टीम इंडिया ने ब्रिस्बेन में इतिहास रच दिया. भारतीय क्रिकेट टीम ने सीरीज चौथे और अंतिम टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया को 3 विकेट से धूल चटाते हुए टेस्ट सीरीज पर 2-1 से कब्जा कर लिया. इस निर्णायक मैच में 29 साल के शार्दुल ठाकुर ने अपने कमाल के प्रदर्शन से चौंकाया.
ब्रिस्बेन टेस्ट में तेज गेंदबाज शार्दुल ठाकुर न सिर्फ 7 विकेट झटके, बल्कि पहली पारी में बेशकीमती 67 रन भी बनाए. इसके अलावा शार्दुल ने मैच में दो बेहतरीन कैच लपके. पहली पारी में बल्ले के साथ शार्दुल ने तब मोर्चा संभाला, जब 186 के स्कोर पर भारत के 6 विकेट गिरे चुके थे. उस समय ऑस्ट्रेलिया के स्कोर से भारत 183 रन पीछे था. शार्दुल अगर 67 रन नहीं बनाते तो ऑस्ट्रेलिया को बड़ी बढ़त मिल जाती और इस मैच की तस्वीर ही कुछ और होती.
शार्दुल ठाकुर ने अक्टूबर 2018 में वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट डेब्यू किया था. लेकिन उनके लिए यह बुरा सपना साबित हुआ, क्योंकि इस तेज गेंदबाज को केवल 10 गेंदें करने के बाद मांसपेशियों में खिंचाव के कारण मैदान छोड़ना पड़ा था.
शार्दुल की कामयाबी के पीछे उस शख्स का हाथ है, जिसे कभी श्रेय नहीं दिया गया. और ये हैं शार्दुल के बचपन के कोच दिनेश लाड की पत्नी. उनकी पत्नी ने अपने घर में शार्दुल की उम्र की ही अपनी बेटी के होने के बावजूद उन्हें (शार्दुल को) मुंबई के बोरीवली में अपने दो कमरों के फ्लैट में रहने दिया था.
शार्दुल को साथ रखना एक मुश्किल फैसला था, लेकिन मुंबई के कोच के सामने शार्दुल की प्रतिभा को बाहर लाने का यही एक रास्ता था. दरअसल, शार्दुल बोरीवली से 86 किमी दूर पालघर में रहते थे और लाड नहीं चाहते थे कि यह बेहतरीन प्रतिभा किसी मुश्किल में पड़ जाए.
दिनेश लाड ने एक इंटरव्यू में कहा, 'मैंने शार्दुल को 2006 में मुंबई में हमारी स्कूल टीम स्वामी विवेकानंद इंटरनेशनल स्कूल के खिलाफ खेलते हुए देखा था. तारापुर विद्या मंदिर के लिए खेलते हुए शार्दुल ने 78 रन बनाए और 5 विकेट भी झटके थे. तभी मैंने उन्हें अपने स्कूल टीम में शामिल करने का फैसला किया. मैंने उनके पिता से कहा कि शार्दुल में बहुत प्रतिभा है और वह शीर्ष स्तर की क्रिकेट खेल सकता है.
दिनेश लाड ने कहा, 'हालांकि उनके पिता ने यह कहते हुए मना कर दिया कि शार्दुल ने 10वीं की बोर्ड परीक्षा दी थी और पालघर से मुंबई तक का सफर ढाई घंटे से अधिक का था, जो बहुत मुश्किल था. फिर मैंने अपनी पत्नी से बात की और उनसे पूछा कि क्या हम अपने घर पर एक लड़के को रख सकते हैं, ताकि वह यहां मुंबई में खेल सके. मेरी पत्नी राजी हो गई और हम उन्हें अपने घर ले आए.'
लाड ने माना कि शुरू में वह और उनकी पत्नी थोड़ा हिचकिचा रहे थे क्योंकि उनकी बेटी भी शार्दुल की एक उम्र की ही थी और किसी अनजान को घर पर रखना थोड़ा जोखिम भरा था.
दिनेश लाड अपने स्कूल में भारतीय सलामी बल्लेबाज रोहित शर्मा को कोचिंग दे चुके थे. उन्होंने कहा, 'बोरीवली में हमारा एक टू बीएचके फ्लैट था. शुरू में, हम अनिच्छुक थे, क्योंकि हमारी भी एक बेटी थी जो शार्दुल की उम्र की थी, या शायद एक साल कम की थी. यह एक जोखिम था. लेकिन हमने उन्हें अपने घर पर रहने दिया. हमने उनसे कोई पैसा नहीं लिया. मैंने उन्हें अपने स्कूल में दाखिला दिलाया और वह हमारे साथ सालभर रहे.'
ऑस्ट्रेलिया के 2020-21 के दौरे पर मोहम्मद शमी के चोटिल होने के बाद ठाकुर को केवल वनडे टीम में शामिल किया गया था. लेकिन बाद में उन्हें शमी के स्थान पर टेस्ट में शामिल किया गया.
ठाकुर को इसके बाद ब्रिस्बेन में चोटिल जसप्रीत बुमराह के स्थान पर टीम में चुना गया और उन्होंने 7 विकेट निकाले. इस प्रदर्शन के चलते ही उन्हें इंग्लैंड के साथ होने वाली 4 मैचों की टेस्ट सीरीज के पहले दो टेस्ट के लिए भी चुना गया है.
शार्दुल ने चौथे टेस्ट की पहली पारी में वॉशिंगटन सुंदर के साथ 7वें विकेट के लिए 123 रनों की साझेदारी कर ऑस्ट्रेलिया को बड़ी बढ़त लेने से रोक दिया. ठाकुर (67) और सुंदर (62) के बीच 7वें विकेट के लिए हुई शतकीय साझेदारी के दम पर भारतीय क्रिकेट टीम ब्रिस्बेन टेस्ट में अपनी पहली पारी में 336 रनों का स्कोर खड़ा कर सकी.
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