंने फलटन तालुका में अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी की. आगे प्रबोधिनी स्कॉलरशिप लेते हुए वह औरंगाबाद गए और फिर दिल्ली में तीरंदाजी का प्रशिक्षण लिया. गांव के कुछ लोगों ने इस काम में प्रवीण को सपोर्ट भी किया.

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पीएम नरेंद्र मोदी ने टोक्यो ओलंपिक में हिस्सा लेने जा रहे 15 भारतीय खिलाड़ियों से बात की. उन्होंने तीरंदाज प्रवीण जाधव से उनकी कहानी जानी. 

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पीएम मोदी ने मंगलवार को प्रवीण जाधव से पूछा, 'आप तो पहले एथलीट बनना चाह रहे थे, फिर तीरंदाज कैसे बन गए. ये बदलाव कैसे हुआ?' प्रवीण ने जवाब देते हुए कहा, 'पहले मैं एथलीट था लेकिन मेरा शरीर कमजोर था. मुझे मेरे कोच ने कहा कि आप दूसरे खेल में अच्छा कर सकते हो. इसके बाद मुझे आर्चरी गेम दिया गया. मैंने अमरावती में काफी प्रैक्टिस की. मैं गरीब था और मुझे लगा कि अगर मैंने मेहनत नहीं की तो घर जाकर मजदूरी करनी पड़ेगी. इससे अच्छा तो आर्चरी ही करूं. मैं कामयाब रहा. मैंने सोचा हार मान लूंगा तो सब खत्म हो जाएगा. इसलिए मैंने पूरी कोशिश की.'

पीएम ने प्रवीण कुमार से आगे बात करते हुए कहा कि आपके माता-पिता भी मेरे लिए चैंपियन हैं. आपने बेटे को मजदूरी करते हुए भी चैंपियन बनाया. आपने दिखाया कि मेहनत और ईमानदारी की क्या ताकत होती है. प्रवीण ने दिखा दिया कि ग्रासरूट पर सही चयन हो तो प्रतिभा क्या नहीं कर सकती. आप जापान में जमकर खेलिएगा. अपने पर किसी तरह का दबाव मत आने दीजिएगा.

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