National Sports Governance Bill: बदल जाएगा खेलों का तौर-तरीका! जानिए नए स्पोर्ट्स बिल से होंगे क्या-क्या बड़े बदलाव

नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल भारत में खेल प्रशासन को पारदर्शी, जवाबदेह और खिलाड़ियों के अनुकूल बनाने के उद्देश्य से लोकसभा में प्रस्तुत किया गया है. इसका लक्ष्य खेल संघों में बेहतर संचालन, निष्पक्ष चुनाव, और विवादों के त्वरित समाधान को सुनिश्चित करना है.

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बीसीसीआई को राष्ट्रीय खेल संघ (NSF) के रूप में राष्ट्रीय खेल बोर्ड (NSB) के साथ पंजीकरण कराना होगा. (Photo- PTI) बीसीसीआई को राष्ट्रीय खेल संघ (NSF) के रूप में राष्ट्रीय खेल बोर्ड (NSB) के साथ पंजीकरण कराना होगा. (Photo- PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 5:52 PM IST

राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक (National Sports Governance Bill) बुधवार को लोकसभा में प्रस्तुत किया गया. हालांकि इसके कानून बनने में अभी समय है, फिर भी इसको पेश किया जाना ही भारत के खेल प्रशासन को नया रूप देने और मानकीकृत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

इस विधेयक की मुख्य विशेषताओं पर एक नजर डालते हैं. यह देश में खेल शासन के कई पहलुओं तथा खिलाड़ियों और प्रशासकों के लिए शिकायत निवारण प्रणाली को पूरी तरह से सुधारने का वादा करता है.

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उम्र और कार्यकाल सीमा

इस बिल के अनुसार, खेल संघों में अध्यक्ष, महासचिव और कोषाध्यक्ष के पद पर एक व्यक्ति केवल तीन लगातार कार्यकाल (कुल 12 साल) तक रह सकता है. आयु सीमा 70 वर्ष रखी गई है, लेकिन अगर अंतरराष्ट्रीय नियम अनुमति दें तो नामांकन के समय यह सीमा 75 साल तक बढ़ाई जा सकती है.

किसी भी खेल संस्था की कार्यकारी समिति की अधिकतम सदस्य संख्या 15 रखी गई है, ताकि संघ पर वित्तीय दबाव कम हो. इसमें कम से कम दो उत्कृष्ट खिलाड़ी और चार महिलाओं को शामिल करना अनिवार्य होगा.

यह प्रावधान खेल प्रशासन में लैंगिक समानता सुनिश्चित करने और खिलाड़ियों को निर्णय प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भागीदार बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रयासों के अनुरूप है.

राष्ट्रीय खेल बोर्ड (National Sports Board - NSB)

विधेयक की सबसे चर्चा में रहने वाली विशेषता राष्ट्रीय खेल बोर्ड (NSB) है, जिसे सभी राष्ट्रीय खेल संघों (NSFs) को मान्यता देने या निलंबित करने का सर्वोच्च अधिकार होगा. इसके अलावा यह बोर्ड खिलाड़ी कल्याण के लिए अंतरराष्ट्रीय संघों के साथ 'सहयोग' भी कर सकेगा.

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एनएसबी में एक अध्यक्ष होगा और इसके सदस्यों की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा ‘योग्य, ईमानदार और प्रतिष्ठित व्यक्तियों’ के बीच से की जाएगी. ये नियुक्तियां एक खोज सह चयन समिति (search-cum-selection committee) की सिफारिशों के आधार पर की जाएंगी, जिसके अध्यक्ष कैबिनेट सचिव या खेल सचिव होंगे.

इस समिति के अन्य सदस्य होंगे- भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) के महानिदेशक, दो अनुभवी खेल प्रशासक जो किसी राष्ट्रीय खेल संगठन में अध्यक्ष, महासचिव या कोषाध्यक्ष रह चुके हों, और एक प्रसिद्ध खिलाड़ी जिसे द्रोणाचार्य, खेल रत्न या अर्जुन पुरस्कार मिला हो.

बोर्ड को यह अधिकार दिया गया है कि वह किसी राष्ट्रीय खेल संगठन की मान्यता रद्द कर सकता है, अगर वह अपनी कार्यकारिणी समिति के चुनाव समय पर नहीं कराता या चुनाव प्रक्रिया में गंभीर गड़बड़ियां पाई जाती हैं.

इसके अलावा यदि कोई खेल संगठन अपनी सालाना ऑडिट की हुई लेखा रिपोर्ट प्रकाशित नहीं करता या सार्वजनिक धन का दुरुपयोग, गलत इस्तेमाल या हेराफेरी करता है, तो राष्ट्रीय खेल बोर्ड (NSB) उसकी मान्यता निलंबित कर सकता है. हालांकि ऐसा कदम उठाने से पहले बोर्ड को संबंधित वैश्विक संस्था से परामर्श करना आवश्यक होगा.

सिर्फ वही खेल संगठन जिन्हें मान्यता मिली होगी, वे ही केंद्र सरकार से पैसे या मदद ले सकेंगे.

राष्ट्रीय खेल न्यायाधिकरण (National Sports Tribunal)

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खेल मंत्रालय के अनुसार, देश की अलग-अलग अदालतों में इस समय चयन से लेकर चुनाव तक के मामलों से जुड़ी 350 से ज्यादा केस चल रहे हैं, जो खिलाड़ियों और राष्ट्रीय खेल संघों (NSFs) के कामकाज में बड़ी रुकावट बन रहे हैं. इसे खत्म करने के लिए राष्ट्रीय खेल न्यायाधिकरण बनाया जाएगा, जिसे 'सिविल कोर्ट जैसी सभी शक्तियां दी जाएंगी.

इस न्यायाधिकरण में एक अध्यक्ष और दो अन्य सदस्य होंगे. अध्यक्ष कोई वर्तमान या सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश या किसी हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश होंगे.

इस न्यायाधिकरण में नियुक्तियां भी केंद्र सरकार द्वारा की जाएंगी, लेकिन एक समिति की सिफारिशों के आधार पर. इस समिति की अध्यक्षता भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) या उनके द्वारा नामित सुप्रीम कोर्ट के किसी न्यायाधीश द्वारा की जाएगी. समिति में खेल सचिव और कानून एवं न्याय मंत्रालय के सचिव भी सदस्य होंगे.

केंद्र सरकार के पास इस न्यायाधिकरण के सदस्यों को हटाने का अधिकार होगा, अगर वे किसी नियम का उल्लंघन करते हैं- जैसे वित्तीय गड़बड़ियां या 'सार्वजनिक हित के खिलाफ' कोई कार्रवाई.

इस न्यायाधिकरण के आदेशों के खिलाफ केवल सुप्रीम कोर्ट में अपील की जा सकेगी. इससे यह सुनिश्चित होगा कि खेल से जुड़े विवादों का निपटारा किसी निचली अदालत में नहीं होगा, जिससे न्याय प्रक्रिया तेज और स्थिर बनेगी.

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अपील न्यायाधिकरण के निर्णय के 30 दिनों के भीतर दायर करनी होगी, लेकिन यदि यह समय सीमा खत्म हो जाए तो सुप्रीम कोर्ट यह तय करने का अधिकार रखेगी कि क्या अपील स्वीकार की जा सकती है या नहीं.

राष्ट्रीय खेल चुनाव पैनल

यह पैनल भी केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय खेल बोर्ड की सिफारिश पर नियुक्त किया जाएगा. इसमें भारत के चुनाव आयोग या राज्य चुनाव आयोग के सेवानिवृत्त सदस्य, राज्यों के सेवानिवृत्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी या उप निर्वाचन आयुक्त शामिल होंगे, जिनके पास 'पर्याप्त अनुभव' होगा.

यह पैनल खेल संगठनों की कार्यकारिणी समितियों और खिलाड़ियों की समिति के स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों की निगरानी करने के लिए 'निर्वाचन अधिकारी' के रूप में काम करेगा.
बोर्ड राष्ट्रीय खेल चुनाव पैनल का एक रोस्टर बनाएगा.

सूचना का अधिकार (RTI)

सभी मान्यता प्राप्त खेल संगठन सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत आ जाएंगे, खासकर अपने कार्यों, कर्तव्यों और शक्तियों के संबंध में.

यह बात मंत्रालय और बीसीसीआई के बीच विवाद का कारण बन सकती है, क्योंकि क्रिकेट को ओलंपिक खेल बनने के बाद बीसीसीआई को राष्ट्रीय खेल संघ (NSF) के रूप में राष्ट्रीय खेल बोर्ड (NSB) के साथ पंजीकरण कराना होगा. क्रिकेट टी20 फॉर्मेट में 2028 के ओलंपिक खेलों में अपना डेब्यू करने वाला है.

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क्रिकेट बोर्ड ने इस प्रावधान का कड़ा विरोध किया है क्योंकि वह अपनी गतिविधियों के लिए सरकार के फंड पर निर्भर नहीं है. इसलिए बीसीसीआई के इस नियम से सहमत होने की संभावना बहुत कम है.

सरकार की विवेकाधीन शक्तियां

कोई भी खेल संगठन यदि ‘भारत’ या ‘भारतीय’ या ‘राष्ट्रीय’ शब्द या किसी भी राष्ट्रीय प्रतीक या चिह्न का उपयोग करना चाहता है, तो उसे केंद्र सरकार से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) लेना होगा.

अगर केंद्र सरकार को 'सार्वजनिक हित में आवश्यक और उचित. लगे, तो वह विधेयक की किसी भी व्यवस्था को ‘ढील’ देने का अधिकार भी रखेगी.

इसके अलावा, सरकार राष्ट्रीय खेल बोर्ड या किसी अन्य व्यक्ति या संस्था को इस विधेयक की व्यवस्थाओं के 'प्रभावी प्रशासन' के लिए आवश्यक निर्देश भी दे सकती है.

सरकार को असाधारण परिस्थितियों और राष्ट्रीय हित में किसी संबंधित खेल की राष्ट्रीय टीम की भागीदारी पर 'उचित प्रतिबंध लगाने' का अधिकार भी दिया जाएगा.
 

इनपुट - PTI

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