अनुभवी विकास कृष्ण (69 किग्रा) शनिवार को स्थानीय प्रबल दावेदार सेवोनरेट्स क्विंकी मेनसाह ओकाजावा के खिलाफ भारत के मुक्केबाजी ओलंपिक अभियान की शुरुआत करेंगे. विकास रयोगोकू कोकुगिकान एरीना में होने वाली मुक्केबाजी स्पर्धाओं के शुरुआती दिन रिंग में उतरने वाले एकमात्र भारतीय मुक्केबाज होंगे, इसी वजह से उन्होंने उद्घाटन समारोह में नहीं जाने का फैसला किया.
भारतीय मुक्केबाजों को पदक दौर तक पहुंचने के लिए कई चुनौतीपूर्ण बाधाओं को पार करना होगा. 29 साल के विकास अपने तीसरे और शायद अंतिम ओलंपिक में पदक जीतने के लिए बेताब होंगे. उन्होंने सभी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक जीते हैं, जिसमें विश्व चैम्पियनशिप पदक भी शामिल है. उन्होंने खेलों से पहले कहा था, ‘मैं इस समय पूरी तरह से तैयार हूं, इससे ज्यादा तैयार नहीं हो सकता.’
विकास के प्रतिद्वंद्वी ओकाजावा ने 2019 एशियाई चैम्पियनशिप में रजत पदक जीता था और इसी साल विश्व चैम्पियनशिप के क्वार्टर फाइनल में भी पहुंचे थे. अगर हरियाणा का मुक्केबाज पहले दौर की इस बाधा को पार कर लेता है, तो राउंड 16 में उनका सामना क्यूबा के तीसरे वरीय रोनियल इग्लेसियास से होगा जो 2012 ओलंपिक के स्वर्ण पदक विजेता और पूर्व विश्व चैम्पियन हैं.
भारत के 9 मुक्केबाज खेलों में हिस्सा ले रहे हैं, जिन्हें गुरुवार को मुश्किल ड्रॉ मिला. मुक्केबाजी दल से 2016 रियो खेलों की निराशा की भरपाई करने की उम्मीद है, जिसमें देश कोई पदक नहीं जीत सका था. भारत को मुक्केबाजों ने 2008 और 2012 में कांस्य पदक दिलाए थे.
शीर्ष वरीय और दुनिया के नंबर एक मुक्केबाज अमित पंघल (52 किग्रा) उन 4 मुक्केबाजों में से एक हैं, जिन्हें बाई मिली है. जिससे वे प्री-क्वार्टर फाइनल से ही अपना अभियान शुरू करेंगे. लेकिन पदक दौर की राह किसी के लिए भी आसान नहीं दिखती.
पंघल 31 जुलाई को प्री-क्वार्टर फाइनल में रिंग में उतरेंगे. उनकी भिड़ंत बोत्सवाना के मोहम्मद रजब ओतुकिले और कोलंबिया के हर्नी रिवास मार्टिनेज के बीच होने वाले मुकाबले के विजेता से होगी. मार्टिनेज रियो ओलंपिक में लाइट फ्लाइवेट में रजत पदक जीत चुके हैं.
रविवार को 6 बार की विश्व चैम्पियन एमसी मेरीकॉम (51 किग्रा) अपना अभियान डोमिनिका की मिगुलिना हर्नानडेज के खिलाफ शुरू करेंगी. अपने दूसरे ओलंपिक पदक की कवायद में लगीं मेरीकॉम अगले दौर में कोलंबिया की तीसरी वरीयता प्राप्त लोरेना विक्टोरिया वेलेंसिया का सामना कर सकती हैं, जो 2016 ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता और पैन अमेरिकी खेलों की चैम्पियन हैं.
एशियाई खेलों के पूर्व कांस्य पदक विजेता सतीश कुमार (91 किग्रा से अधिक) को भी पहले दौर में बाई मिली है. वह ओलंपिक में भाग लेने वाले भारत के पहले सुपर हैवीवेट मुक्केबाज हैं. महिलाओं के वर्ग में लवलीना बोरगोहेन (69 किग्रा) और सिमरनजीत कौर (60 किग्रा) को भी बाई मिली है.
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