आईपीएल के 30वें मैच में राजस्थान रॉयल्स और कोलकाता नाइट राइडर्स आमने-सामने थीं. पहले बल्लेबाज़ी करते हुए राजस्थान ने 217 रन बनाये. जॉस बटलर ने इस संस्करण का दूसरा शतक भी जमा दिया. जवाब में कोलकाता नाइट राइडर्स ने भी पहले झटके के बाद खेल को पटरी पर बनाये रखा लेकिन फिर ऐन मौके पर चहल की हैट्रिक ने बल्लेबाज़ी की रीढ़ तोड़ दी. 7 रनों से मामला राजस्थान रॉयल्स के हक़ में ही रहा. फ़िलहाल टूर्नामेंट की नीली और नारंगी टोपियां राजस्थान रॉयल्स के खिलाड़ियों युजवेंद्र चहल और जॉस बटलर के पास ही हैं.
लेकिन इन सभी मौकों और बड़े-बड़े फ़िगर्स के बीच एक शानदार गेंद अंडर-रेटेड रह गयी. वो गेंद जिसने आंद्रे रसल को चलता किया. आंद्रे कुछ ही गेंदों के अंतर में खेल को उसकी धुरी पर पलट देने के लिये जाने जाते हैं. ऐसे में चेज़ के दौरान उनका सस्ते में निपटना, हर टीम के प्लान में सबसे ऊपर रहता है. और उनका पहली ही गेंद पर आउट हो जाना सपने के सच हो जाने जैसा है. राजस्थान के लिये इस सपने को सच किया इस साल उनके खेमे में आये रविचंद्रन अश्विन ने.
नितीश राणा के जाने के बाद जब रसेल बल्लेबाज़ी के लिये आये तो उनके आईपीएल के आंकड़े दिखाए गए. मालूम पड़ा कि उन्होंने प्रति सैकड़ा गेंद 179 की दर से रन बनाये थे और टूर्नामेंट में अब तक 1879 रन बना चुके थे. ये आंकड़े उनकी तबाह कर देने वाली बल्लेबाज़ी की गवाही दे रहे थे. ऐसे में पहली ही गेंद पर उन्हें चलता कर देना अश्विन की उस गेंद को और भी कीमती बना रहा था. लेकिन असल जादू तो कहीं और था. अश्विन की अंगुलियों ने उसे जिस तरह से धकेला था, रसेल उसे कतई पढ़ नहीं पाये.
कोलकाता नाइट राइडर्स को 42 गेंदों में 70 रन चाहिये थे. रनों की गति बढ़ाने का प्लान था. आंद्रे रसेल ऐसे मौकों के लिये एकदम मुफ़ीद थे. पहली 2 डॉट गेंदें खेलने के बाद कप्तान श्रेयस ऐय्यर ने लेग साइड में गेंद को धकेला और दौड़ते हुए रसेल को दूसरे रन की कोशिश करने को कहा. मगर ऐसा नहीं हुआ और ओवर की चौथी गेंद के लिये सामने रसेल खड़े थे. रसेल ने चारों ओर नज़र घुमाकर फ़ील्डिंग का जायज़ा लिया और क्रीज़ पर बल्ला पटककर गेंद का इंतज़ार करने लगे.
अश्विन अम्पायर के पीछे से ओवर द विकेट आये और एक कूद के साथ क्रीज़ के बायें कोने में पहुंच गए. गणित भिड़ाते रहने वाले दिमाग ने पूरी तैयारी कर रखी थी. गेंद फेंकने के लिये कोण बन चुका था. बाकी का काम अंगूठे और तर्जनी उंगली को करना था. गेंद हाथ से निकली तो कैरम बॉल कहलायी. गुड लेंथ पर मिडल स्टम्प की लाइन में पड़ी उस गेंद को आंद्रे रसल वहीं निष्क्रिय कर देना चाहते थे. वो सीधा, सधा बल्ला सामने रख चुके थे. लेकिन होना कुछ और था. गेंद पड़ी तो बाल भर घूम भी गयी. घूमी, लेकिन बाहर की ओर. आंद्रे रसेल धोखा खा चुके थे. गेंद ने ऑफ़ स्टम्प का ऊपरी हिस्सा हिला दिया था. गिल्ली उड़ चुकी थी और स्टम्प जगमगा चुका था. आंद्रे रसेल बल्ला बाहर लाये लेकिन मैच में उनका खाता बंद हो चुका था.
रविचंद्रन अश्विन सभी को बता रहे थे कि सब कुछ उनका किया-धरा था. वो कोलकाता नाइटराइडर्स को मिली उस चोट की पूरी ज़िम्मेदारी ले रहे थे. उनके जश्न से सभी बातें साफ़ थीं.
अश्विन की फेंकी ये टूर्नामेंट के इस संस्करण की सबसे बेहतरीन गेंद (यदि नहीं तो यकीनन सबसे बेहतरीन गेंदों में से एक) है. जिस मौके पर ये गेंद आयी, वो भी बेहद नाज़ुक था और इसने बहुत हद तक कोलकाता को मुश्किल में डाल दिया था. बाकी का काम चहल ने 17वें ओवर में किया जहां उन्होंने 2 रन देकर 4 विकेट्स निकाले.
मगर खेल के दर्शक होने के नाते, चहल के पंजे, बटलर की सेंचुरी, ऐय्यर के अच्छे शॉट्स के बीच हमें लम्बे समय तक याद रखने वाली कोई शै मिली तो वो थी 14वें ओवर की चौथी गेंद, जिसने रसेल का काम तमाम कर दिया. ये उन गेंदों में से एक है जिसे सालों बाद यूट्यूब (अगर बीसीसीआई का स्ट्राइक न आया, तो) पर देखा जायेगा.
केतन मिश्रा