Virat Kohli Test Captaincy: कोहली के 'गुरुकुल' के तीन सिद्धांत- फिटनेस, सकारात्मकता और आक्रामक रवैया

विराट कोहली भारतीय टेस्ट इतिहास के सबसे सफल कप्तान हैं. उन्होंने टीम को जिताने के लिए हर तरह का जोखिम भी उठाया है. चाहे वह 5 गेंदबाज खिलाना हो या फिर हार का ही जोखिम क्यों न हो...

Advertisement
Virat Kohli and Indian test team (AFP Photo) Virat Kohli and Indian test team (AFP Photo)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 17 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 7:45 AM IST
  • कोहली ने टेस्ट की कप्तानी से इस्तीफा दिया
  • विराट को कप्तानी में विदेश में जीतना सीखा
  • एमएसके प्रसाद और वेंगसरकर ने की तारीफ

Virat Kohli Test Captaincy: विराट कोहली के टेस्ट फॉर्मेट की कप्तानी से इस्तीफा देने के साथ ही अगले लीडर की तलाश शुरू हो गई है. भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) को अब कोहली के ही सरीका के नया कप्तान तलाशना होगा. कोहली भारतीय टेस्ट इतिहास के सबसे सफल कप्तान हैं. उन्होंने टीम को जिताने के लिए हर तरह का जोखिम भी उठाया है. चाहे वह 5 गेंदबाज खिलाना हो या फिर हार का ही जोखिम क्यों न हो. यही वजह रही है कि कोहली की कप्तानी में भारतीय टीम नंबर-1 टेस्ट टीम बनी और विदेशों में भी परचम लहराया है.

Advertisement

2014 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर अचानक महेंद्र सिंह धोनी के टेस्ट से संन्यास लेने के बाद कोहली ने कप्तानी का जिम्मा संभाला था. तभी से उन्होंने भारतीय टेस्ट टीम की सूरत ही बदल दी. उनके गुरुकुल यानी कप्तानी के सिर्फ तीन ही सिद्धांत रहे. इनमें फिटनेस, सकारात्मकता और आक्रमक रवैया रहा है.

कोहली के कप्तान रहते नकारात्मकता टीम में नहीं रही

ऑस्ट्रेलिया दौरे पर धोनी चोटिल होकर बाहर हो गए थे. तब कोहली ने कमान संभाली थी. उस टेस्ट में भारतीय टीम को आखिरी दिन 98 ओवरों में जीत के लिए 364 रन की जरूरत थी. वहां भी कोहली ने ड्रॉ करने की नहीं सोची. उन्होंने बल्लेबाजों से कहा कि वे आक्रामक रवैया जारी रखें और जीत के लिए खेलें. इसका परिणाम यह हुआ कि टीम इंडिया सिर्फ 48 रनों से हारी थी. 

Advertisement

इस हार के बाद कोहली ने कहा था कि हमने किसी भी समय स्कोर को नहीं देखा और उसका पीछा करने के बारे में भी नहीं सोचा. हम यहां सिर्फ सकारात्मक क्रिकेट खेलने आए हैं. हमारी टीम में नकारात्मकता की कोई जगह नहीं है. हम इसी विश्वास के साथ उतरे हैं. यह विदेशी जमीन पर भारतीय टीम का पिछले 2-3 सालों में बेस्ट प्रदर्शन था. हालांकि, कोहली ने इसी जज्बे के साथ अगले 7 साल भारतीय टेस्ट टीम की कमान संभाली और कई विदेशी जमीनों पर यादगार और एतिहासिक जीत दिलाई है.

अब विदेश में भी शेर है भारतीय टीम

कोहली की कप्तानी से पहले यह टैग लगा हुआ था कि भारतीय टीम 'देश में शेर और विदेश में ढेर' रहती है. पहले भारतीय टीम के लिए विदेशी जमीन पर टेस्ट में जीत को बहुत ही बड़ी चीज मानी जाती थी, लेकिन विराट के कप्तान बनने के बाद सब कुछ ही बदल गया. उन्होंने यह साबित कर दिया कि भारतीय टीम विदेश में भी मेजबान टीम को पटक सकती है. 

टीम इंडिया को दिया बेस्ट बॉलिंग अटैक

कोहली की कप्तानी में ही भारतीय गेंदबाजी आक्रमण भी मजबूत हुआ है. इसी के दम पर टीम इंडिया ने विदेशों में एतिहासिक जीतें दर्ज की हैं. मोहम्मद शमी, ईशांत शर्मा, उमेश यादव और जसप्रीत बुमराह जैसे तेज गेंदबाज कोहली की कप्तानी में ही बेहतर बने. अब यही गेंदबाजी आक्रमण भारत के बेस्ट बॉलिंग अटैक में तब्दील हो गया है.

Advertisement

फिटनेस और आक्रामकता लेकर आए कोहली

पूर्व चीफ सेलेक्टर एमएसके प्रसाद ने कहा- पहली बात मैं यह मानता हूं कि कोहली ने ही टीम इंडिया में जीत की संस्कृति शुरू की है. खासकर विदेशी जमीन पर जीत की. कोहली ने ही पांच गेंदबाजों की थ्योरी को शुरू किया और टीम में फिटनेस को महत्वपूर्ण बनाया. कोहली ही हैं, जो टीम में आक्रामकता लेकर आए. कोहली और बाकी स्टाफ ने मिलकर ही बेस्ट बॉलिंग अटैक और मजबूत बेंच स्ट्रेंथ बनाई, जो विदेशी जमीन पर भी 20 विकेट चटका सकते हैं.

कोहली का रिकॉर्ड ही उनकी कप्तानी बयां करता है

पूर्व भारतीय कप्तान और चीफ सेलेक्टर दिलीप वेंगसरकर ने भी कोहली की तारीफ की. उन्होंने ही कोहली को इंटरनेशनल क्रिकेट में बड़ा ब्रेक दिया था. वेंगसकर ने कहा कि 68 टेस्ट में से 40 जीत का रिकॉर्ड ही कोहली की कप्तानी को बयां करता है. उनका हमेशा ही सकारात्मक रवैया रहा है. वे हमेशा पांच गेंदबाजों को खिलाना चाहते थे. यह दांव कभी कभार उलटा भी पड़ता था, लेकिन वह इसी तरह से खेलता था. आखिर में भारतीय टीम ने इसी रवैये के कारण इतने सारे मैच भी जीते.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement