रांची में लगा वह ऊंचा शॉट सिर्फ दर्शकों की तालियों का कारण नहीं बना... बल्कि एक ऐसा रिकॉर्ड बदल गया, जिसे क्रिकेट में लंबे समय से ‘अटूट’ माना जाता था. भारतीय कप्तान रोहित शर्मा ने 352 छक्कों के साथ शाहिद आफरीदी के 351 छक्कों के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ते हुए ODI क्रिकेट के सबसे बड़े सिक्स-हिटर का दर्जा हासिल कर लिया. यह उपलब्धि संख्या से कहीं अधिक मायने रखती है- क्योंकि यह दो युगों, दो शैलियों और दो बिल्कुल अलग बल्लेबाजी दृष्टिकोणों का मुकाबला भी है.
डेटा के आईने में तीन बड़े नाम
ODI में सर्वाधिक छक्कों की लिस्ट में रोहित शर्मा, शाहिद आफरीदी और क्रिस गेल के नामों से आगे नहीं बढ़ती. तीनों अपनी-अपनी शैली में पावर-हिटिंग के पर्याय रहे, लेकिन आंकड़े साफ तौर पर रोहित को बाकी दोनों से अलग खड़ा करते हैं.
सब कुछ छोड़िए, असली कहानी मैचों की संख्या बता रही है- रोहित ने आफरीदी से 100 पारियां कम खेलकर यह शिखर छुआ. यानी आफरीदी और गेल दोनों ने रोहित से कहीं ज्यादा इनिंग्स खेलीं, लेकिन छक्कों का उनका ग्राफ नियंत्रण और निरंतरता के मामले में रोहित जैसा स्थिर नहीं रहा. रोहित ने 11,000 से ज्यादा रन बनाते हुए 49 के एवरेज और लगभग 93 के स्ट्राइक रेट के साथ रिकॉर्ड बनाया है, जो बताता है कि उनकी बल्लेबाजी केवल बड़े शॉटों पर निर्भर नहीं रही, बल्कि उन्होंने मैच की जरूरत के अनुसार अपना खेल ढाला.
रोहित Vs आफरीदी- शैली में अंतर, असर में फर्क
आफरीदी की हिटिंग में विज्ञान नहीं, सिर्फ विस्फोट था. उनका खेल जोखिम भरा, अनिश्चित और पूरी तरह आक्रामक प्रवृत्ति पर आधारित था. कई पारियों में वे इतने तेजी से रन बना देते कि मैच का नक्शा बदल जाता, पर उतनी ही बार वे पहली–दूसरी ही गेंद पर आउट होकर टीम को मुश्किल में भी डाल देते थे. उनका बल्लेबाजी एवरेज 23.57 उसी उतार-चढ़ाव की कहानी कहता है.
रोहित शर्मा का मॉडल बिल्कुल अलग है. उनकी हिटिंग टाइमिंग, बैलेंस और शॉट-सेलेक्शन पर टिकी है. वे पारी को सेट करते हैं, स्थिति को पढ़ते हैं और फिर बड़े शॉटों के लिए गियर बदलते हैं. यही वजह है कि कम मैचों में वे शीर्ष पर पहुंचे और उनकी पारी टीम के लिए अधिक मूल्यवान साबित होती है. रोहित की हिटिंग सिर्फ ताकत का प्रदर्शन नहीं, बल्कि एक ‘गणित’ की तरह व्यवस्थित दिखाई देती है.
गेल- ताकत का चरम, लेकिन अस्थिरता...
क्रिस गेल की ताकत और लंबा कद उन्हें किसी भी गेंदबाज के लिए खतरा बनाता था. लेकिन उनके करियर का ग्राफ निरंतर नहीं रहा. चोटें, फॉर्म में गिरावट और कई बार पारी की शुरुआत में संघर्ष...ये कारण उन्हें छक्कों की दौड़ में रोहित से पीछे रखते हैं. गेल एक विस्फोटक बल्लेबाज थे, लेकिन उनका खेल कई बार परिस्थितियों से प्रभावित हुआ, वहीं रोहित का खेल अधिकांश परिस्थितियों में स्थिर रहता है.
रांची की पारी... रोहित की मौजूदा क्लास का सबूत
रांची में रोहित शर्मा की 57 रनों (51 गेंदें, 3 छक्के, 5 चौके) की पारी सिर्फ स्कोरकार्ड का हिस्सा नहीं थी. यह उस खिलाड़ी की मौजूदा फॉर्म और मानसिक स्थिरता का खुला प्रदर्शन था, जिसने ODI हिटिंग की परिभाषा ही बदल दी है. यह वही मैच था जिसमें उनके बल्ले से निकला एक साफ-सुथरा छक्का आफरीदी का 351 छक्कों वाला रिकॉर्ड पीछे छोड़ गया, लेकिन कहानी सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है.
रांची का छक्का- केवल रिकॉर्ड नहीं, एक संकेत
रांची में लगा वह निर्णायक छक्का असल में रोहित की टाइमिंग, निर्णय क्षमता और बैलेंस के अब भी वैसा ही रहने का सबसे बड़ा संकेत था. बिना किसी जोर, बिना किसी हिंसक स्विंग- सिर्फ ट्रांसफर ऑफ वेट और क्लीन कनेक्ट. यही वजह है कि आफरीदी के ‘raw hitting’ के ठीक उलट, रोहित की हिटिंग ‘effortless power’ का आधुनिक स्कूल मानी जाती है.
रोहित शर्मा के ODI करियर में तीन दोहरे शतक, वनडे वर्ल्ड कप में लगातार दबदबा और बड़े मुकाबलों में उनकी निरंतरता यह साफ दिखाती है कि यह रिकॉर्ड किसी एक सीजन की चमक या किसी छोटे दौर की फॉर्म का नतीजा नहीं है. यह एक लंबी, तकनीकी रूप से टिकाऊ और लगातार निखरती बल्लेबाजी यात्रा का स्वाभाविक परिणाम है.
चाहे टीम इंडिया में उनकी भविष्य की भूमिका पर सवाल उठें या 2027 वर्ल्ड कप में खेलने को लेकर चर्चा हो, लेकिन उनकी बल्लेबाजी की क्लास, भरोसेमंद टाइमिंग और मैच की समझ आज भी उतनी ही मजबूत है.
भविष्य का सवाल- क्या रोहित 2027 का वर्ल्ड कप खेलेंगे?
रिकॉर्ड टूटते ही भारतीय क्रिकेट में एक सवाल फिर उभर गया है... क्या रोहित शर्मा 2027 वनडे विश्व कप तक टीम इंडिया का हिस्सा होंगे? रोहित अब एक ही फॉर्मेट में खेल रहे हैं और उनकी फिटनेस व मानसिक तैयारी अभी भी मजबूत है. लेकिन 2027 तक की यात्रा लंबी है... चयन नीतियों, वर्क लोड मैनेजमेंट और युवा खिलाड़ियों की एंट्री जैसे कई कारक इस प्रश्न का उत्तर तय करेंगे. हालांकि वर्तमान फॉर्म और तकनीक यह कहती है कि रोहित कम से कम निकट भविष्य में टीम के लिए अपरिहार्य हैं.
क्या कोई यह रिकॉर्ड तोड़ पाएगा?
वर्तमान परिदृश्य में यह मुश्किल दिखता है. आधुनिक क्रिकेट में छक्के भले बढ़े हों, लेकिन ODI करियर उतना लंबा नहीं चल पा रहा और इतने मैच खेलने व उसी रफ्तार से छक्के लगाने वाला कोई बल्लेबाज अभी नजर नहीं आता.
आफरीदी ने छक्कों को रोमांच की पहचान दी. गेल ने उन्हें ताकत का प्रदर्शन बनाया. लेकिन रोहित शर्मा ने छक्का-हिटिंग को कला, नियंत्रण और मैच की समझ के सहारे उस मुकाम तक पहुंचाया, जहां आंकड़े भी उनकी कहानी को बयां करने लगते हैं.
विश्व मोहन मिश्र