हार्ट सर्जरी के बाद भी हौसला नहीं टूटा… यश धुल ने DPL 2025 में किया धमाकेदार कमबैक

यश धुल ने अंडर-19 वर्ल्ड कप जीतने और रणजी-दलीप ट्रॉफी में शतक बनाने के बाद भारतीय क्रिकेट में पहचान बनाई, लेकिन जून 2024 में दिल में 17 मिमी का छेद मिलने पर उन्हें सर्जरी और आराम करना पड़ा. एक साल बाद वे DPL 2025 में लौटे... फिलहाल वह सर्वाधिक रन स्कोरर हैं.

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डीपीएल 2025 में अपने नाबाद शतक का जश्न मानते यश धुल (Photo: Delhi Premier League T20) डीपीएल 2025 में अपने नाबाद शतक का जश्न मानते यश धुल (Photo: Delhi Premier League T20)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 26 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 8:47 AM IST

अंडर-19 वर्ल्ड कप बतौर कप्तान जीतना, आईपीएल कॉन्ट्रैक्ट, रणजी डेब्यू पर जुड़वां शतक (113, 113*), दलीप ट्रॉफी डेब्यू पर भी शतक… यश धुल के लिए सबकुछ बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा था. ऐसा लग रहा था कि भारतीय क्रिकेट का अगला बड़ा सितारा सामने आ चुका है.

शुरुआती चमक... लेकिन अचानक बड़ा झटका

.. लेकिन 21 साल की उम्र में जून 2024 में उन्हें पता चला कि उनके दिल में 17 मिमी का छेद है. अचानक सबकुछ थम गया. उन्हें सर्जरी करानी पड़ी और एक महीने तक आराम करना पड़ा. अगस्त में जब वे दिल्ली प्रीमियर लीग (DPL) में लौटे तो शरीर ने साथ नहीं दिया. उन्हें टूर्नामेंट बीच में ही छोड़ना पड़ा, जहां वे सेंट्रल दिल्ली किंग्स की कप्तानी कर रहे थे.

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DPL में वापसी

एक साल बाद यश धुल फिर से उसी टूर्नामेंट में लौटे हैं. इस बार उनका बल्ला पूरे आत्मविश्वास से रन उगल रहा है. DPL 2025 में अब तक उन्होंने 8 पारियों में 435 रन बनाए हैं. स्ट्राइक रेट 167.31 और एवरेज 87.00 रहा है, जिसमें दो शतक भी शामिल हैं.  फिलहाल वह सर्वाधिक रन स्कोरर हैं.अब उनका अगला पड़ाव दलीप ट्रॉफी है, जहां वे 28 अगस्त से बेंगलुरु में नॉर्थ जोन की ओर से खेलेंगे.

22 साल के धुल ने ESPNcricinfo से बातचीत में उस मुश्किल दौर को याद किया. उन्होंने कहा, ये समय बहुत कठिन था. मैं सर्जरी से बचना चाहता था क्योंकि DPL और घरेलू सीजन आ रहा था. लेकिन डॉक्टर ने कहा कि कोई और रास्ता नहीं है. सर्जरी के बाद पूरे एक महीने बिस्तर पर पड़ा रहा. जब ट्रेनिंग शुरू की तो ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट तेजी से बढ़ जाते, सांस फूल जाती. डॉक्टर ने कहा कि अगर ज्यादा दबाव लिया तो कुछ भी हो सकता है. उस वक्त कभी-कभी लगता था कि शायद मैं क्रिकेट नहीं खेल पाऊंगा.'

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रणजी में नई शुरुआत

धीरे-धीरे फिटनेस लौटने लगी. उन्होंने जल्दबाजी नहीं की. 2024-25 सीजन के लिए खुद को संभाला और रणजी ट्रॉफी में दिल्ली की ओर से 7 मैच खेले. इस दौरान 444 रन बनाए, एवरेज 49.33 रहा और 2 शतक जड़े.

तमिलनाडु के खिलाफ शतक उनके लिए सबसे खास रहा. धुल बताते हैं, 'ये पारी मेरे लिए बड़ी अहम थी क्योंकि परिवार भी डर रहा था कि क्या मैं लंबा खेल पाऊंगा. लेकिन पूरे दिन बल्लेबाजी की और दबाव में टीम के लिए रन बनाए. उस वक्त खुद पर बहुत संतोष हुआ.'

उस पारी के बाद उनका जश्न सबने देखा… हेलमेट उतारकर हाथ फैलाना, जोर से चिल्लाना और आंखों में आंसू. हाल ही में जब उन्होंने DPL में 56 गेंदों पर नाबाद 101 रन बनाए, तब भी वही जश्न दोहराया.

धुल ने कहा, 'सर्जरी मेरे करियर के लिए बड़ा झटका थी. कभी-कभी लगता था कि क्रिकेट में वापसी नहीं कर पाऊंगा. इसलिए अब जब भी शतक बनाता हूं, भावनाएं अपने आप बाहर निकल जाती हैं.'

धुल कब आए चर्चा में?

धुल का नाम 2022 में तब चर्चा में आया जब उन्होंने अंडर-19 वर्ल्ड कप में 76.33 की औसत से रन बनाए और भारत को खिताब दिलाया. इसके तुरंत बाद रणजी डेब्यू पर तमिलनाडु के खिलाफ जुड़वां शतक जड़े. उसी साल दलीप ट्रॉफी और ईरानी कप में चुने गए और दिल्ली के लिए व्हाइट-बॉल डेब्यू किया.

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दलीप ट्रॉफी डेब्यू पर शतक, फिर इंडिया-ए टीम में जगह, बांग्लादेश दौरा, दिल्ली की रणजी कप्तानी… और फिर दिल्ली कैपिटल्स से 50 लाख का आईपीएल कॉन्ट्रैक्ट. 2023 में उभरते एशिया कप में वे इंडिया ए टीम के कप्तान थे, जहां उनके साथी अभिषेक शर्मा, बी साई सुदर्शन, रियान पराग, नीतीश रेड्डी और हर्षित राणा अब टीम इंडिया तक पहुंच चुके हैं.

लेकिन इन ऊंचाइयों के बीच निराशा भी रही. लगातार प्रदर्शन में अस्थिरता रही, इंडिया ए में मौके कम हो गए और आईपीएल 2025 की मेगा नीलामी में उन्हें कोई टीम नहीं खरीदा.

यश धुल ने कहा, 'खिलाड़ी के करियर में उतार-चढ़ाव जरूरी हैं. इन्हीं से सीख मिलती है. पहले मैं अतीत और भविष्य में उलझा रहता था. अब सिर्फ वर्तमान पर ध्यान देता हूं. इस समय मेरा फोकस DPL और फिर दलीप ट्रॉफी है. अगर प्रदर्शन अच्छा रहा तो बाकी सब अपने आप होगा. मुझे बस लगातार खेलना है और अपने समय का इंतजार करना है.'

यश धुल की यह कहानी बताती है कि असली जंग सिर्फ मैदान पर नहीं, बल्कि जिंदगी से भी होती है. हार्ट सर्जरी जैसे झटके से उबरकर मैदान पर दोबारा लौटना... और बल्ले से सबको जवाब देना यही उनकी सबसे बड़ी जीत है.
 

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