Lalit Upadhyay Interview, Paris Olympics: 'मैं कोई जादूगर नहीं...', भारतीय हॉकी टीम की यादगार जीत पर भावुक हुए ललित उपाध्याय

भारतीय हॉकी टीम ने लगातार दूसरे ओलंपिक गेम्स में ब्रॉन्ज जीता है. इससे पहले टोक्यो ओलंपिक में हॉकी टीम यह कामयाबी हासिल करने में सफल रही थी. भारतीय हॉकी टीम की जीत के बाद ललित उपाध्याय ने आजतक से खास बात की.

Advertisement
Lalit Kumar Upadhyay (@Getty Images) Lalit Kumar Upadhyay (@Getty Images)

निखिल नाज़

  • पेरिस,
  • 09 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 6:37 PM IST

पेरिस ओलंपिक 2024 में भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए ब्रॉन्ज मेडल जीता. 8 अगस्त को खेले गए ब्रॉन्ज मेडल मुकाबले में भारतीय हॉकी टीम ने स्पेन को 2-1 से हराया. भारतीय टीम ने लगातार दूसरे ओलंपिक गेम्स में ब्रॉन्ज जीता है. इससे पहले टोक्यो ओलंपिक में हॉकी टीम यह कामयाबी हासिल करने में सफल रही थी.

भारतीय हॉकी टीम की जीत के बाद ललित उपाध्याय ने आजतक से खास बात की है. ललित उपाध्याय ने भी भारतीय टीम के इस शानदार प्रदर्शन में अहम भूमिका निभाई. ललित वाराणासी से ताल्लुक रखते हैं, जो पीएम नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है. ललित ने ग्रेट ब्रिटेन के खिलाफ क्वार्टर फाइनल मैच में शूटआउट के दौरान यादगार गोल दागा था.

Advertisement

ललित उपाध्याय ने कहा, ;टोक्यो का मेडल इसलिए स्पेशल था क्योंकि हम हॉकी की बात करते थे. उस समय 41 साल बाद जो बैरियर ब्रेक हुआ था, वो जीतने का जज्बा अलग था. इस बार ये था कि हमलोग ये माइंडसेट लेकर उतरे थे कि हमें गोल्ड के नीचे बात ही नहीं करनी है. जब हम 41 साल बाद ब्रॉन्ज जीत सकते हैं तो हम गोल्ड भी क्यों नहीं जीत सकते. हम सेमीफाइनल में हार गए थे, लेकिन वह मुकाबला टक्कर का था. इस मेडल की अहमियत उतनी ही ज्यादा है जितना पिछले वाले का था. उस खेल में लगातार दो बार मेडल लाना, जिसका प्रदेशवासी सपना देखते थे.'

इस दिग्गज की तरह बनना चाहते थे ललित

ललित ने आगे कहा, 'मैं कोई जादूगर नहीं हूं, जैसे सब प्रैक्टिस करते हैं वैसे ही मैं करता हूं. मैं बनारस से ताल्लुक रखता हूं. मैने जब हॉकी खेलना शुरू किया था तो मोहम्मद शाहिद सर (दिवंगत हॉकी प्लेयर) का नाम सुनता था. लोग उन्हें ड्रिबल किंग बताते थे. मैं उनसे एक मैच में मिला था. बस यही सपना था... उनकी तरह बनने का. यह कहते-कहते ललित भावुक भी हो गए.

Advertisement

बता दें कि मोहम्मद शाहिद मास्को ओलंपिक 1980 में आठवां और आखिरी गोल्ड मेडल जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के सदस्य थे. वाराणसी के रहने वाले शाहिद ने सत्तर के दशक के आखिर में और 80 के दशक की शुरुआत में अपनी स्टिक की जादूगरी से दुनिया भर को मुरीद बनाया. शाहिद ने अपनी ड्रिबलिंग की कला से हॉकी की दुनिया में धूम मचाई. शाहिद ने 20 जुलाई 2016 को दुनिया को अलविदा कह दिया था.

ललित कहते हैं, 'टोक्यो में मेरा पहला ओलंपिक था. मेडल हम जीते थे, लेकिन जश्न पूरा देश मना रहा था. इतनी सालों से हमने जो कहानी सुनी थी वो सच है. हॉकी को लोग दिल से मानते हैं और दिल से देखना चाहते हैं. ऐसे-ऐसे हमें मिले, जिन्हें लगता है कि हमलोग क्या जीतकर ला दिए. हॉकी एक इमोशन है. कंट्री में इतने ज्यादा लोग हॉकी देखने लगे हैं. हॉकी का जो स्वर्णिम युग रहा है, उसमें अब लगातार दो मेडल जीतकर हमने एक अध्याय जोड़ने का काम किया है. विराट कोहली जैसे प्लेयर्स को पर्सनल रिस्पेक्ट है. उन्होंने कंट्री के लिए बहुत-कुछ किया है.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement