इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2021 के मंच पर भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान रानी रामपाल और गोलकीपर सविता पूनिया ने शनिवार को हिस्सा लिया. दोनों खिलाड़ियों ने ओलंपिक में मेडल से सिर्फ एक कदम पीछे रह जाने और ओलंपिक के बाद देश में आए बदलाव का ज़िक्र किया, साथ ही बताया कैसे टीम अभी से ही पेरिस ओलंपिक की तैयारियों में जुट गई है.
टीम की कप्तान रानी रामपाल ने बताया कि 2016 हमारे लिए पहला ओलंपिक था, जब हमने एक भी मैच नहीं जीता था. लेकिन वो हमारे लिए टर्निंग प्वाइंट था, क्योंकि हमने प्रेशर को झेलना सीखा था. इस बार का ओलंपिक हमारे लिए नए विश्वास के साथ आया था, हम दो मैच हारे थे लेकिन उसमें अच्छा गेम खेला और उसी वजह से हम आगे अच्छा कर पाए.
रानी बोलीं कि कोरोना के टाइम पर प्लेयर्स में डर था, क्योंकि कुछ खिलाड़ियों को कोरोना हुआ था हर कोई क्वारनटीन में था. हर किसी को अपने परिवार के लिए डर था, क्योंकि देश में हालत काफी बिगड़ चुकी थी.
देश में आए बदलाव को लेकर रानी ने कहा कि इस ओलंपिक ने लोगों को महिला हॉकी के प्रति सम्मान बढ़ाया है, अब लोग सुबह उठकर महिला हॉकी मैच देख रहे हैं. ये बदलाव बताता है, मेरी भतीजी भी अब हॉकी खेलने को तैयार है.
‘जब कोच ने गुस्से में नहीं किया था लंच’
ओलंपिक में शानदार खेल दिखाने वालीं गोलकीपर सविता पूनिया ने बताया कि वह 2016 ओलंपिक में अपने प्रदर्शन से खुश नहीं थीं, इसलिए तभी से हम इस टारगेट को लेकर चल रहे थे. जब इस ओलंपिक में हमने शुरुआत में अच्छे मैच नहीं खेले, तब हमारे कोच नाराज़ हो गए थे और हमारे साथ लंच भी नहीं किया था. क्योंकि वो जानते थे कि हम अच्छा कर सकते थे, लेकिन कर नहीं पाए.
सविता ने बताया कि इस ओलंपिक से पहले हमारी टीम के प्लेयर्स को जॉब नहीं मिल रही थी, लेकिन अब ओलंपिक के बाद जॉब के ऑफर्स आने लगे. हमने इसको पॉजिटिव लिया क्योंकि जबतक हम कुछ परफॉर्म नहीं करेंगे, तबतक कुछ अच्छा नहीं होगा.
गौरतलब है कि महिला हॉकी टीम ने इस बार टोक्यो ओलंपिक के सेमीफाइनल में जगह बनाई थी, जो एक इतिहास था. हालांकि टीम मेडल जीतने से चूक गई थी, लेकिन देश में उनके प्रदर्शन ने काफी वाहवाही बटोरी.
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